भारत ने अपनी अध्यक्षता में राजधानी दिल्ली में जी-20 का एक भव्य एवं सफल आयोजन किया. विश्व के इतने सारे नेताओं का एक साथ, एक समय नई दिल्ली में आगमन पहली बार -जी-20 के माध्यम से सम्भव हो पाया है. भारत ने दो दिन चलने वाले इस सम्मेलन का विषय "वसुधैव कुटुम्बकम" रखा एवं इसी को परिलक्षित करते हुए सम्मेलन में तीन सत्रों में एक पृथ्वी, एक परिवार एवं एक भविष्य पर विस्तृत चर्चा की गई. भारत ने इस पूरे आयोजन में अपनी सभ्यता, संस्कृति, संस्कारों, मान्यताओं, प्रतीकों को भी बेहद अनूठे तरीके से प्रदर्शित किया. इस सम्मेलन की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है और भारत के नए कद और नए मेयार को भी दुनिया देख रही है. नई दिल्ली का आयोजन अब तक के सबसे सफलतम जी-20 के रूप में देखा जाएगा क्योंकि अब तक के जी-20 में 25-30 मुद्दों पर ही आम सहमति बन पाती थी लेकिन दिल्ली समिट में 73 विषयों पर सहमति बनी.


दिल्ली घोषणापत्र ऐतिहासिक 


नई दिल्ली में आयोजित जी-20 ऐतिहासिक माना जाएगा क्योंकि सर्वसम्मति से नई दिल्ली में आए हुए जी-20 के नेताओं ने साझा घोषणापत्र जारी किया जो कि पिछले जी-20 शिखर सम्मेलन में नहीं हो पाया था, जिसका आयोजन इंडोनेशिया के बाली द्वीप में हुआ था. यहां तक कि सम्मेलन के अंत में सभी नेताओं की विभिन्न विषयों पर सर्वसम्मति भी ऐतिहासिक ही है. यह जी-20 के इतिहास में पहली बार हुआ है. यह भारत के कुशल नेतृत्व एवं दूरदर्शी राजनय को दर्शाता है.  इस जी-20 में विभिन्न प्रकार के विषयों पर चर्चा करते हुए पूरे विश्व के लिए एक बेहतर भविष्य की कामना की गई. नई दिल्ली के जी-20 में बायोफ्यूल एलाइंस, सोलर एलाइंस पर काम करने पर सहमति बनी. भारत के नेतृत्व में क्लाइमेट एक्सचेंज प्रोग्राम, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, क्रिप्टो करेंसी एवं भ्रस्टाचार निरोध पर भी मिलकर काम करने को बल मिला है. यह पूरा आयोजन मानवीय मूल्यों को एक नई राह दिखाता हुआ नजर आता है. मानवता को ही केंद्र में रखकर, मानव केंद्रित इंक्लूसिव विकास का मार्ग भी इस जी-20 से प्रशस्त हुआ है. ऐसा भी माना जा रहा है कि नई दिल्ली का जी-20 एवं इसमे की गई विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा आने वाले कई वर्षों तक सिर्फ जी-20 के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक मील का पत्थर साबित होंगे. अगले जी-20 की मेज़बानी अब 2024 में ब्राजील करेगा. 


 

आतंकवाद पर दुनिया एक

 

नई दिल्ली के जी-20 में आतंकवाद पर भी विस्तृत चर्चा हुई एवं आतंकवाद के विभिन्न स्वरूपों की भी कठोर से कठोर शब्दों में इसकी निंदा भी की गई. यहां तक कि आतंकवाद को पारिभाषित एवं व्याख्यातित भी किया गया. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए जी-20 की यह बैठक मील का पत्थर साबित होगी. आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ भी आतंकवाद को पारिभाषित करने में विफल रहा है लेकिन जिस प्रकार से नई दिल्ली के जी-20 ने इसको व्यापक तरीके से पारिभाषित किया है यह आगे चलकर यूएन को भी एक नई राह दिखाएगा. यह भी भारत की एक बहुत बड़ी कूटनीतिक एवं रणनीतिक जीत है. अब विदेशी धरती से चलाये जा रहे आतंकवादी गतिविधियों पर रोकथाम लग सकती है चाहे वह खालिस्तान ही क्यों न हो क्योंकि अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि सभी मुख्य देशों ने इसका समर्थन किया है. 

