कांग्रेस नेता कमलनाथ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राजनीति को उनसे बेहतर समझने वाले नेता देश में कम ही है. मौका था भोपाल में कांग्रेस की पत्रकार वार्ता का जिसमें कांग्रेस को जन आक्रोश यात्राओं का ऐलान करना था. शहर के बड़े होटल के हॉल में हो रही पत्रकार वार्ता में डायस पर दिग्विजय सिंह को छोड़कर प्रदेश कांग्रेस के सारे बड़े नेता मौजूद थे. कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला की ये भोपाल में पहली पत्रकार वार्ता थी, सो धूमधाम तो होनी ही थी. कांग्रेस ने गणेश चतुर्थी से शुरू होने वाली सात जन आक्रोश यात्राओं का ऐलान कर चलो-चलो वाला प्रोमो दिखाया और सवाल जबाव शुरू हो गये.


जब से कमलनाथ मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं तब से अब तक करीब पांच से ज्यादा प्रदेश प्रभारी बदल चुके हैं. सुरजेवाला टीम राहुल के आदमी हैं और चूंकि कर्नाटक चुनाव जिता कर आये हैं इसलिये उनकी कमलनाथ उनको पूरी तवज्जो दे भी रहे हैं, वरना प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आते हैं और जाते हैं ये राजनीति कवर करने वाले हम पत्रकार जानते हैं. जब तक एक प्रभारी से भेंट-मुलाकात कर नंबर लेते है. एक-दो बार उनसे मिलते हैं, तब तक प्रभारी की विदाई हो जाती है.


विपक्षी गठबंधन की भोपाल रैली रद्द


इस पत्रकार वार्ता में रणदीप सुरजेवाला अपने अनुभव के आधार पर बहुत सतर्क थे. अपने वक्तव्य के बाद सारे सवालों के जवाब नाप परख कर दे रहे थे. जब सनातन धर्म पर हो रहे विवाद से सवाल ज्यादा आने लगे तो उन्होंने एक बार तो कमलनाथ जी को भी इशारा किया-इन सवालों को छोड़ने का या विस्तार में जवाव नहीं देने का, मगर सामने से एक उड़ता सवाल आ ही गया. यह इंडिया गठबंधन की भोपाल में होने वाली रैली से जुड़ा था. हमारे पत्रकार साथी ने पूछा, वो रैली कब और कहां होने जा रही है. सुरजेवाला ने माइक संभाला और वही सतर्क जवाब आया कि भाई जैसे ही तारीख तय होती है हम आपको बता देंगे. कमलनाथ इस जवाब पर मन मसोस कर रह गये, ऐसा दूर बैठकर लगा. कुछ ऐसे ही सवाल आये और सुरजेवाला अपने को महाभारत की भूमि और भगवतगीता के प्रदेश से आया बताकर बोल देते थे कि हमारी नजर अर्जुन की तरह लक्ष्य पर है और हम इसके अलावा कुछ देख ही नहीं रहे.



साफ समझ आ रहा था सुरजेवाला पत्रकार वार्ता में मुददे से इतर कुछ आये, इस पर नजर रखे थे. हॉल में बैठे पत्रकारों के सवाल खत्म नहीं हो पाये कि पत्रकार वार्ता खत्म होने का इशारा हो गया. हालांकि,  कमलनाथ मंच से उतरे ही थे कि माइक सामने कर उनसे सवाल पूछ ही लिया गया कि इंडिया गठबंधन की भोपाल में रैली कब होगी? कमलनाथ ने एक मिनट नहीं लगाया और बोल पड़े वो रैली नहीं हो रही, रद्द हो गयी है. बस फिर क्या था सबसे बडी खबर यही थी इस पत्रकार वार्ता की. कमलनाथ जब बाहर फिर आये तो फिर उनसे पूछा और फिर वो बोले गठबंधन की रैली भोपाल में नहीं हो रही, रद्द हो गयी है. प्रदेश की पत्रकार वार्ता से राष्टीय खबर मिल गयी थी. पत्रकारों के फोनो चैनलों पर शुरू हो गए.



कमलनाथ पहले से ही थे खिलाफ


जानकार बताते हैं कि कमलनाथ इंडिया गठबंधन की रैली के शुरूआत से ही खिलाफ थे. उनके सामने सिर्फ विधानसभा का चुनाव और उसकी तैयारियां ही दिख रहीं है. इसके अलावा किसी भी काम को वो जरा सा भी वक्त नहीं देना चाहते. गठबंधन के लोग आते तो उनके इंतजाम में होने वाला समय उनकी तैयारियों पर असर डालता जो उनको मंजूर नहीं था. फिर उदयगिरि स्टालिन के सनातन संबंधी बयान से उठे विवाद के बाद से बीजेपी ने जिस तरह से गठबंधन की घेराबंदी की है, उससे भी कमलनाथ गठबंधन के नेताओं को भोपाल बुलाकर कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं पर असर नहीं डालना चाहते थे. मध्यप्रदेश में बीजेपी हिंदुत्व का कार्ड कमलनाथ के सामने चला ही नही पा रही क्योंकि कमलनाथ लगातार कथा प्रवचन और मंदिरों के दर्शन के बाद साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि हिंदूवादी राजनीति करनी उनको भी आती है. प्रदेश में नब्बे फीसदी हिंदू आबादी है जिसको बीजेपी लामबंद करना चाहती है मगर कमलनाथ पूरा चुनाव बीजेपी की पिच पर नहीं बल्कि अपने मुददों पर आगे बढाना चाहते हैं. रैली के रद्द होने की खबर मिलते ही बीजेपी नेताओं के उदासी भरे बयानों ने साबित कर दिया कि कमलनाथ की सतर्कता से कांग्रेस को होने वाला संभावित बडा नुकसान टल गया. आगे क्या होगा ये वक्त बताएगा मगर कांग्रेस सतर्क है कि बीजेपी जिस तरीके से कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण की हिमायती और हिंदू विरोधी पार्टी का ठप्पा लगाना चाहती है उससे बचा जाये.


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