बात ज्यादा पुरानी नहीं है जब विराट कोहली ने कहा था कि धोनी जैसा ‘क्रिकेटिंग ब्रेन’ उन्होंने किसी का नहीं देखा. धोनी की काबिलियत को किसी के ‘स्टैंप’ की जरूरत नहीं है लेकिन इस बात पर बात जरूर होनी चाहिए कि क्या वाकई धोनी का दिमाग मैदान में सुपर कंप्यूटर की तरह चलता है. यूं तो ये बात एक कहावत के तौर पर ही इस्तेमाल की जाती है, लेकिन कई बार धोनी के फैसले इस कहावत के काफी करीब पहुंच जाते हैं.


कटक में खेला गया टी-20 सीरीज का पहला मैच एकतरफा था इसलिए उसके नतीजों को आधार बनाना ठीक नहीं होगा. आधार बनाना होगा धोनी की उस रणनीति को जो वो हर गेंद के साथ बनाते और बदलते हैं. अव्वल तो एक बड़ा फर्क ये नजर आया है कि रोहित शर्मा धोनी को बैटिंग ऑर्डर में ऊपर मौका दे रहे हैं. विराट कोहली ऐसे मौकों पर हार्दिक पांड्या को धोनी से पहले बल्लेबाजी के लिए भेजते हैं लेकिन रोहित शर्मा की पसंद महेंद्र सिंह धोनी हैं. धोनी के पूरे करियर में इस बात को लेकर वैसे भी खूब चर्चा हुई है कि उन्हें बैटिंग ऑर्डर में ऊपर आना चाहिए. ये चर्चा जब वो कप्तान थे तब भी होती थी. अब भी होती है. खैर, चलिए कटक टी-20 मैच से कुछ लम्हें निकालतें हैं और उनके आधार पर बात करते हैं.

धोनी का स्ट्राइक बदलने का फैसला

16वें ओवर के खत्म होने पर भारत का स्कोर था-119 रन पर तीन विकेट. 17वें ओवर की पहली गेंद वाइड बॉल थी, अगली बॉल पर धोनी ने चौका लगाया और उसके बाद वाली गेंद पर उन्होंने एक रन लिया. अब स्ट्राइक मनीष पांडे के पास थी. पांडे ने तीसरी गेंद पर छक्का लगाया और चौथी गेंद पर चौका. फिर उन्होंने पांचवीं गेंद पर दो रन लिए. आखिरी गेंद पर उन्होंने ‘सिंगल’ लेकर स्ट्राइक अपने पास रखी.


18वें ओवर की पहली गेंद पर मनीष पांडे ने एक रन लिया. दूसरी गेंद पर धोनी ने एक रन लेकर स्ट्राइक मनीष पांडे को दे दी. उस वक्त टीवी पर कॉमेनटेटर्स लगातार ये बात कर रहे थे कि धोनी मनीष पांडे को स्ट्राइक देकर सही कर रहे हैं क्योंकि उनके बल्ले से शॉट्स अच्छे निकल रहे थे. मनीष बड़े शॉट्स खेल रहे थे. वैसे धोनी ने भी इस ओवर में एक चौका मारा लेकिन फिर 18वें ओवर की आखिरी गेंद पर मनीष पांडे ने एक रन लेकर स्ट्राइक अपने पास रखी.


18वें ओवर के खत्म होने पर भारत का स्कोर 3 विकेट पर 147 रन हो चुका था. 19वें ओवर के खत्म होने से पहले मनीष पांडे उस ओवर में एक चौका और छक्का लगा चुके थे. इसी ओवर में धोनी ने भी एक चौका लगाया था. स्कोर 168 पर पहुंच चुका था. आखिरी ओवर की पहली गेंद पर धोनी ने कमाल के दो रन लिए. इस फुर्ती के साथ दो रन लेना धोनी के ही बूते की बात है. वो भी ये जानते हुए कि बस कुछ ही मिनटों बाद उन्हें ‘कीपिंग’ भी करनी है. उन फुर्तीले दो रनों के बाद उन्होंने स्ट्राइक अपने पास रखने का फैसला किया.


परेरा आखिरी ओवर में शानदार गेंदबाजी कर रहे थे. उनकी लाइन लेंथ कमाल की थी, लेकिन धोनी ने आखिरी गेंद पर स्ट्राइक अपने पास रखी और एक शानदार छक्का लगाकर टीम इंडिया का स्कोर 180 रन पहुंचा दिया. आखिरी चार ओवरों में दोनों ने करीब 60 रन जोड़े और उसके पीछे की रणनीति ‘स्ट्राइक रोटेशन’ रही. दोनों बल्लेबाजों को अति आक्रामकता नहीं दिखानी पड़ी.


विकेट के पीछे तो खैर धोनी का जवाब नहीं

जिन दिनों टी-20 में धोनी के रोल को लेकर सवाल उठ रहे थे तब भी कोई उनकी विकेटकीपिंग पर कुछ नहीं कह रहा था. विकेट के पीछे अब भी उनकी फुर्ती कमाल की है. यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की गेंदबाजी पर विकेट के पीछे जिस मुस्तैदी से धोनी तैनात रहते हैं, वो मुश्किल होता है. कटक में धोनी ने दो स्टंपिग की और दो कैच लपके. चहल के 4 विकेटों में से 3 में धोनी का रोल रहा. इसके अलावा उन्होंने कुलदीप यादव की गेंद पर कुशल परेरा का भी कैच लपका. मैदान से लेकर स्कोरबोर्ड तक कटक में धोनी ही धोनी दिखाई दे रहे थे.