जी हां, टीम इंडिया और उसके कप्तान विराट कोहली की स्थिति पिछले कुछ दिनों में ऐसी ही हुई है. एडिलेड में मिली जीत का फायदा विराट कोहली पर्थ में गंवा चुके हैं. पर्थ में हार के साथ साथ बल्लेबाजों की कमजोर इच्छाशक्ति सभी के सामने आ चुकी है. हालात भी कुछ ऐसे बने कि बीच सीरीज में मयंक अग्रवाल और हार्दिक पांड्या को टीम में शामिल करना पड़ा.


ऐसे में मेलबर्न टेस्ट से पहले विराट कोहली ने कई बड़े फैसले किए हैं. उन्होंने एक साथ टीम के दोनों सलामी बल्लेबाजों को प्लेइंग 11 से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. पिछले टेस्ट मैच में औसत गेंदबाजी करने वाले उमेश यादव को भी बाहर किया गया है. स्पिनर रवींद्र जडेजा को सीरीज में पहली बार प्लेइंग 11 में जगह दी गई है.


दरअसल पर्थ टेस्ट में विराट कोहली चार तेज गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरे थे. उन्होंने एक भी स्पिनर को टीम में शामिल नहीं किया था. जबकि मैच में हार जीत का फैसला ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर नैथल लाएन की गेंदबाजी से ही पड़ा. जिन्होंने दोनों पारियों को मिलाकर कुल 8 विकेट चटकाए. इन बदली परिस्थितियों में ऐसा लग रहा है कि विराट कोहली को अपनी परेशानियों का इलाज तो नहीं मिला बल्कि वो अलबत्ता नए सवालों में जरूर फंस गए.


सलामी जोड़ी की किचकिच


ये किचकिच निश्चित तौर पर विराट कोहली को परेशान करेगी. विराट कोहली ने मेलबर्न टेस्ट के प्लेइंग 11 का ऐलान कर दिया है. केएल राहुल और मुरली विजय को बाहर बिठाने के बाद उन्होंने ये जिम्मेदारी मयंक अग्रवाल और हनुमा विहारी को सौंपी है. मयंक अग्रवाल का बतौर ओपनर खेलना दिक्कत की बात नहीं है. हो सकता है कि वो अपने ‘डेब्यू’ टेस्ट मैच में संघर्ष करते दिखें लेकिन आज नहीं तो कल उन्हें इस चुनौती का सामना करना ही था.


असली परेशानी हनुमा विहारी के साथ है क्योंकि वो मध्यक्रम के बल्लेबाज हैं. उनके करियर की ये शुरूआत ही है. उन पर पहले से प्रदर्शन का दबाव है. ऐसे में वो बतौर ओपनर टीम को अच्छी शुरूआत दे पाएंगे ये कठिन काम होगा. सवाल ये है कि कहीं विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट एक नए खिलाड़ी पर उम्मीदों का जरूरत से ज्यादा बोझ तो नहीं डाल रहा. इस कड़े फैसले के अलावा तीन और विकल्प हो सकते थे-


1) टीम में पार्थिव पटेल शामिल हैं. पार्थिव पटेल इससे पहले बतौर ओपनर खेल चुके हैं. उन्हें ऋषभ पंत की जगह प्लेइंग 11 में शामिल किया जाता.


2) रोहित शर्मा अनुभवी खिलाड़ी हैं. वनडे में वो पारी की शुरूआत करते हैं. उन्हें इस बात के लिए भरोसे में लिया जाता कि वो टेस्ट क्रिकेट में भी ये जिम्मेदारी उठा सकते हैं


3) पर्थ टेस्ट मैच में मुरली विजय ज्यादा रन नहीं बना पाए लेकिन जितनी देर वो क्रीज पर थे उनकी बल्लेबाजी ‘सॉलिड’ लग रही थी. केएल राहुल को एक भी मौका और देना संभव नहीं था लेकिन मुरली विजय को एक मौका और दिया जाता.


टीम इंडिया ने गेंदबाजी में भी बदले हैं प्लान


सीरीज में पहली बार रवींद्र जडेजा को प्लेइंग 11 में शामिल किया गया है. पहले टेस्ट मैच में आर अश्विन को खिलाया गया था. उन्होंने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया. इसके बाद अगले टेस्ट मैच में विराट कोहली बगैर स्पिनर के मैदान में उतरे. जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा. रवींद्र जडेजा के प्लेइंग 11 में शामिल किए जाने को लेकर इसलिए सवाल उठ रहे हैं क्योंकि कुछ घंटे पहले ही कोच रवि शास्त्री ने बयान दिया था कि जडेजा पूरी तरह फिट नहीं हैं इसीलिए उन्हें पहले दोनों टेस्ट मैच के लिए ‘कंसीडर’ नहीं किया गया.


जैसे ही इस बात का मुद्दा बना अचानक जडेजा फिट हो गए. ये सच है कि रवींद्र जडेजा के प्लेइंग 11 में आने से विराट को निचले मध्यक्रम की बल्लेबाजी में थोड़ा फायदा होगा लेकिन मेलबर्न में जिस तरह की पिच है क्या कुलदीप यादव ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकते थे. इन सारे सवालों का जवाब मैच शुरू होने के बाद खेल बढ़ने के साथ साथ मिलता जाएगा. तभी इस बात का फैसला भी होगा कि बतौर कप्तान विराट कोहली कितने परिपक्व हो रहे हैं.