अपने भोजन में अगर आप मोटे अनाज का उपयोग नहीं करते हैं, तो जल्द ही शुरु कर दीजिये क्योंकि इसके फायदे अनेक हैं लेकिन नुकसान कुछ भी नहीं. भारत ने इस क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर बनने की पहल शुरू कर दी है. भारत अब दुनिया के देशों को बतायेगा कि मोटे अनाज मसलन बाजरा,ज्वार,रागी,कुट्टू आदि का उपयोग करने के कितने फायदे हैं और ये शरीर के लिए कितना अधिक सेहतमंद है.


भारत समेत दुनिया के बाकी देशों में भी इसे बढ़ावा देने के मकसद से एक समूह बनाया गया है, जिसका नाम रखा गया है- MIIRA. इसका पूरा नाम है-मिलेट इंटरनेशनल इनिशिएटिव फॉर रिसर्च एंड अवेयरनेस (Millet International Initiative For Research And Awareness) हैं. संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है, लिहाजा वैश्विक स्तर पर भारत की इस पहल को बेहद अहम माना जा रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इस सिलसिले में भारत द्वारा पेश किए गये प्रस्ताव का 72 देशों ने समर्थन किया है.


 जी-20 देशों के कृषि प्रतिनिधियों की हाल ही में इंदौर में हुई बैठक में भारत ने इस प्रस्ताव का मसौदा पेश करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मोटे अनाज के उत्पादन और उसके उपभोग को बढ़ावा देना है.उसी मकसद से MIIRA बनाया गया है,जो इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे शोध कार्यक्रमों के बीच समन्वय स्थापित करेगा.


इंदौर में 13 से 15 फरवरी तक हुई  बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्रालय की संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर ने ये प्रस्ताव पेश किया था. इस अंतरराष्ट्रीय वर्ष में मोटे अनाज के प्रति लोगों को जागरूककरने के साथ ही इसके उत्पादन की गुणवत्ता को और सुधारने के साथ ही इसमें निवेश को आकर्षित करने के मकसद से कई सारी कॉन्फ्रेंस होंगी, डाक टिकट और सिक्के भी जारी किये जायेंगे.


दरअसल,मोदी सरकार भारत को मोटे अनाज का वैश्विक हब बनाना चाहती है. भारत इस साल जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है,लिहाजा कृषि सेक्टर में खाद्य सुरक्षा और पोषण के साथ ही मोटे अनाज के अधिकतम उपयोग को  भारत ने प्राथमिकता में रखा है. MIIRA बनाने का मकसद दुनिया के तमाम शोध संगठनों को आपस में जोड़ने के साथ ही इन फसलों को लेकर की जाने वाली शोधों को सहयोग देना भी है.


मीरा को आगे बढ़ाने के लिए भारत सीड मनी के रूप में अपना योगदान देगा, जबकि जी-20 के बाकी सदस्य देश अपने बजट में इसके लिए प्रावधान रखेंगे. भारत मोटे अनाज का बड़ा उत्पादक देश है इसलिये उसकी कोशिश रहेगी कि इस क्षेत्र में निवेश का प्रवाह निरंतर बना रहे. वैसे मोटे अनाज की मुख्य रूपसे आठ फसलें हैं जिनकी पैदावार के लिए गेहूं और अनाज के मुकाबले कम पानी की जरुरत होती है.


फिलहाल दुनिया के 130 देशों में इसकी पैदावार होती है और एशिया व अफ्रीका में तो 50 करोड़ से ज्यादा लोगों का यही पारम्परिक भोजन भी है. वैसे ज्वार की फसल सबसे ज्यादा होती है और भारत के अलावा अमेरिका,चीन,ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, नाइजीरिया और सूडान इसके प्रमुख उत्पादक देश हैं.


दूसरे नंबर पर बाजरा है जिसकी पैदावार भारत के अलावा कुछ अफ्रीकी देशों में ज्यादा होती है. देश के कृषि मंत्रालय ने अप्रैल 2018 में ज्वार,बाजरा,रागी,कुट्टू आदि को सबसे पोषक अनाज घोषित करते हुए कहा था कि इनमें सबसे उच्च स्तर के पोषक तत्व पाये जाते हैं, जो कई बीमारियों से बचाते हैं.


बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अपने बजट भाषण में मोटे अनाज का उल्लेख बताते हुए इसे "श्री अन्न" नाम दिया था और कहा था कि सदियों से ये हमारे भोजन का अभिन्न अंग है. इसकी पैदावार करने वाले छोटे किसानों की तारीफ करते हुए उन्होंने ये भी कहा था कि वे लोगों को सेहतमंद रखने में अपना सबसे बड़ा योगदान दे रहे हैं. 


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)