चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम का सफर 4 जून से शुरू हो रहा है. 4 जून को भारतीय टीम इस टूर्नामेंट के सबसे ‘हिट’ मैच को खेलने के लिए मैदान में उतरेगी. मुकाबला बर्मिंघम में होगा और सामने टीम होगी पाकिस्तान. इसके बाद 8 जून को टीम इंडिया को श्रीलंका और फिर 11 जून को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैदान में उतरना है. चैंपियंस ट्रॉफी से पहले टीम इंडिया के तेज गेंदबाजों को लेकर खूब चर्चा हो रही है.


ये बात सच भी है कि इस वक्त भारतीय टीम के तेज गेंदबाजों की तिकड़ी यानि उमेश यादव, भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी जबरदस्त लाइन लेंथ के साथ गेंदबाजी कर रहे हैं. कप्तान कोहली के लिए खुशी की बात ये है कि तेज गेंदबाजों के साथ साथ उनकी टीम में शामिल दोनों स्पिनर भी इंग्लैंड में शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं. पिछली चैंपियंस ट्रॉफी के आंकड़े इन दोनों स्पिन गेंदबाजों के पक्ष में हैं. जाहिर है इन दोनों गेंदबाजों के प्रदर्शन पर भी चर्चा होनी चाहिए.


पिछली चैंपियंस ट्रॉफी में अश्विन-जडेजा चमके

आपको याद दिला दें कि चैंपियंस ट्रॉफी के पिछले संस्करण में रवींद्र जडेजा भारत के सबसे कामयाब गेंदबाज थे. रवींद्र जडेजा ने 5 मैचों में 12 विकेट लिए थे. 3.75 का उनका इकॉनमी रेट भी शानदार था. उन्होंने ना सिर्फ सबसे ज्यादा विकेट लिए थे बल्कि सबसे ज्यादा 5 मेडन ओवर भी फेंके थे. मौजूदा क्रिकेट में मेडन ओवर का महत्व गेंदबाजी टीम के कप्तान से बेहतर कोई नहीं जानता.


रवींद्र जडेजा ने वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में 36 रन देकर 5 विकेट भी चटकाए थे. उस मैच में उन्हें मैच ऑफ द मैच चुना गया था. टीम के अनुभवी स्पिनर आर अश्विन ने 5 मैच में 8 विकेट लिए थे. इसमें उनका इकॉनमी रेट सिर्फ 4.4 का था. आर अश्विन ने भी 5 मेडन ओवर फेंके थे. इस तरह इन दोनों स्पिन गेंदबाजों ने मिलकर कुल 20 विकेट साझा किए थे.


दिलचस्प बात ये है कि 20 विकेट ही तेज गेंदबाजों की तिगड़ी को भी मिले थे. ईशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार और उमेश यादव की तिगड़ी ने मिलकर 20 विकेट लिए थे. इसमें ईशांत शर्मा के 10, भुवनेश्वर कुमार के 6 और उमेश यादव के 4 विकेट शामिल हैं. फाइनल मैच में भी रवींद्र जडेजा को मैन ऑफ द मैच चुना गया था.


कुछ कुछ पिछले जैसे ही हैं हालात


पिछली बार भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में खेले गए 5 मैचों में से 2 मैच कार्डिफ में खेले थे, 2 मैच बर्मिंघम में और 1 मैच ओवल में. चैंपियंस ट्रॉफी इसी मौसम में खेली गई थी. पाकिस्तान और इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए दो महत्वपूर्ण मैच बर्मिंघम में खेले गए थे. इस बार भी भारतीय टीम को पाकिस्तान के खिलाफ टूर्नामेंट का पहला मैच बर्मिंघम में ही खेलना है.


पिच और मैदान के मिजाज से भारतीय टीम के दोनों खिलाड़ी वाकिफ हैं. इंग्लैंड की पिचों को मिजाज भी भारतीय पिचों के मिजाज से कोई बहुत अलग नहीं है. इंग्लैंड की विकेटों को भी अगर ‘पाटा विकेट’ ही कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है. जाहिर है ऐसी पिचों पर स्पिन गेंदबाज असरदार साबित होंगे. विकेट से जिस तरह की मदद अश्विन या जडेजा को चाहिए वो मिलेगी, लाइन लेंथ और ‘टर्न’ के मामले में जडेजा ने कई बार ये साबित किया है कि वो बहुत परिपक्व स्पिनर हैं.


सौ की सीधी बात ये है कि इतने बड़े टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले कोच अनिल कुंबले के साथ अनबन की खबरों को अगर छोड़ दिया जाए तो कप्तान विराट कोहली के लिए ये स्थिति सोने पर सुहागा जैसी है. ऐसा इसलिए क्योंकि पहली बार पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा चर्चा भारतीय गेंदबाजों को लेकर हो रही है. जो निश्चित तौर पर स्वाभाविक है.