पश्चिम बंगाल में मुकुल रॉय की 'घर वापसी' के बाद बंगाल बीजेपी में बड़ा सियासी तूफान आने के संकेत मिल रहे हैं. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को अपने विधायकों के टूटकर ममता के साथ जाने का खतरा सता रहा है, लिहाज़ा सभी विधायकों को केंद्रीय बल की सुरक्षा दी गई है, ताकि उन पर पूरी निगरानी रखी जा सके. वैसे बंगाल के स्थानीय मीडिया की खबरों में दावा किया जा रहा है कि बीजेपी के ढाई दर्जन विधायक तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के संपर्क में हैं.

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टीएमसी छोड़कर बीजेपी के टिकट पर विधायक बनीं सोनाली गुहा ने तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से माफ़ी मांगते हुए ऐलानिया गुहार भी लगा दी है कि "मुझे दोबारा पार्टी में आने की इजाजत दीजिये."

कल मुकुल रॉय को दोबारा पार्टी में शामिल करते हुए ममता बनर्जी ने साफ कर दिया था कि ऐन चुनाव के वक़्त पैसों के लालच में गद्दारी करने वाले नेताओं को पार्टी में कोई जगह नहीं मिलेगी. लेकिन साथ ही उन्होंने ये इशारा भी दे दिया था कि जिन्होंने किसी जायज मजबूरी के चलते साथ छोड़ा, उनके बारे में फिर भी सोचा जा सकता है. मतलब साफ है कि ममता ये जानतीं हैं कि बीजेपी के कितने विधायक टीएमसी में आने के लिए फड़फड़ा रहे हैं. बीजेपी के कुल 77 विधायक चुने गए थे, जिनमें दो सांसद भी शामिल थे. उन दोनों ने अपनी सांसदी को तरजीह देते हुए विधायकी से इस्तीफा दे दिया है, लिहाज़ा अब पार्टी के 75 विधायक रह गए हैं. तृणमूल नेताओं का दावा है कि मुकुल रॉय की वापसी के बाद बीजेपी के लगभग आधे विधायक टीएमसी में आने को तैयार बैठे हैं.

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दरअसल, चुनाव के वक़्त ममता का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले नेताओं को यह उम्मीद थी कि राज्य में बीजेपी की सरकार बन रही है, लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट. अब उन्हें अपने उस फैसले पर पश्चाताप भी हो रहा है और ममता के उग्र तेवरों का सामना करने से डर भी लग रहा है. सत्ता का स्वाद चखने का आदी हो चुके इन विधायकों को अब लग रहा है कि अगले पांच साल तक विपक्ष में रहकर संघर्ष करना इतना आसान काम नहीं है और वह भी ममता सरकार के खिलाफ! क्योंकि वे बखूबी जानते हैं कि ममता बनर्जी अपने विरोधियों को लेकर किस हद तक सख्त मिजाज रखती हैं.

एक और वजह यह भी है कि बीजेपी की राज्य इकाई में अंदरूनी बनाम बाहरी का झगड़ा भी गहराता जा रहा है. बीजेपी के पुराने नेता चुनाव के वक्त दूसरी पार्टियों से आए नेताओं को आसानी से स्वीकार करने को तैयार नहीं हो रहे हैं. इसलिये टीएमसी छोड़कर यहां विधायक बन जाने के बाद भी पार्टी में उन्हें उपेक्षा का माहौल महसूस होने लगा है. तृणमूल से चार बार की विधायक रहीं और ऐन चुनाव के वक़्त बीजेपी में शामिल होने वाली सोनाली गुहा ने तो बाकायदा सार्वजनिक रूप से अपने इस कदम के लिए ममता बनर्जी से माफी मांगी है.

सोनाली ने कहा है, 'जिस तरह मछली पानी से बाहर नहीं रह सकती है, वैसे ही मैं आपके बिना नहीं रह पाऊंगी, दीदी. मैं आपसे माफी चाहती हूं कि मैंने पार्टी छोड़ी. कृपया पार्टी में वापस आने की इजाजत दें, ताकि मैं अपना बाकी का जीवन आपके स्नेह में बिता सकूं."

बंगाल में बीजेपी विधायकों की तड़प का अंदाजा लगाने के लिए यह एक बयान ही काफी है. मुकुल रॉय से शुरू हुए 'घर वापसी' के इस सिलसिले को बीजेपी किस हद तक रोक पायेगी, यही बड़ा सवाल है.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)