 

रूस-यूक्रेन युद्ध पर सटीक डिप्लोमैसी

 

प्रधानमंत्री मोदी ने बिना रूस यूक्रेन का नाम लिए बिना कहा कि आज का युग, युद्ध का युग नहीं है, यह शांति का समय है और इसलिए हमें अपने सारे विवादों का निपटारा शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिए उन्होंने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स की भी बात की, अवैध हथियारों की तस्करी, परमाणु युद्ध की धमकी, किसी देश की जमीन को जोर जबरदस्ती हथिया लेना आदि मामलों को भी पुरजोर तरीके से उठाया और ऐसा करने वाले देशों को कहीं ना कहीं यह चेताया गया कि विश्व शांति के लिए ऐसी हरकतें ठीक नहीं है. हमें सबको साथ लेकर चलना चाहिए जिससे विश्व का कल्याण होगा. यही वसुधैव कुटुम्बकम है, सनातन है, "हिंदू बैलेंस ऑफ पॉवर" है जो सबको साथ लेकर चलने की बात करता है. इसलिए मोदी ने जी-20 की बैठक के दौरान कहा 'सबका साथ - सबका विकास - सबका विश्वास - सबका प्रयास'.

 

अफ्रीकन यूनियन का साथ, ग्लोबल साउथ की बढ़ती ताकत

 

नई दिल्ली जी-20 में भारत के पुरजोर प्रयासों से अफ्रीकन यूनियन के देशों को भी जी-20 की सदस्यता मिल गई आने वाले समय में अब G-21 कहलायेगा. अफ्रीकन यूनियन सदस्यता एवं ग्लोबल साउथ से संबंधित कई विषयों पर भारत ने जिस प्रकार नेतृत्व किया एवं आम सहमति बनाई उससे भारत की अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता एवं मान्यता बढ़ी है और ग्लोबल साउथ के सारे देश भारत को एक आदर्श के रूप में मान रहे हैं. हालांकि,  जिस प्रकार से सम्मिट में सर्वसम्मति से घोषणापत्र आया जोकि वर्तमान वैश्विक राजनीति में एक दूर की कौड़ी माना जा रहा था उसे भी भारत ने अपनी लग्न, दूरदर्शिता एवं राजनीतिक सूझबूझ से यह असंभव काम भी कर दिखाया. इस आयोजन के माध्यम से कहीं ना कहीं भारत ने पूरे विश्व को यह भी दिखाया है कि वह न सिर्फ ग्लोबल साउथ के देशों का ही नेतृत्व कर सकता है बल्कि वह पूरे विश्व का नेतृत्व करने के लिए अब तैयार है. इसके साथ ही इस आयोजन से भारत ने यह भी तय किया है कि बेवजह भारत के सामने आनेवाले देशों को न केवल मुंह की खानी होगी, बल्कि भारत अपने प्रतियोगियों से कहीं आगे निकल वैश्विक मंच पर नेतृत्व के लिए तैयार है. 

 

भारत की विश्व गुरु बनने की जो चाहत है, अब लगता है कि इस जी-20 का सफल आयोजन, उसमें एक मील का पत्थर साबित होगा. यह अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार एवं भारत के स्थाई सदस्यता का मार्ग भी प्रशस्त करेगा. जी-20 का सफल आयोजन एवं सर्वसम्मति के साथ जी-20 नेताओं का साझा घोषणा पत्र ऐतिहासिक है. इसने भारत एवं भारतीय राजनय के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय लिख दिया है और अब भारत को इस तरह के कई और अंतरराष्ट्रीय आयोजन एवं विश्व को नेतृत्व देने के लिए अपने आप को अब तैयार कर लेना चाहिए.




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