23 जून 2013, ये तारीख याद है आपको? करीब चार साल पहले इसी दिन भारत ने इंग्लैंड को हराकर चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी. क्या इस तारीख से पहले भारतीय क्रिकेट में आया भूचाल याद है आपको? साल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम के रवाना होते वक्त भारतीय क्रिकेट स्पॉट फिक्सिंग के तूफान से जूझ रहा था.



हालात तब और गंभीर हो गए थे जब कप्तान धोनी ने टीम की रवानगी के वक्त स्पॉट फिक्सिंग पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया था. जिसकी वजह से उनकी जमकर आलोचना हुई थी. ऐसे भूचाल से निकालकर धोनी ने टीम को फाइनल तक पहुंचाया और फिर खिताब जीता.



2013 चैंपियंस ट्रॉफी ने धोनी के करियर को एक और नया मुकाम दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे पहले वो बतौर कप्तान टीम इंडिया को 2011 में विश्व कप जीता चुके थे, दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम बना चुके थे. आईपीएल और चैंपियंस लीग जैसे खिताब तो उनकी झोली में थे ही.


इन कामयाबियों के बाद भी धोनी को जमकर आलोचना का शिकार होना पड़ा था. आपको याद दिला दें कि उनकी पत्नी साक्षी जोशी को अभिनेता विंदू दारा सिंह के साथ मैच देखते देखा गया था. अभिनेता विंदू दारा सिंह की गिरफ्तारी के बाद ये सवाल उठना लाजमी था कि वो साक्षी को कैसे जानते हैं.


इसके साथ-साथ चेन्नई सुपर किंग्स के गुरूनाथ मयप्पन की गिरफ्तारी भी धोनी के लिए परेशानी का सबब बनी हुई थी. धोनी चेन्नई की टीम के कप्तान होने के साथ-साथ बोर्ड अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के मालिकाना हक वाली कंपनी इंडिया सीमेंट्स के वाइस प्रेसीडेंट भी थे. ऐसे में जब एन श्रीनिवासन पर आरोपों की बौछार हो रही थी तो धोनी उससे अछूते नहीं रह सकते थे.


इन सारी पेचीदगियों के बीच धोनी ने टीम को चैंपियन बनाया था. आज करीब चार बरस बाद भारतीय क्रिकेट और भारतीय क्रिकेट के कप्तान लगभग वैसे ही मोड़ पर खड़े हैं. सवाल यही है कि क्या विराट वो कारनामा कर पाएंगे जो महेंद्र सिंह धोनी ने किया था?


आपको याद ही होगा कि इस बार भी चैंपियंस ट्रॉफी शुरू होने से पहले टीम इंडिया भी एक बार फिर विवाद के घेरे में आई. कप्तान विराट कोहली और कोच अनिल कुंबले के बीच विवाद की खबरें मीडिया में हेडलाइन बनीं. बीसीसीआई ने इन बातों को खंडन किया.


बावजूद इसके नए कोच के विज्ञापन के एलान की ‘टाइमिंग’ ऐसी थी कि कोई भी मानने को तैयार नहीं हुआ कि कोच और कप्तान में सब सामान्य है. दरअसल, ये सच है कि अनिल कुंबले का कार्यकाल एक साल तक के लिए ही था, लेकिन सचिन-सौरव-लक्ष्मण की तिकड़ी ने उन्हें पिछले साल बगैर किसी अनुभव के चुना था तब ये मानना कठिन है उन्हें सिर्फ एक साल के लिए चुना गया होगा.


कुंबले को ये जिम्मेदारी उनकी काबिलियत के आधार पर दी गई थी ना कि तजुर्बे के आधार पर. उसके बाद बतौर कोच कुंबले का प्रदर्शन भी शानदार रहा. जाहिर है जब उनके हटने या हटाए जाने की सुर्खियां इधर-उधर से ‘लीक’ हुईं तो उसका असर टीम के मनोबल पर पड़ा होगा. इस विवाद के केंद्र बिंदु में चूंकि विराट कोहली भी थे इसलिए उन पर अतिरिक्त दबाव था कि वो टीम को एकजुट रखें. टूर्नामेंट में अब तक इस काम को करने में वो कामयाब रहे हैं.


भारतीय टीम ने दोनों वॉर्म-अप मैच जीते. इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 124 रनों की बड़ी जीत हासिल की. श्रीलंका के खिलाफ भी भारतीय टीम के प्रदर्शन को बुरा नहीं कहा जा सकता है. हां, गेंदबाजों को कामयाबी नहीं मिली इसलिए भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा.


इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में ऐसी स्थिति थी कि हार मतलब खाली हाथ घरवापसी करना था. लेकिन अब रविवार को दक्षिण अफ्रीका को हराकर भारतीय टीम चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में जगह बना चुकी है. मौजूदा चैंपियन टीम खिताब से सिर्फ दो कदम की दूरी पर खड़ी है. सेमीफाइनल में उसे अपेक्षाकृत कमजोर मानी जाने वाली बांग्लादेश की टीम से सामना करना है.


अब तक पूरे टूर्नामेंट में भारतीय टीम का प्रदर्शन जैसा रहा है उसके आधार पर ये बात कही जा सकती है कि बांग्लादेश की टीम के लिए एक और उलटफेर करना बहुत मुश्किल होगा. ये सच है कि बांग्लादेश ने 2007 विश्व कप समेत कुछ मौकों पर भारतीय टीम को चौंकाया है लेकिन ये कुछ मौके ही हैं. चैंपियंस ट्रॉफी में विराट ऐसा मौका नहीं आने देंगे.