रोहित शर्मा भारतीय क्रिकेट की पहेली हैं, ‘मिस्ट्री’ हैं. पहेली इसलिए क्योंकि बतौर खिलाड़ी उन्हें समझना बहुत मुश्किल काम है. जब वो रंग में हैं और बड़ी बड़ी पारियां खेलते हैं तो वो पारियां भी किसी पहेली से कम नहीं होतीं. वनडे में विश्व क्रिकेट के 7 में से 3 दोहरे शतक में उनकी बल्लेबाजी याद कीजिए आपको ताज्जुब होगा.  दरअसल, भारत में नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट को रोहित शर्मा की काबिलियत पता है, लेकिन जब वो बेरंग होते हैं तो वो औसत से भी कमजोर खिलाड़ी दिखने लगते हैं.


यहां सवाल फॉर्म का कतई नहीं है, क्योंकि फॉर्म तो दुनिया के महान से महान खिलाड़ी की खराब होती है, सवाल उस ‘बॉडी-लैंग्वेज’ का है जो रोहित शर्मा में दिखती है. कई बार मैदान में उतरने के बाद उनके खेल में वो जुझारूपन नहीं दिखता. आउट ऑफ फॉर्म होने के बाद भी उनमें क्रीज पर वो सतर्कता और सजगता नहीं दिखती जो फॉर्म में वापसी के लिए जरूरी है. वो कुछ शानदार शाट्स खेलकर पारी की शुरूआत करते हैं. कुछ रन जोड़ते हैं. फिर एक गलत शॉट खेलकर आउट हो जाते हैं.

हालिया दक्षिण अफ्रीका सीरीज इस बात की गवाह है. जहां टेस्ट सीरीज में उनकी नाकामी का सिलसिला शुरू हुआ वो आखिर तक चला. बीच में एक वनडे शतक उन्होंने जरूर लगाया लेकिन वो फॉर्म में वापसी की बात साबित करने के लिए नाकाफी है. इन्हीं बातों के मद्देनजर श्रीलंका की ट्राएंगुलर सीरीज रोहित शर्मा के लिए काफी अहम है.

बल्लेबाजी के साथ साथ कप्तानी का दारोमदार
ट्राएंगुलर सीरीज में रोहित शर्मा को टीम इंडिया की कप्तानी करनी है. इस फॉर्मेट में कप्तानी का उन्हें तजुर्बा है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी-20 सीरीज के आखिरी मैच में भी उन्होंने विराट की गैरमौजूदगी में कप्तानी की थी. जिस मैच में भारत ने जीत दर्ज की थी. इसके अलावा आईपीएल में भी बतौर कप्तान रोहित शर्मा के शानदार रिकॉर्ड्स हैं. इन्हीं बातों के आधार पर उन्हें इस सीरीज की कप्तानी सौंपी भी गई है. जो दिखाता है कि टीम इंडिया मैनेजमेंट अब भी उन पर कितना भरोसा करती है.

रोहित शर्मा को इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए सबसे पहले जिस बात पर काबू करना है वो है उनका आत्मविश्वास. उन्हें खुद पर ये भरोसा कायम करना होगा कि वो ना सिर्फ बड़े बल्लेबाज हैं बल्कि एक ‘मैच-विनर’ खिलाड़ी हैं जिनके पास ढेर सारा अनुभव है. रोहित शर्मा ‘इम्पैक्ट’ वाले खिलाड़ी हैं, उनकी बल्लेबाजी मैच के नतीजे पर सीधा असर करती है. उनकी बड़ी पारियां विरोधी टीम से मैच छीन लेती हैं. इन काबिलियतों को आत्मविश्वास का ‘कुशन’ चाहिए. जो सिर्फ और सिर्फ रोहित शर्मा ही कर सकते हैं यानी दूसरों के भरोसे पर खरा उतरने से पहले उन्हें अपने भरोसे को ताकत देनी होगी. इस सीरीज का अगर वाकई में कोई बड़ा रोल है तो वो रोहित शर्मा की फॉर्म ही है.

हालिया खराब प्रदर्शन बनाम श्रीलंका के खिलाफ रोहित
ये बात दिलचस्प है कि भले ही रोहित शर्मा का हालिया प्रदर्शन अच्छा ना रहा हो, लेकिन श्रीलंका की टीम के लिए अब भी वो किसी ‘हौव्वे’ से कम नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीलंका की टीम को पिछले साल रोहित शर्मा की धुआंधार पारियां याद हैं. उन पारियों के जिक्र से पहले रोहित शर्मा के हालिया प्रदर्शन की बात कर लेते हैं. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उन्होंने 2 टेस्ट मैच की 4 पारियों में कुल 78 रन बनाए थे. वनडे सीरीज में उन्होंने 6 मैच में 170 रन बनाए. जिसमें एक मैच में 115 रन शामिल हैं यानी बाकि के 5 मैचों में उन्होंने सिर्फ 55 रन बनाए. टी-20 सीरीज में उन्होंने 3 मैच में 32 रन बनाए.

अब श्रीलंका के खिलाफ उनके उस प्रदर्शन की बात कर लेते हैं जिसकी धूम मची थी. ये वही रोहित शर्मा है जिन्होंने श्रीलंका के खिलाफ 43 गेंद पर 118 रन ठोंक दिए थे. पिछली सीरीज में रोहित शर्मा ने 11 पारियों में 278 रन बनाए थे. उनका स्ट्राइक रेट 146 से ज्यादा है. यही फर्क है जो रोहित शर्मा को कम करना है. ये सच है कि बतौर सलामी बल्लेबाज अगर पहले पावरप्ले का फायदा उठाना है तो उन्हें कुछ ‘रिस्क’ लेना पड़ेगा, लेकिन वो ‘रिस्क’ अगर ‘कैलकुलेटेड’ हो तो रोहित शर्मा एक अलग ही अंदाज में दिखाई देंगे.