आज लगातार लोग मेंटल हेल्थ इश्यूज की समस्याओं से ग्रस्त हो रहे हैं. हर एक आयु-वर्ग में सभी पेशों में चाहे आप हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स हों या फिर आर्टिस्ट हों, स्पोर्ट्स पर्सन्स हों, स्टूडेंट्स हों, हाउस वाइव्स हों या अन्य लोग, कोई न कोई किसी न किसी तरह के मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों से प्रभावित हैं.  चाहे वो नींद की समस्या हो, किसी भी चीज पर ध्यान केन्द्रित न कर पाने की दिक्कत हो, भविष्य के प्रति डर सता रहा हो, डिप्रेशन हो, मूड स्विंग्स या लो फील करना करना हो, कोरोना के बाद ये समस्याएं और बढ़ गयी हैं.


लेकिन, हम अगर अपनी मानसिक स्वास्थ्य में सुधार ले आएं तो और तनाव के लेवल को नियंत्रण कर लें तो कोरिस्टोल, जिसे हम स्ट्रेस हॉर्मोन कहते हैं, ये बाकी हॉर्मोन के साथ harmony में आ जाएगा. इसको ठीक करने से आप अपनी मानसिक स्वास्थ्य को भी ठीक रख पाएंगे. अपने आपको तनाव मुक्त बना पाएंगे और जीवन शैली से संबंधित बीमारियों से अपने आप को सुरक्षित भी कर पाएंगे.


स्ट्रेस हॉर्मोन कंट्रोल के तरीके 


अब आप जानना चाहेंगे कि स्ट्रेस हॉर्मोन को कंट्रोल करने के क्या तरीके हैं? इसका सबसे प्रभावकारी उपाय और मेडिटेशन क्या है? वैसे तो मेडिटेशन को लेकर लोगों में कई तरह की गलतफहमियां होती हैं. ऐसा नहीं हैं कि मेडिटेशन सिर्फ बुजुर्ग लोग ही करते हैं. ये किसी भी आयु में शुरू किया जा सकता है.


कुछ लोग योग को मेडिटेशन समझते हैं, जबकि वास्तव में योग आपके शारीरिक स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए होता है. आपकी बॉडी में फ्लैक्सिबिलिटी लाने के लिए बहुत अच्छा होता है. इसके अलावा, कई लोग ब्रीदिंग एक्सरसाइज को योग या मेडिटेशन समझते हैं. लेकिन सही मायनों में ये ब्रीदिंग एक्सरसाइज आपके फेफड़े के लिए बहुत अच्छी होती है. मेडिटेशन किसी धर्म से नहीं आया है, ये आपके मानसिक स्वास्थ्य को बहुत अच्छा रखने के लिए एक आसान सा आध्यात्मिक और वैज्ञानिक तरीका है.


क्या है मेडिटेशन?


अब कई लोग ये भी समझते हैं कि मेडिटेशन का मतलब होता है कि आपको अपने दिमाग को बिल्कुल खाली और शांत करना है, लेकिन वो तो संभव ही नहीं होता. क्योंकि, हमारा ब्रेन इस तरह से वायर नहीं है कि वो खाली हो सके, बल्कि वो इस तरह से बना है कि उसका काम ही है सोचना. यानी हमारा दिमाग और उसके अंदर के विचार एक नदी की तरह है और मेडिटेशन का काम है इसको निर्देशित करना, ताकि जो फ्लो है वो एक पॉजिटिव डायरेक्शन के अंदर चले.



हमारी अनचाहे नकारात्मक सोच, परेशानी और काम को दबाव को बहुत आसान तरीके से मेडिटेशन नियंत्रित किया जा सकता है. यह आपके स्ट्रेस हॉर्मनो के स्तर को कम करेगा और मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर करेगा. इससे आप बहुत हल्का, कूल और आराम का अनुभव करेंगे और तनाव चला जाएगा. फिर आपके बाकी हॉर्मोन्स (insulin, growth hormone melatonin) अच्छे से काम करेंगे और आपके digestive issues भी कम हो जाएंगे. आपकी नींद बहुत बेहतर होगी.


ये स्ट्रेस हॉर्मोन के रिलीज को कम करने का एक नॉन मेडिकेटेड तरीका है, क्योंकि मेडिटेशन की प्रैक्टिस से आपके विचार नियंत्रित होने लगते हैं और आप व्यवस्थित हो जाते हैं. ये ओवर थिंकिंग को कम करता है, जिससे ओवरऑल आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ती है.


