सिवान: 'साहेब' शहाबुद्दीन 11 साल बाद जेल से आज़ाद है और आम और खास सभी के बीच दहशत बरपा है. सिवान में दो दिन रिपोर्टिंग के दौरान मुझे जो अनुभव हुआ, उससे साफ ज़ाहिर है कि यहां लोगों में भयानक डर का माहौल है.
सिवान में जिससे बात करें, खौफ और दर्द की एक लंबी कहानी उभकर सामने आती है... सड़कें, गलियां और मुहल्ले सब अपनी खामोशी से 'साहेब' की आमद की गवाही दे रही हैं. सिर्फ नविश्त-ए-दीवार से पर्दा उठाने की जरूरत है. सिवान में खौफ का आलम क्या है? दहशत की बानगी कैसी है? सिवान से बलिया जाने वाली सड़क एक पर एक चाय की दुकान पर बैठे इस शख्स की जुबान सुनिए, "ए बाबू, अब शहाबुद्दीन के आदमी आइहैं और तोहसे तोहार घडी मंगिहें. नाही देबा त~ चुट देना गोली मरिहैं आ पुट देना घड़ी ले के चल जइहें". अब ऊ जउन चाहिएं उहे करीहें. (शाहबुद्दीन के लोग आएंगे और आपसे आपकी घड़ी मांगेंगे और ना देने पर गोली मारकर घड़ी लेंगे और चले जायेंगे. अब शहाबुद्दीन जो चाहेंगे वो करेंगे). ये पूछने पर कि प्रशासन क्या करता है. सिले जुबान से डर में बोल उठता है. “अब प्रशासन का कोई मतलब ही नहीं रह जायेगा. डीएम-एसपी को भी अपनी नौकरी बचानी है न, वो आगे कहते हैं.” उन्होंने शहाबुद्दीन के अतीत पर उंगली उठाते हुए कहा कि वो पहले एसपी को बात ना सुनने पर पटक के मारता था. एक पगडंडी के किनारे बैठे एक दूसरे शख्स से जब शहाबुद्दीन की रिहाई पर बात की तो उनका भी दर्द छलक उठा. उन्होंने कहा कि पहले से ही वो सूखे की वजह से परेशान थे, अब तो यही भरोसा नहीं कि हमारी थोड़ी सी ज़मीन कबतक हमारी रहेगी. करीब 65 साल के उस शख्स ने कहा कि उन्हें वो दिन याद हैं, जब शहाबुद्दीन को कोई ज़मीन पसंद आती थी तो उसके आदमी ज़मीन के मालिक के पास आकर 5-10 हज़ार रुपये देकर कहते थे कि ज़मीन लिख दो वरना जान नहीं रहेगी तो ज़मीन का क्या करोगे? सिवान में इस वक़्त ऐसी कहानी बयान करने वाले अनेक मिले. हालांकि, कुछ लोगों ने हमारे हाथ में माइक और कैमरा देखकर हमसे दूरी बनाए रखना ही सही समझा. उन्हें लगता है कि अगर टीवी में उनकी शक्ल दिखी तो शायद उनके लिए बड़ी मुसीबत आ सकती है. एक स्थानीय पत्रिका निकलने वाले पत्रकार ने शहाबुद्दीन के घर के पास बातचीत में कहा कि आने वाले दिनों में सिवान से पलायन बढ़ेंगे और बड़े व्यापारी यहां से बाहर जाना ही पसंद करेंगे. उनका मानना है कि जिस तरह का आतंक यहां के व्यवसायियों ने देखा है, अब वो वापस उसे नहीं देखना चाहेंगे.BLOG: सिवान के सिले लब की सुनिए, 'अब शहाबुद्दीन जउन चाहिएं उहे करीहें'
ABP News Bureau | 11 Sep 2016 08:05 PM (IST)