धोनी बहुत समझदार क्रिकेटर हैं. छोटे शहर से आते हैं. देश को गर्व के तमाम लम्हें उन्होंने दिए हैं. उनके दिमाग में इस वक्त कुछ बातें जरूर होगीं. वैसे भी इस देश में क्रिकेट खिलाड़ियों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. मसलन- ये वही देश है जहां सचिन तेंडुलकर के पुतले भी लोगों ने जलाए हैं. ये वही देश है जहां भारत की हार को देखकर लोगों ने स्टेडियम में आग लगाई है. इन बातों की या इस तरह की प्रतिक्रियाओं की वकालत कोई नहीं करता है. करनी चाहिए भी नहीं. लेकिन फैंस की प्रतिक्रियाओं को समझना भी जरूरी है. भूलना नहीं चाहिए कि क्रिकेट फैंस ने ही सचिन तेंडुलकर को भगवान की पदवी भी दी थी. उनके नाम की चालीसा बनाई गई.



इसी देश में एक विज्ञापन बनता है- ये भारत का क्रिकेट है बीडू, जीते तो ताली बीडू- हारे तो गाली बीडू. ये सारी बातें याद करने के बाद एक स्वाभाविक सवाल उठता है कि महेंद्र सिंह धोनी आखिर अपने संन्यास को लेकर किस बात का इंतजार कर रहे हैं. टीम इंडिया को 3 अगस्त से वेस्टइंडीज में करीब एक महीने तक चलने वाली सीरीज खेलनी है. इस सीरीज में 3 वनडे, 3 टी-20 और 2 टेस्ट मैच खेले जाएंगे. इस सीरीज के लिए टीम इंडिया का चयन रविवार को मुंबई में किया जाएगा. विश्व कप की हार के बाद पहली बार चयनकर्ता इसी बैठक के लिए इकट्ठा होंगे.

धोनी ने अब और बढ़ा दिया सस्पेंस
धोनी ने क्रिकेट फैंस का सस्पेंस और बढ़ा दिया है. उन्होंने दो महीने पैरा मिलिट्री की ट्रेनिंग में जाने का फैसला किया है. अब सवाल ये है कि धोनी दो महीने बाद जब वापस आएंगे तो उन्हें किस आधार पर टीम में चुना जाएगा. वेस्टइंड़ीज से लौटने के तुरंत बाद ही भारतीय टीम को दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी करनी है. उस सीरीज में पहले 3 टी-20 मैच खेले जाएंगे. फिर 3 टेस्ट मैच होंगे और आखिरी में 3 वनडे मैच खेले जाने हैं. वनडे मैच अक्टूबर के तीसरे हफ्ते के आस पास खेले जाएंगे. तब तक धोनी के दो महीने की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी होगी.

लेकिन अगर वो उस वनडे सीरीज में खेलना चाहेंगे तो उनकी वापसी का आधार क्या होगा. ये भी मुमकिन नहीं है कि धोनी किसी तरह के घरेलू टूर्नामेंट से अपनी फॉर्म और फिटनेस को साबित करेंगे. इसके अलावा ऋषभ पंत का क्या होगा? इस तरह के तमाम सवाल हैं जो इस दो महीने के ब्रेक में छुपे हुए हैं. कुल मिलाकर क्रिकेट के मैदान में अपने भविष्य को लेकर धोनी ने सस्पेंस कम करने की बजाए बढ़ा दिया है.

क्या धोनी अपनी ही छवि तोड़ेंगे
टेस्ट क्रिकेट से धोनी का संन्यास याद कीजिए. 2014 में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी और अचानक एक दिन धोनी ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला किया. इसके बाद वनडे टीम की कप्तानी छोडने की प्रक्रिया कुछ ऐसी ही थी. उन्होंने खुद ही ये प्रस्ताव रखा कि विराट कोहली को कप्तानी सौंप देनी चाहिए. वो विराट की कप्तानी में खेलने के लिए तैयार थे. उनके करोड़ो चाहने वालों ने हमेशा ये बात कही कि धोनी टीम पर बोझ बनकर नहीं रह सकते. जिस दिन उन्हें लगेगा कि वो टीम में किसी यंगस्टर का रास्ता रोक रहे हैं वो मैदान को छोड़ देंगे. अफसोस, वो स्थिति अब नहीं है. आज उनके साथी खिलाड़ी खुलकर पूछ रहे हैं कि क्या धोनी को अब यंगिस्तान की फिक्र नहीं रही.

क्या अब धोनी उस स्थिति में हैं जहां जब वो संन्यास का ऐलान करेंगे तो लोग उनसे पूछेंगे कि अभी तक क्यों नहीं. उम्र के लिहाज से धोनी 38 पार कर चुके हैं. इस विश्व कप में उनकी सुस्त बल्लेबाजी की आलोचना हर किसी ने कर दी. सेमीफाइनल में जब वो बैटिंग ऑर्डर में ऊपर नहीं आए तो हर किसी को लगा कि अब वो बड़ी जिम्मेदारी से बचना चाह रहे हैं. ऐसे में क्या धोनी इन सभी बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं? क्या वो फैंस की उसी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं जो कहीं से जायज नहीं लेकिन उसे कोई रोक भी नहीं सकता.