कैस खत्म हो तनाव?


आजकल की तेज जीवनशैली और तनावग्रस्त समय में हमारे दिमाग में कई बार बहुत सारे विचार चल रहे होते हैं. इन विचारों के बीच हम अपना मेंटल प्रैक्टिस खो देते हैं. इन विचारों को हैंडल करने में अपनी सारी ऊर्जा लगा देते हैं. लेकिन यही अगर आप मेडिटेशन की प्रैक्टिस करें तो आप इन विचारों को एक दर्शक के तौर पर देख पाएंगे, इन पर नजर बना पाएंगे, क्योंकि मेडिटेशन की प्रैक्टिस करने से आपको इन विचारों पर कंट्रोल करना आ जाता है. इससे आपके विचार कम होंगे, धीरे होंगे और बेहतर व प्रभावी होंगे. 


जो भी व्यक्ति मेडिटेशन को अपनी लाइफ का हिस्सा बना लेते हैं, उनको विचारों पर कब प्रतिक्रिया देनी हैं, इस बात की प्रैक्टिस हो जाती है. फिर कितनी भी नकारात्मकता क्यों न हो, आप उसके ऊपर नियंत्रण करना सीख जाते हैं.


आजकल के समय में सभी को मेडिटेशन की जरूरत है. जो कहते हैं हम बहुत व्यस्त रहते हैं या बहुत व्यस्त हैं, उनको ज्यादा जरुरत है, इसके लिए न ही कोई सीरियस पोज में  बैठना है न ही कोई खास जगह बनानी है. आप इसे आसानी से अपने घर या ऑफिस में कर सकते हैं. मेडिटेशन के फायदे के लिए आपको पूरी तरह से इसकी प्रक्रिया को जानना और अपनाना जरूरी है. मेडिटेशन के साथ-साथ आपको अपने कोरिस्ट्रोल के लेवल्स को ठीक करने के लिए आपको सोने से दो घंटे पहले खाना खाना है, क्योंकि जो देर रात डिनर करते हैं उन लोगों में भी स्ट्रेस हॉर्मोन बढ़ा हुआ देखा गया है.


इसलिए खाने और सोने में दो घंटे का अंतर खने से आपकी बॉडी उसको अच्छे से डाइजेस्ट भी कर पाएगी. इसके साथ ही, रात को सोने का एक टाइम फिक्स करना है और सोने से पहले एक डायरी लिखने की आदत डालनी है. जैसे कि जो भी आपके साथ हुआ है वो आपको लिखना है. एक ग्रेटिट्यूड जर्नल बनाना है, ताकि हमारे पास जो है उसके लिए हमें अपना ग्रेटिट्यूड दिखाना है. इस नेचर को धन्यवाद बोलना है कि हमें इतनी अच्छी लाइफ मिली है.


क्योंकि हमारे पास जो सुविधाएं हैं, बहुत से लोग हैं जिनके पास वो सुविधाएं वो हेल्थ, वो फैमिली या फिर शुभचिंतक वो मौके हैं ही नहीं. इसलिए जो हमारे पास नहीं है,उसके लिए हम कितना भी डिमांड करते रहे, ये चीजें तो नॉन स्टॉप चलती रहेंगी.जैसे  पढ़ाई हो, जॉब हो, बिजनेस  या हमारी लाइफ, एक इच्छा के बाद दूसरी इच्छा, फिर दूसरी के बाद अगली इच्छा. 


इसलिए हमारे पास जो भी है उसके लिए हर दिन हमें थैंकफुल होना है, हमारी हेल्थ के लिए, हमारी फैमिली के लिए, हमारे करियल के लिए भी और भी बहुत सारी वजहें हैं हमारे पास थैंकफुल होने के लिए. इसके आलावा सोने से पहले ब्लूस्क्रीन को ऑफ करना है. सोने से पहले उससे दूरी बनानी हैं ताकि melatonin सही रिलीज हो. आपको अच्छी और deep sleep आये और सबसे महत्वपूर्ण है कि मैडिटेशन को अपनी जीवनशैली में जरूर शामिल करें.


तब आपको अपनी शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए बहुत ज्यादा प्रयास करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि मेडिटेशन आपके दिमाग को शांति, खुशी, देता हैं. 




[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]