आखिरी टी-20 मैच में विराट कोहली नहीं खेल पाए. रोहित शर्मा ने कप्तानी की. भारत ने रन भी ज्यादा नहीं जोड़े. टी-20 सीरीज के तीनों मैचों में सबसे कम 172 रन भारतीय टीम तीसरे टी-20 में ही बना पाई. टीम में कई बदलाव भी थे. दिनेश कार्तिक, अक्षर पटेल जैसे खिलाड़ियों को प्लेइंग-11 में मौका दिया गया.


इन सभी बातों के बावजूद टीम इंडिया ने बेहद रोमांचक मैच में दक्षिण अफ्रीका को 7 रन से हरा दिया. ये जीत विशुद्ध रूप से भारतीय गेंदबाजों की और खिलाड़ियों की एकजुटता की है. इस जीत के साथ ही तीन टी-20 मैच की सीरीज में 2-1 से उसका कब्जा हो गया.

इससे पहले भारतीय टीम ने 6 वनडे मैचों की सीरीज में भी 5-1 से जीत दर्ज की थी. अगर पूरी सीरीज के 3 टेस्ट मैच, 6 वनडे और 3 टी-20 मैचों को जोड़ दिया जाए तो 12 मैचों में से 8 मैच भारत ने जीते. क्रिकेट के जानकार अब भी यही मानते हैं कि अगर टेस्ट सीरीज में भी प्लेइंग 11 सही होता तो टेस्ट सीरीज पर भी भारतीय टीम का ही कब्जा होता.
खैर, अब इस सीरीज की जीत के जश्न का मौका है. जश्न की सबसे बड़ी है कि भारतीय टीम ने ये सीरीज अपने घर में नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीम के घर में जीती है. इस जीत का संदेश बहुत सकारात्मक है. अब भारतीय टीम जीत के लिए अपने मनमाफिक पिचों के भरोसे नहीं है. दूसरा बड़ा संदेश ये है कि भारतीय बल्लेबाजों से नहीं अब भारतीय गेंदबाजों से भी डरने का वक्त आ गया है.

हार से शुरूआत, जीत से अंत
नए साल की शुरूआत में भारतीय टीम जब दक्षिण अफ्रीका पहुंची तो इस बार पर खूब चर्चा हो रही थी कि ये दौरा विराट कोहली और बाकि टीम के लिए कड़ा इम्तिहान होगा. विराट कोहली ने दौरे की शुरूआत में प्रैक्टिस मैच खेलने से मना करके भी माहौल गर्मा दिया था. इसके बाद भारतीय टीम को पहले और दूसरे टेस्ट मैच में हार का सामना करना पड़ा. ऐसा लगा कि अब अगले दो महीने टीम इंडिया और उसके फैंस पर भारी पड़ने वाले हैं. अब आए दिन हार की खबरों के साथ ही सोना और उठना पड़ेगा, लेकिन हुआ इसका उल्टा.

दो टेस्ट मैच हारने के बाद भी टीम इंडिया के खिलाड़ियों का मनोबल कमजोर नहीं पड़ा. जोहांसबर्ग में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में टीम इंडिया ने 63 रन से जीत हासिल की. इसके बाद तो जो हुआ उसने कईयों को आंखें मलने पर मजबूर कर दिया. वनडे सीरीज शुरू हुई और भारत ने दुनिया की नंबर एक वनडे टीम को कॉलेज की टीम बनाकर रख दिया. 6 विकेट, 9 विकेट, 124 रन, 73 रन और 8 विकेट के अंतर से मिली जीत से आप भी अंदाजा लगा सकते हैं कि जीत का अंतर कितना बड़ा था. डकवर्थ लुइस से प्रभावित एक मैच में मेजबान टीम जीत गई वरना पूरी वनडे सीरीज में टीम इंडिया का परचम लहराता रहा.

अब हमारे बल्लेबाजों से नहीं गेंदबाजों से डरिए
टेस्ट सीरीज के तीनों मैच में भारतीय टीम के गेंदबाजों ने 20-20 विकेट लिए. टेस्ट मैच में जीत के लिए विपक्षी टीम के 20 विकेट चटकाना पहली जरूरत होती है. जिसमें टीम इंडिया के गेंदबाज कामयाब हुए. भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी ने पूरी सीरीज में शानदार गेंदबाजी की. विदेशी पिचों का इस्तेमाल कई बार उन्होंने मेजबान टीम के गेंदबाजों से भी बेहतर अंदाज में किया. शमी ने 15, बुमराह ने 14 और भुवी ने 10 विकेट चटकाए.

वनडे सीरीज में तो दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल की स्पिन के जाल में ही उलझे रह गए. कुलदीप यादव के 17 और यजुवेंद्र चहल के 16 विकेट इस बात की गवाही देते हैं. टी-20 में भी मेजबान टीम, टीम इंडिया के सामने उन्नीस ही दिखाई दी. दिलचस्प बात ये भी है कि जिस दक्षिण अफ्रीका की फील्डिंग पूरी दुनिया में मशहूर थी उस मामले में भी कई बार टीम इंडिया उससे बेहतर दिखाई दी.

पूरी सीरीज के दौरान भारतीय टीम के गेंदबाज अपनी रफ्तार, उछाल और वेरिएशन से मेजबान टीम को परेशान करते रहे. विदेशी पिच पर भारतीय गेंदबाजों के सामने मजबूर दिग्गज बल्लेबाजों को देखना, इससे ज्यादा सुखद और क्या हो सकता है.