12 अप्रैल को मंगलवार वाले दिन अमेरिका के न्यूयॉर्क के सबवे स्टेशन पर हुए हमले से पूरा देश दहल उठा है. वहां की खुफिया एजेंसियां भी ये पता लगा पाने में फिलहाल कामयाब नहीं हो पाई हैं कि आखिर इसके पीछे किस ताकत का हाथ है. चूंकि रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग को डेढ़ महीने से ज्यादा हो चुका है. अमेरिका ने रूस का विरोध करते हुए खुलकर यूक्रेन का साथ दिया है. इसलिए एक आशंका ये दिख रही है कि क्या रूस ने कोई ऐसा तानाबाना बुना कि दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति को उसके घर में ही घेर दिया जाए? हालांकि इस सवाल का जवाब फिलहाल अमेरिकी सरकार के पास भी नहीं है कि वो इस हमले के लिए पुख्ता तौर पर किसे दोषी ठहराए. क्योंकि दुनिया की सबसे मुस्तैद मानी जाने वाली पुलिस और खुफिया एजेंसियां उस हमलावर का सुराग तक नहीं तलाश पाई हैं.


लेकिन इतिहास हमें ये भी याद दिला रहा है कि अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को जब दुनिया का सबसे ख़तरनाक आतंकी हमला हुआ था, तब भी वो मंगलवार का ही दिन था. वह हमला भी सुबह के वक्त ही हुआ था, जब अल कायदा के आतंकियों ने दो अमेरिकी यात्री विमानों को न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड टॉवर की दो गगनचुंबी इमारतों से टकराया था. उस हमले में तकरीबन तीन हज़ारों लोगों की मौत हुई थी. उस हमले से न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया दहल गई थी. तब से इसे दुनिया के सबसे ख़ौफ़नाक आतंकी हमलों में गिना जाता है.


लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क में भी इस कदर लापरवाही बरती जाती है, जिस  पर पहली नज़र में कोई भी यकीन ही नहीं करेगा. लेकिन मंगलवार और बुधवार की दरम्यानी रात में करीब दो बजे ताजा हालात जानने के लिए हमने जब 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की वेबसाइट को खंगाला, तो वहां से ताजातरीन लेकिन जो हैरतअंगेज जानकारी मिली, वो यहां हूबहू प्रस्तुत है- "The search for the gunman was being hampered Tuesday afternoon by the fact that none of the security cameras inside the subway station that might have captured the scene were in operation, according to a senior law enforcement official briefed on the investigation."


इस बयान के अनुसार, "हमले की जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा है कि हमलावर की तलाश में हमारे लिए सबसे बड़ा रोड़ा तो ये आ गया है कि सबवे स्टेशन पर लगे सिक्युरिटी कैमरों में से कोई एक भी काम नहीं कर रहा था, जो उसकी तस्वीर कैद कर पाता." इसे न्यूयॉर्क पुलिस-प्रशासन के सबसे बड़े नाकारापन के रूप में देखा जा रहा है. वह भी तब जबकि उसी शहर ने 21 बरस पहले दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी हमले को झेला-देखा है. वह न्यूयॉर्क, जहां हर सड़क के चप्पे-चप्पे पर कैमरे लगे हुए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि न्यूयॉर्क शहर के ब्रुकलिन सबवे स्टेशन पर लगे सारे कैमरे अचानक खराब कैसे हो सकते हैं?      


लिहाज़ा, ये हमला किसी ऐसी सुनियोजित आतंकी साजिश की तरफ इशारा करता है, जहां वहां लगे कैमरों को खराब करने की तरफ सबसे पहले ध्यान दिया गया. ये हरकत उस सबवे स्टेशन पर तैनात कर्मचारियों की मिलीभगत के बगैर मुमकिन हो ही नहीं सकती. ब्रुकलिन स्टेशन पर हुई इस गोलीबारी और धमाके में 16 लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से 10 लोग गोली लगने से जख्मी हुए हैं और दो लोगों की हालत गंभीर है. न्यूयॉर्क पुलिस के अनुसार हमलावर गैस का मास्क पहन कर आया था. एएफपी न्यूज एजेंसी के मुताबिक घटनास्थल से पुलिस को कई बम बरामद हुए हैं. जबकि न्यूयॉर्क पुलिस डिपार्टमेंट ने जिंदा बम मिलने की घटना से इंकार किया है. लेकिन न्यूयॉर्क सिटी अग्निशमन विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा है कि दमकल कर्मियों को सनसेट पार्क के पास 36 स्ट्रीट स्टेशन से धुआं निकलने की सूचना मिली थी. उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर कई लोगों को गोली मारी गई और विस्फोटक भी बरामद किया गया है.


चूंकि हमलावर फिलहाल पुलिस की पकड़ में नहीं आया है. लिहाज़ा इस नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी कि इसके पीछे ISIS जैसे आतंकी संगठन का हाथ है या फिर रूस की भी इसमें कोई साजिश हो सकती है. लेकिन ये हमला दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति समझे जाने वाले देश की सुरक्षा कमजोरियों की पोल खोलता है कि अफगानिस्तान में न जाने कितने अरबों डॉलर बहाने वाला और अब यूक्रेन को झोली खोलकर हर तरह की मदद दे रहे उसी अमेरिका के लोग खुद अपने ही घर में कितने असुरक्षित हैं!


दुनिया के अलग-अलग देशों के नागरिकों की मनो- स्थिति का विश्लेषण करने वाले मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि बाकी देशों के मुकाबले अमेरिका में रहने वाले लोग बहुत जल्द डरते-सहमे हैं. वहां होने वाले किसी मामूली अपराध की हिंसा ही उन्हें इतना डरा देती है कि ऐसी किसी आतंकी हमले को देख-सुनकर तो वे और भी ज्यादा खौफजदा हो जाते हैं. इसलिए न्यूयॉर्क प्रांत के एक शहर में हुई इस घटना ने पूरे अमेरिका को दहला कर रख दिया है. लेकिन सबसे ताकतवर मुल्क की पुलिस की बेचारगी तो ये है कि उसके पास हमलावर की कोई पुख्ता तस्वीर नहीं है और वह चश्मदीदों से मिली जानकारी के आधार पर ही उसका हुलिया तैयार कर अंधेरे में तीर चलाने की कोशिश में जुटी हुई है. कोई नहीं जानता कि इसमें वो किस हद तक कामयाब होगी?


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