दिल्ली के जहांगीर पुरी इलाके में अवैध निर्माण पर चले बुलडोजर ने सियासी पारा तो बढ़ाया ही है, लेकिन एक बड़ा सवाल ये भी खड़ा कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा यथास्थिति बनाये रखने का आदेश देने के बाद भी दो घंटे तक तोड़फोड़ की कार्रवाई आखिर क्यों नहीं रोकी गई? इसके लिए सिर्फ एमसीडी यानी दिल्ली नगर निगम ही दोषी है या फिर मौके पर मौजूद आला पुलिस अफसर भी जिम्मेदार हैं? कानूनी जानकारों के मुताबिक गुरुवार की सुबह जब इस मामले पर सुनवाई होगी, तो माननीय न्यायाधीशों की बेंच सबसे पहला सवाल ही यही करेगी और हो सकता है कि कोर्ट संबंधित विभागों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई का नोटिस भी जारी कर दे.

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सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण हुआ है या नहीं और किसी ख़ास समुदाय को निशाना बनाने को लेकर क्या ये एकतरफा कार्रवाई की गई? ऐसे तमाम सवालों पर जिरह तो बाद में होगी लेकिन कोर्ट पहले ये जवाबदेही तय करेगी कि उसके आदेश पर अमल करने में क्या जानबूझकर देरी की गई और यदि ऐसा हुआ,तो उसके लिए कौन-से अफसर जिम्मेदार हैं, क्योंकि ये सीधे तौर पर न्यायालय की अवमानन का मामला बनता है. जाहिर है कि याचिकाकर्ता के वकील भी सारा जोर पहले इस पर ही देंगे. कितनी हैरानी की बात है कि देश की राजधानी में सर्वोच्च न्यायालय के किसी अहम आदेश को तामील करने में इतनी लापरवाही बरती जा सकती है, तो दूरदराज के जिलों में क्या हाल होता होगा.

सुप्रीम कोर्ट का स्टे आदेश देने के बाद भी दो घंटे तक इलाके में तोड़फोड़ की कार्रवाई चलती रही. ऐसा भला कैसे संभव हो सकता है कि ऐसे संवेदनशील व अहम मामले की सुनवाई के दौरान एमसीडी के सीनियर एडवोकेट या केन्द्र सरकार के अटॉर्नी जनरल अथवा कोई सॉलिसिटर जनरल चीफ जस्टिस की कोर्ट में मौजूद ही न हो? सुप्रीम कोर्ट के वकील रवींद्र कुमार के मुताबिक, "इस मामले में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने महज़ सवा पांच पंक्तियों का अपना आदेश दिया है. उनके आदेश dictate करवाने के तुरंत बाद एमसीडी और अन्य संबंधित विभागीं के सरकारी वकीलों की पहली कानूनी जवाबदेही ये बनती थी कि वे तत्काल संबंधित विभाग के आला अफसरों को सूचित करते कि कार्रवाई फौरन रोक दी जाये क्योंकि माननीय न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी है. लिहाज़ा, अब माननीय न्यायाधीश ये तय करेंगें कि उनके आदेश को लागू कराने में आखिर चूक किस स्तर पर हुई और उसकी क्या वजह थी."

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बुधवार की सुबह ज्यों ही सुप्रीम कोर्ट ने तोड़फोड़ को कार्रवाई रोकने का आदेश दिया, तो पल भर में ही इसकी जानकारी जहांगीरपुरी में इस घटना की कवरेज कर रहे सभी मीडियाकर्मियों को मिल चुकी थी. उन्होंने इस बारे में एमसीडी और पुलिस अफसरों से पूछा भी कि कोर्ट का स्टे आर्डर आने के बाद भी आप कार्रवाई क्यों नहीं रोक रहे, तो उन्हें यही जवाब मिला कि जब तक हमें आदेश की कॉपी नहीं मिल जाती, कार्रवाई जारी रहेगी. इसकी खबर जब सीपीएम नेता वृन्दा करात को मिली, तो वे आदेश की कॉपी लेकर जहांगीरपुरी पहुंची और बुलडोजर के सामने खड़े होकर आर्डर की कॉपी लहराते हुए तुरंत कार्रवाई रोकने की मांग की. उन्होंने मौके पर मौजूद दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी दीपेन्द्र पाठक को भी आदेश की कॉपी देते हुए तुरंत कार्रवाई रोकने को कहा.

इसके बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं सिर्फ एक बात को लेकर आई कि जो तोड़फोड़ की जा रही थी वह गैरकानूनी है. उन्होंने कहा कि हमारे सीनियर वकील ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का सुबह जो आदेश दिया है लेकिन उसके बावजूद तोड़फोड़ चल रही है, इसलिए खुद आर्डर की कॉपी लाई हूं. उसके बाद ही बुलडोजर की आवाज़ बंद हुई. लेकिन इलाके के मुस्लिम परिवार फिलहाल इसीलिये ख़ौफ़ज़दा हैं कि न जाने कब इसकी आवाज उनके छोटे-से घर, दुकान को खंडहर में तब्दील कर दे?

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)