साल 1947 की 14 अगस्त तक की शाम तक जो हिंदुस्तान था उसे दो फाड़ करके पाकिस्तान बना दिया गया और उसके बाद हुई तबाही को दोनों मुल्कों के सरमायेदारों ने नहीं बल्कि उस गरीब-गुरबों की पूरी कौम ने झेला है जिसने अपनी जान बचाने की खातिर अपने कीमती गहनों की भी परवाह तक नहीं की.
पाकिस्तान के हुक्मरानों की फ़ितरत चाहे जो भी रही हो लेकिन इन 75 सालों की हक़ीक़त ये है कि दोनों तरफ ही ऐसे लाखों लोग हैं जो आपस में मोहब्बत करने के साथ ही भाईचारा कायम करने में भी यकीन रखते हैं लेकिन सियासत के उसूल ही कुछ ऐसे हैं कि ये मुमकिन हो ही नहीं सकता.
पाकिस्तान में फिलहाल सियासी बवाल मचा हुआ है लेकिन वहां की हुकूमत को संभाल चुका एक प्रधानमंत्री इमरान खान अगर ऐसे माहौल में भी भारत की खुले दिल से व सार्वजनिक तौर पर लगातार तारीफ़ कर रहा है तो इसके बेहद गहरे राजनीतिक मायने भी हैं. हालांकि ये अलग बात है कि इमरान खान की ताजपोशी होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न तो उन्हें मुबारकबाद दी थी और न ही कभी उनसे कोई सीधी बातचीत की थी.
हालांकि, इमरान खान अब लगातार भारत की तारीफ अगर कर रहे हैं तो उनका बड़ा सियासी मकसद यही है कि वे भारत की मदद से एक बार फिर अपनी ताजपोशी करवाने में कामयाब हो जाएं. इसीलिये उन्होंने अपने देश की खुफिया एजेंसी उस आईएसआई के कामकाज की भी खुलकर आलोचना की है जो भारत में आतंकवाद को फैलाने की सबसे बड़ी गुनहगार है. दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर भारत की जमकर तारीफ करके दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. वे पहले भी भारत की विदेश नीति के ऐसे फैन बन चुके हैं जो अमूमन लोग अपने किसी मनपसंद क्रिकेटर के लिए होते है.
इमरान ने शहबाज खान सरकार के खिलाफ लाहौर से इस्लामाबाद तक निकाले जा रहे लॉन्ग मार्च (Hakiki Azadi) में लोगों से मुखातिब होते हुए भारत की विदेश नीति की जमकर तारीफ की है जो पाकिस्तान के हुक्मरानों के साथ ही वहां की सेना व आईएसआई को भी नागवार लग रहा है. पाकिस्तान में हकीकी आजादी मार्च निकालने का मकसद होता है कि मुल्क की हुकूमत में बैठी सरकार पर अपने जन समर्थन से ऐसा दबाव बनाया जाये कि उसके होश भी फ़ाख्ता हो जाएं. क्रिकेट के पिच पर अनगिनत गुगलियां झेल चुके इमरान खान ने सियासत में भी इसे एक बड़ा सियासी औजार मानते हुए शहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ लाहौर से इस्लामाबाद तक हकीकी आजादी मार्च निकाल दिया है.
सरकार और सेना को यही बात रास नहीं आ रही है जिसे लेकर इस्लामाबाद में फौज की तैनाती कर दी गई है तो वहीं सरकार ने भी इस मार्च को रोकने का फ़रमान जारी कर दिया है. शुक्रवार को शुरू हुए अपने आजादी मार्च के पहले ही भाषण में इमरान खान ने भारत की जो तारीफ की है उससे पाक सरकार ऐसी जल-भुन गई है कि उसे समझ नहीं आ रहा कि इस तारीफ़ का आखिर क्या मकसद है.
बता दें कि इमरान ने सिर्फ़ भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की तारीफ ही नहीं की बल्कि रूस से तेल खरीदने को लेकर भी भारत के फैसले को जायज ठहराया. दरअसल, रूस- यूक्रेन युद्ध के बीच पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा और इमरान खान भारत की इसी बेख़ौफ़ नीति के मुरीद हो गये.
इमरान ख़ान देश में तुरंत आम चुनाव की मांग को लेकर ये मार्च निकाल रहे हैं. उनका ये हक़ीक़ी आज़ादी मार्च शुक्रवार को लाहौर से रवाना हुआ है जिसके 4 नवंबर को इस्लामाबाद में पहुंचने की योजना है. लेकिन पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स इशारा कर रही हैं कि इसे इस्लामाबाद पहुंचने से पहले ही ठिकाने लगा दिया जाएगा.
इमरान खान अपने भाषणों में कह रहे हैं कि कि मैं नवाज शरीफ की तरह देश छोड़कर भागूंगा नहीं. मेरा जीना भी इसी जमीन पर होगा और मेरा मरना भी इसी जमीन पर ही होगा. उनके मुताबिक मैं वो पाकिस्तान देखना चाहता हूं जो आजाद मुल्क हो. इसके लिए आपको ताकतवर फौज चाहिए होती है. अगर आपकी फौज कमजोर होती है तो मुल्क की आजादी चली जाती है. हम अपने मुल्क को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते है.
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