औरंगज़ेब के बारे में संपूर्ण विश्व को पता है कि वो एक विदेशी आक्रांता था, जिसने भारत में आकर कोहराम मचाया था. उसने न सिर्फ आतंकवाद, अलगाववाद और मजहबी कट्टरता को बढ़ाया, बल्कि भारत की संपत्ति को हड़पने का काम किया. उसने भारत की अस्मिता को लूटा, हजारों मंदिरों को जमींदोज कर दिया. यहां की लाखों बहन-बेटियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया और धर्मांतरण कर नि:सहाय हिन्दुओं को इस्लाम में कन्वर्ट किया. 

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उसका व्यवहार काफी कष्टकारी था, जो उस वक्त के समाज ने साक्षात् देखा और झेला. हालांकि, करीब 300 वर्षों से अधिक का समय होने के बावजद भी औरंगजेब वाली मानसिकता देश के अंदर से समाप्त नहीं हो पा रही है.

संभाजी नगर जिसे वीर शिवाजी के बेटे के नाम पर ऊपर रखा गया है, और जिस तरह से चालीस दिनों तक संभाजी महाराज को औरंगजेब ने यातनाएं देकर मारा, ऐसे दुर्दांत आतंकी की कब्र संभाजी नगर में होने पर देश में काफी आक्रोश है.

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औरंगजेब वाली मानसकिता

इन्हीं सब चीजों को ध्यान में रखकर बजरंग दल के कार्यकर्ता संभाजी नगर में बनी औरंगजेब की कब्र को उखाड़ने का अभियान छेड़ेंगे. शिवाजी महाराज की पुण्य जयंती पर बजरंग दल इस काम को करने के लिए आगे बढ़ा और तय किया कि संपूर्ण महाराष्ट्र में सैकड़ों स्थानों पर धरने प्रदर्शन और ज्ञापन देकर ये मांग करेंगे कि ऐसे आतंकी की कब्र जो एक गुलामी का प्रतीक है, वो संपूर्ण भारत को चिढ़ा रही है.

ऐसे प्रतीक चिह्नों का संपूर्ण नाश करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि गुलामी के प्रतीकों को भी हटाना है और गुलामी से भरी मानसिकता को भी हटाना है.

सरकार को अवगत कराया जाएगा कि ये कब्र वहां से हटाई जाए क्योंकि भारत की पुण्य धरा पर उसके लिए कोई स्थान नहीं है. ऐसे क्रूर शासक को जो लोग अपना मजहबी रहनुमा या पूर्वज मानते हैं, ऐसे लोगों को भी इस बात का सबक मिलेगा कि औरंगजेब का वास्ता किसी मत प्रंथ समुदाय या किसी भारत के व्यक्ति के साथ हो ही नहीं सकता.

वो न भारतीय था और न ही भारत की मूल विचारधारा से कोई उसका मतलब था. फिर ऐसे व्यक्ति की कब्र वहां पर क्यों रहनी चाहिए? इसी संकल्प के साथ वीएचपी की तरफ से प्रदर्शन तय किया गया.

तुष्टीकरण का चल रहा था खेल

पिछले 70-75 वर्ष यानी आजादी के पूर्व ऐसा लग रहा था कि गुलामी की मानसिकता लोगों में खत्म हो जाएगी. दुर्भाग्य से कुछ तुष्टीकरण की नीति के कारण कुछ लोगों ने औरंगजेब को अपना रहनुमा समझ लिया. , औरंगजेब के हिमायती लोगों को भी ये समझ में आ रहा है कि अब ऐसे आक्रांत के साथ रहने से खुद उनका ही नुकसान होने वाला है. 

हां, कांग्रेस ने जिस तरह के बीज बोए थे और जिस तरह का महिमा मंडन उसने किया था, ऐसे में कांग्रेस की कोख से जन्मे जितने भी राजनेता और पार्टियां हैं, वही इस काम को कर रहे थे. अब समय आ गया है कि इस मानसिकता को खत्म करना है और वैसे नेताओं को भी सबक सिखाना है. बजरंग दल हमेशा रहा ऐसी बातों के खिलाफ

आपको याद होगा कि जब एमएफ हुसैन ने हिन्दू देवी देवताओं और मां भारती की तस्वीर बनाई थी, उस समय उन्हें भारत से भागना पड़ा था. ऐसा बजरंग दल के संकल्प की वजह से ही मुमकिन हो पाया था. कई जगहों पर जब मुकदमें दर्ज हुए और शिकायतें हुईं, उसके बाद उन्हें भारत छोड़ना पड़ा. जब एमएफ हुसैन निर्वासन में थे, उस वक्त उनकी मौत होने के बाद ये कोशिश हुई थी कि उनकी कब्र भारत में बने. लेकिन बजरंग दल ने उस संकल्प के साथ कहा था कि किसी भी सूरत में मां भारती का अपमान करने वाले शख्स की कब्र देश में नहीं बनने देंगे. शव को नहीं लाने देंगे. 

ये संकल्प बजरंग दल ने पूरा करके दिखाया. जब अमरनाथ यात्रा को रोकने का काम 90 के दशक में किया गया था, उस वक्त भी बजरंग दल ने उस चुनौती को स्वीकार किया था. आतंकियों ने कहा था कि कोई आएगा तो अपने पैर पर नहीं जा पाएगा. उस समय करीब 50 हजार बरजंग कार्यकर्ता उस यात्रा पर निकले थे. उस वक्त से आज तक अनवरत ये यात्रा चली आ रही है. इसी तरह कर्नाटक और मेवात में यात्रा की शुरुआत की गई. देशभर में आतंकियों से लड़ने का काम बजरंग दल ने किया है. आज इस काम को भी बजरंग दल ने अपने हाथ में लिया है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]