भोपाल इस मायने में अनोखा है कि यहां पर मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री का निवास बहुत पास-पास हैं. श्यामला हिल्स के मुख्यमंत्री निवास और सिविल लाइंस के पूर्व मुख्यमंत्री निवास के दोनों बंगलों की दीवारों को बीच की एक सड़क ही दूर करती है.
कमलनाथ जी करीब पंद्रह महीने श्यामला हिल्स के बंगले में रहने के बाद अब पिछले पांच महीने से सिविल लाइंस के बंगले में रह रहे हैं और श्यामला हिल्स के बंगले में जाने के दावे कर रहे हैं. इसमें गलत कुछ भी नहीं है. राजनीति में आने वाले हर व्यक्ति को बड़े सपने देखने और बड़े दावे करने का हक होता है.
कमलनाथ के बंगले में रोज सुबह भीड़ लग रही है. ये सब वो लोग हैं जिनको आने वाले विधानसभा चुनावों में टिकट लेकर चुनाव लडना है. कमलनाथ हमेशा की तरह जल्दी में अपने बंगले से निकलते हैं और आफिस में जाने से पहले सबसे मिलते हैं. टिकट चाहने वालों को वह यही नसीहत देते हैं कि देखो सर्वे में नाम होगा तो टिकट मिलेगा वरना मैं झूठा आश्वासन नहीं देता. मुझे यहां कांग्रेस को सत्ता में वापस लाना है. किसी को खुश करना नहीं है और मैं जानता हूं कि यह काम आसान नहीं है. इसलिए मेरा साथ दीजिए और पार्टी जिसको टिकट दे रही है उसे सहयोग करिए. पिछली लिस्ट में कई ऐसे नाम हैं जिनको मैं जानता नहीं था और मिला भी नहीं था मगर सर्वे में उनके नाम सामने आए और मैंने उनको चुना तो पार्टी ने उनको टिकट दिया, अब चलो चलो मुझे प्रेस से बात करनी है.
ये कमलनाथ हैं, अनुभव इतना कि इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक यानि की तीन पीढ़ियों के साथ सहजता से काम करने वाले. हमेशा काम से काम रखने वाले और हमेशा काम की बात ही बोलने और सुनने वाले. लॉन में खड़े हम प्रेस के लोगों से बात करने आए तो वही जल्दी में थे, देखो मैं ज्यादा बातें नहीं करता. जनता ने हमारी सरकार के पंद्रह महीने का काम देखा है. चाहे कर्जा माफी हो या फिर सौ रुपये में सौ यूनिट बिजली के बिल कम करने के उपाय जनता सब जानती है हमें फिर वोट करेगी और हम फिर सरकार बनाएंगे.
प्रेस से कुछ सवाल आए तो कर दिया हमला शिवराज और सिंधिया पर और कहा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह बहुत सारे झूठ बोलते हैं और अब तो सिंधिया भी झूठ बोलना सीख गए हैं. मगर हम सरकार बनाएंगे क्योंकि जनता ने पंद्रह साल की सरकार के बाद हमारी पांच महीने की सरकार भी देखी है, चलो-चलो अब बहुत हो गया. ये कहकर वह फिर कुछ कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिले और टाटा सफारी में बैठ कर चल दिए एयरपोर्ट की तरफ जहां उनको विशेष विमान से दिल्ली जाना था बाकी के नामों पर आलाकमान से चर्चा करने के लिए.
उधर सिविल लाइंस से थोडी ही दूरी पर मिंटो हाल में मंच सजा है जहां पर प्रदेश के प्रतिभाशाली विदयार्थियों को लेपटॉप बांटने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आए हुए हैं, उनके साथ शिक्षा मंत्री और कृषि मंत्री भी हैं सामने थोड़े-बहुत लोग, मगर इस कार्यक्रम का प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय में सीधा प्रसारण हो रहा है.
शिवराज सिंह बेहद प्रसन्न हैं इसलिए लगे हाथ सवाल भी पूछ लेते हैं वहां बैठे अपने सहयोगियों और अफसरों से कि आपको मालूम मैं सबसे ज्यादा खुश कब होता हूं, थोडी देर की शांति के बाद वे ही राज खोलते हैं जब मैं अपने भांजे भांजियों से बात करता हूं, ये लेपटॉप की राशि बांटना तो बहाना है मुझे तो अपने इन बच्चे-बच्चियों से बात करनी हैं.
रीवा और सतना के बच्चे सीएम से बात करते हैं तो गुड मार्निंग मामा जी से शुरू होते हैं. बच्चों की प्रतिभा से खुश मामा उनकी पढ़ाई-लिखाई और दिव्यांगता का इलाज कराने का जिम्मा भी साथ बैठे कलेक्टर को देते हैं तो बच्चे अपने घर-परिवार की परेशानियां भी मामा जी को बताने लगते हैं. किसी नेता का इतना बेहतर संवाद तंत्र हो तो वो कुर्सी से भले उतर जाए दिल से नहीं उतरता. मगर शिवराज तो यहां भांजे भांजियों को अपनी कुर्सी से उतरने का किस्सा सुनाना भी नहीं भूलते. कहते हैं बीच में हम कुछ समय मुख्यमंत्री नहीं रहे तो क्या हुआ रोज भागना दौड़ना जारी रखा, भिड़ जाते थे सरकार से तो लो फिर मुख्यमंत्री बन गए.
बच्चों से संवाद खत्म हुआ तो बाहर खड़े प्रेस से भी वही बेफ्रिकी से बातचीत की. तीखा सवाल आया कि कमलनाथ कहते हैं आप बहुत झूठ बोलते हो तो जबाव दिया अच्छा आजकल कमलनाथ जी मुझ पर बहुत रूठे हैं तो सुनो आपको गिनाता हूं झूठ कौन बोलता है मैं या कमलनाथ और शिवराज जी का एक लंबा सा बयान. उसके बाद फिर आया सवाल तो आप कितनी सीट जीतोगे तुरंत शिवराज जबाव देते हैं पूरी क्योंकि जनता ने पंद्रह महीने बनाम पांच महीने की हमारी सरकार देख ली है अब जनता उनको नहीं हमें ही चुनेगी, अच्छा अब छोड़ो जाने दो बहुत सारे कार्यक्रम हैं और शिवराज अपनी फॉरचूनर में बैठ कर चल दिए एयरपोर्ट की तरफ जहां हेलीकाप्टर से उनको प्रदेश में दो तीन जगह कार्यक्रम करने जाना था और हम हैरान है कि इस चुनाव में मुददा क्या होगा. पंद्रह साल बनाम पंद्रह महीने की सरकार या पंद्रह महीने बनाम पांच महीने की सरकार. बूझिये.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)