कांग्रेस के नेताओं पर एक के बाद एक जिस तरह से ED का शिकंजा कसता जा रहा है, उससे साफ संकेत मिलता है कि आने वाले दिन पार्टी के लिए बेहद मुश्किल भरे हो सकते हैं. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से गुरुवार को सात घंटे तक हुई ईडी की पूछताछ के बाद कांग्रेस और भड़क उठी है और उसका आरोप है कि ये सब राजनीतिक बदला लेने के मकसद से हो रहा है. लेकिन सरकार ने इससे साफ इंकार करते हुए कहा है कि वह जांच एजेंसियों के कामकाज में कोई हस्तक्षेप नहीं करती है.


नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच जिस दिशा में आगे बढ़ रही है,उसे लेकर जांच एजेंसी के सूत्रों का दावा है कि 15 अगस्त से पहले ही इस मामले में अगर कोई बड़ी कार्रवाई देखने को मिले,तो किसी को हैरत नहीं होनी चाहिए.


संसद सत्र की कार्यवाही के दौरान विपक्ष के नेता को पूछताछ के लिए समन करने का मसला राज्यसभा में भी गरमाया. वैसे आमतौर पर ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी मामले में विपक्ष के नेता को अगर आरोपी बनाया भी गया, तब भी संसद की कार्यवाही के दौरान जांच एजेंसियों ने उनको पूछताछ के लिए तलब नहीं किया हो. इसलिये कांग्रेस को ये कहने का मौका मिल गया कि सरकार अपनी जांच एजेंसी के जरिये स्थापित संसदीय परंपराओं की धज्जियां उड़ा रही है. इसे लेकर सदन में विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक हुई.


दरअसल, ईडी ने खड़गे को गुरुवार की दोपहर पूछताछ के लिए तलब किया था लेकिन उन्होंने वहां जाने से पहले राज्यसभा में इसका खुलासा करते हुए सरकार को घेरने की कोशिश की. खड़गे ने कहा कि मुझे दोपहर 12:30 बजे बुलाया गया था. मैं कानून का पालन करना चाहता हूं, लेकिन क्या संसद सत्र के दौरान उनको समन करना सही है? क्या पुलिस के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी के आवास का घेराव करना सही है? वे हमें डराने के लिए जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं. हम डरेंगे नहीं, हम लड़ेंगे. सच तो ये है कि केंद्र सरकार कांग्रेस से डरी हुई है.


हालांकि खड़गे की शिकायत पर सरकार ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए अपना रुख़ साफ करने की कोशिश की.अब ये अलग बात है कि सरकार के इस दावे पर कितने लोगों को यकीन होता है. लेकिन हक़ीकत तो ये है कि आज़ादी के बाद से लेकर अब तक जितनी भी सरकारें आई हैं, उनसे मिलने वाले फरमान के मुताबिक
ही केंद्रीय जांच एजेंसियां अपने काम करने की दिशा तय करती हैं.


राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि केंद्र का इससे कोई लेना-देना नहीं है. गोयल ने कहा, सरकार प्रवर्तन अधिकारियों के काम में हस्तक्षेप नहीं करती है. शायद उनके कार्यकाल के दौरान, जब उनकी यानी कांग्रेस की सरकार थी, वे हस्तक्षेप कर रहे थे. गोयल ने कहा कि प्रवर्तन एजेंसियां कानून के मुताबिक अपना काम कर रही हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं, जिन्होंने कुछ गलत किया है. 


वहीं कांग्रेस सांसद व पार्टी के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि यह शुद्ध उत्पीड़न है.प्रतिशोध की हद है. महंगाई, बेरोजगारी और खाद्य पदार्थों पर जीएसटी के खिलाफ 5 अगस्त को सभी राज्यों में होने वाली कांग्रेस की विरोध रैली से पहले मोदी सरकार ने यह ड्रामा रचा है. सोनिया गांधी के आवास और कांग्रेस मुख्यालय के बाहर कई सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था. उल्लेखनीय है कि ईडी ने खड़गे को सात घंटे लंबी पूछताछ के बाद रात 8.30 बजे मुक्त किया.जबकि उन्हें विपक्ष से उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के लिए शाम 7:30 बजे रात्रिभोज की मेजबानी करनी थी.


कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी सरकार पर हमला बोला कि लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि जब संसद का सत्र चल रहा हो तो किसी जांच एजेंसी द्वारा विपक्ष के नेता को तलब किया गया हो. अगर मल्लिकार्जुन खड़गे को तलब करना होता, तो यह सुबह 11 बजे से पहले या शाम 5 बजे के बाद किया जा सकता था.मोदी जी इतने डरे हुए क्यों हैं? महंगाई के मुद्दे को उठाने के लिए कांग्रेस के सभी सांसद शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन तक मार्च करेंगे.


उधर, राजद नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी सीधे आरोप लगाया कि चाहे ईडी हो, सीबीआई हो या आईटी हो, दुर्भाग्य से ये सभी एजेंसियां बीजेपी के सेल के रूप में काम करती हैं. ये संवैधानिक जांच एजेंसियां बीजेपी के लिए खिलौने की तरह हैं. अब सवाल उठता है कि ईडी का ये शिकंजा कौन-सा नया सियासी तूफ़ान लाने वाला है?


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