हिंदू समाज प्राचीन समय से ही अपने आराध्यों की पूजा करता रहा है. मेवात के अंदर, जिसे अब नूंह जिले के तौर पर जानते हैं, गत कई वर्षों से हिंदू समाज शिव मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए सावन के महीने में जाता रहा है. इस बार 31 जुलाई को जो यात्रा वहां पर गई, तो नूंह में तिरंगा चौक पर कुछ उपद्रवियों ने जलाभिषेक यात्रा में शामिल गाड़ियों पर हमले शुरू कर दिए, पत्थर बरसाने शुरू कर दिए, उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दी.


जिस तरह का वहां घटनाक्रम था, उससे बिल्कुल स्पष्ट है कि सोची समझी साजिश के तहत हिंदू समाज पर हमला किया गया है. चार मंजिल छत पर लोगों ने वो पत्थर रखे हुए थे, जो रेलवे लाइन के पास पत्थर पड़े होते हैं. हिन्दू समाज बिल्कुल शांति से यात्रा कर रहा था. अगर पहले से कोई आशंका होती तो इस यात्रा में हजारों महिलाएं और बच्चे नहीं होते. कुछ उपद्रवियों ने षड्यंत्र रचकर कई गाड़ियों में आग लगा दी. बहुत लोगों को घायल कर दिया. कई लोगों की जानें चली गई. उन्होंने पुलिसकर्मियों को भी घायल किया. थानों में गाड़ियां जला दी. वजह केवल एक थी कि जो लोग इस देश में शांति नहीं रहने देना चाहते हैं, उन्होंने ये साजिश रची.


ये भी एक विचारणीय विषय है कि सरकार की एजेंसियों को साजिश के बारे में नहीं पता चला. लेकिन ऐसा हुआ क्यों? सवाल है कि ऐसा षड्यंत्र रचा क्यों गया? इसकी पड़ताल होनी चाहिए. प्रशासन फेल रहा होगा, एजेंसी फेल रही होगी, लेकिन मूल मुद्दा वो नहीं है. मूल मुद्दा ये है कि षड्यंत्र रचा क्यों गया? ऐसा लगता है कि वहां तीन-चार दिनों पहले से एक योजना बनाई जा रही थी. मंदिर के सामने ये पथराव कर रहे थे. जब पुलिस ने रोका तो पहाड़ियों से गोलियां बरसा रहे थे. नलहर महादेव मंदिर के अंदर महिलाओं, बच्चे फंसे हुए थे और चारों तरफ से मंदिर को घेर लिया गया.



ऐसा लगता है कि वहां जलियांवाला कांड वहां होने वाला था. हालांकि देर से ही सही प्रशासन ने पहुंचकर हालात को संभाला. इस घटना की जितनी निंदा की जाए, वो कम है.


मेरा प्रशासन से निवेदन है कि जो लोग षड्यंत्रकारी हैं, जो लोग जिहादी मानसिकता वाले हैं,  उन लोगों की तुरंत पहचान करके उनको पकड़ा जाए और सख्त कार्रवाई की जाए. इनकी संपत्ति को जब्त कर जिनका जानमाल का नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई की जाए. इन लोगों ने भारत विरोधी कार्य किया है और उन्हें ये एहसास कराना होगा.



मोनू मानेसर का वीडियो अब का नहीं है, पहले का है. दूसरा मोनू वहां नहीं था. ऐसी जानकारी मिल रही है कि प्रशासन ने उसे पहले ही आने से मना कर दिया था. मोनू को आड़ बनाकर कुटिल मानसिकता के लोग इस अराजकता को ढकना चाहते हैं. मोनू उसमें शामिल नहीं है. इतने लोग.. इतने पत्थर, तलवारें, लाठियां, गोलियां कहां से आईं..ये मूल मुद्दा है. इसका कारण मोनू नहीं है. मोनू के नाम पर ये लोग प्रशासन को गुमराह करना चाहते हैं.


इस योजनाबद्ध षड्यंत्र का पर्दाफाश होना ही चाहिए. हमने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है. हमने पहले भी ये मांग की है कि ये बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र है और यहां स्थायी तौर से अर्धसैनिक बलों की तैनाती की व्यवस्था की जाए. यहां पर बीच-बीच में घटनाएं होती रहती हैं. कई बार पाकिस्तान परस्त लोग पकड़े गए हैं. इस समस्या का समाधान अब स्थायी रूप से ही होना चाहिए.


ये सब जानते हैं कि मेवात मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. हिंदू वहां कम हैं. मुस्लिम समुदाय के गलत रवैये के कारण काफी हिन्दू वहां से पलायन कर गए हैं. गांव के गांव खाली हो गए हैं. जब लोग पलायन कर रहे हैं, तो इससे ही समझ में आती है कि कुछ गड़बड़ है. इसमें शासन-प्रशासन को चिंता करने की जरूरत है. ये देश का एक हिस्सा है. यहां सारा समाज मिलकर रहे. हिंदू समाज शांति प्रिय है, लेकिन बार-बार उनके स्वाभिमान को ललकारा जाता है.


कुछ स्थानों पर हिंदू समाज की ओर से भी घटनाएं की गई हैं, लेकिन इसके पीछे भी कुछ असमाजिक तत्व ही हैं. ये दिखाने की कोशिश है कि हिंदू समाज ने भी किया है. जो कबाड़ी की दुकानें जली हैं, वो भी वैसी हैं जो अतिक्रमण करके बनाई गई थी. उन घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया और बताया जा रहा है. नूंह की घटना छोटी घटना नहीं है. हिंदू समाज में इस घटना को लेकर रोष तो है ही. ये बहुत बड़ी घटना है. मेवात और हरियाणा के साथ पूरे देश में आक्रोश है इस बात को लेकर कि किस तरह से एक समाज के शांतिपूर्ण यात्रा में दूसरे समाज के लोगों ने ऐसी हिंसा की.


भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो, इसके लिए सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. जो सामने से दिख रहे थे उनकी पहचान कर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही इसके पीछे और कौन लोग हैं, उनकी पड़ताल होनी चाहिए. ये भी जांच होनी चाहिए कि इसमें मेवात से बाहर बैठे लोगों का तो हाथ नहीं है. सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले लोगों की भी पहचान कर उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.


जिसने भी ऐसा षड्यंत्र रचा... चाहे इसमें कोई भी शामिल हो, सबके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो. ऐसी घटनाओं से राजनीतिक फायदा उठाने वाले दोनों तरफ हैं. हमें इस राजनीति से ऊपर उठना होगा. समाज को इस राजनीति से ऊपर उठना होगा. राजनीतिक लोग अपना काम करते हैं, लेकिन समाज रहना चाहिए. पार्टियां आएंगी, चली जाएंगी. लेकिन अगर समाज में एकता और भाईचारा रहेगा तो ये राष्ट्र उन्नति करेगा. ये हर किसी को सोचना चाहिए.


[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]