इधर एक टीवी शो में विवादित बयान के बाद क्रिकेटर हार्दिक पंड्या और लोकेश राहुल सस्पेंड हो गए हैं, वहीं एक और पुराना वीडिया आया है, जिसमें भारत के कैप्टन विराट कोहली बता रहे हैं कि वह अपनी ब्लाइंड डेट से सिर्फ इसलिए भाग निकले क्योंकि लड़की बहुत अग्ली थी. खिलाड़ियों के अग्ली चेहरे एक के बाद एक सामने आने लगे हैं. हैशटैग मीटू खेल जगत में पैर पसारे, इस बात के संकेत मिलने लगे हैं. लेकिन खेल ही क्यों, कौन सा फील्ड इससे जुदा है. बात यह है कि कितनी लड़कियों को एक साथ झोल दिया जा सकता है, इस पर सीना चौड़ा करने से लड़के परहेज नहीं करते.

Continues below advertisement

हार्दिक पंड्या वाला मामला इसी को साबित करता है. यूं पंड्या सिर्फ एक नाम है- उनकी छवि मैली करने से किसी को कुछ नहीं मिलेगा. उनका इतिहास खंगालने से भी कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं. उनका बिहेवियर स्कूल में कैसा था, टीम के बीच कैसा था... यह पता करके भी क्या मिलेगा. कोई निहायत सीधा हो, और ऐसे कमेंट करे तो क्या उसे इसकी माफी मिल जानी चाहिए. सवाल सिर्फ इतना सा है कि लड़के ऐसे दावे करने में इतना मजा क्यों लेते हैं?

पंड्या ने कॉफी विद करण में क्या कहा था.. यही कि उनकी सेक्स लाइफ बहुत दिलचस्प रही है. बहुत सी लड़कियों से उनके रिलेशन रहे हैं. घर वालों से वे कुछ छिपाते नहीं. पहली बार सेक्स हुआ तो भी उन्होंने खुलकर परिवार वालों को बता दिया. उनकी गुज्जू फैमिली ने लड़की के बारे में जानना भी चाहा. फिर उन पर गर्व किया. वह लड़कियों के मूव्स देखना इंजॉय करते हैं, वगैरह-वगैरह. करण जौहर आनंदित होते रहे. कितनी कूल फैमिली है. लड़के को सपोर्ट करती है. अब जब फैमिली ही सपोर्ट करती है तो लड़का क्यों न उत्साह में आ जाए. लोकेश राहुल के साथ इस बात का भी दावा कर बैठे कि टैलेंट पर है कि आप किस लड़की को ले उड़ो. लड़की न हो गई, गाड़ी हो गई. आपने चाबी लगाई और वह चल पड़ी. या नीलामी में पड़ी कोई चीज़- जिसमें सबसे ज्यादा बोली लगाने का टैलेंट हो, चीज़ उसकी हो गई. या सेल का सामान- पहले आओ, पहले पाओ. बस की कोई सीट, रुमाल रखा- तो सीट आपकी.

Continues below advertisement

लड़कियां यूं ही होती हैं. यूं ही दिखाई जाती हैं. फोन के विज्ञापन में आयुष्मान खुराना और दिव्येंदु शर्मा का टैलेंट उनका स्मार्टफोन है. जिसका स्मार्टफोन अच्छा है, लड़की उसी को मिल जाती है. मारक परफ्यूम की दीवानी तो लड़कियां होती ही हैं. वी आर जस्ट फेंड्स के बाद इत्र की खुशबू से लड़की लड़के पर लट्टू हो जाती है. हद तो यह है कि पार्टी में नंगे-पुंगे चले जाओ, लड़कियां घात लगाकर बैठी रहेंगी आप पर दिल फिदा करने के लिए. यहां परफ्यूम की च्वाइस आपका टैलेंट है. एक टैलेंट यह भी है कि आप ऐसा चुइंगम खरीदें, जो मस्तानी हवा चला दे. लड़की मिलने किसी और से आई हो, आपसे ही मुलाकात करना चाहे. टैलेंट कूट-कूटकर भरा हो, तभी तो लड़कियां आपके झांसे में आती हैं.

हार्दिक पंड्या ने जो कहा, उसमें क्या गलत था... हम अपने चारों ओर ऐसे सीना ठोंकने वालों को जानते हैं जो अपनी जिंदगी के तमाम अनखुले पन्नों को पलटते रहे हैं. सार्वजनिक मंच पर, या कहीं और. फिल्मों में, फिल्मी गीतों में. फिल्मों, टीवी को अपनी जिंदगी में जीना हिंदुस्तानियों को खूब आता है. सिनेमा के हीरो लड़की को छेड़ते हैं तो उनके भक्त भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चलते हैं. क्रिकेट दूसरा ऐसा फील्ड है जो हर कुछ साल बाद नए नायक गढ़ देता है. नायकों से ज्यादा संयम की उम्मीद की जाती है. लेकिन यहां तो संयम बांध तोड़े बहा जा रहा है.

मेन विल बी मेन... पांच साल पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने बयान दिया था- लड़के हैं, गलतियां करते हैं. बड़े बुजुर्ग का काम क्या है, उन्हें समझाए. हार्दिक के पिता ने भी कहा कि उनका बेटा मासूम है. करण जौहर के चैट शो की भावना में बह गया. यह एक इंटरटेनमेंट शो है और हार्दिक दर्शकों का इंटरटेनमेंट करना चाहता था. बेशक, बेटों को बिगाड़ने में घरवालों की बहुत बड़ी भूमिका होती है. हम बेटे के उग्र होने पर उतना रिएक्ट नहीं करते, जितने बेटियों के लिए करते हैं. लड़कों को लड़कियों से अलग मानते हैं. उन्हें लड़कियों के बराबर नहीं, उसकी रक्षक बताते हैं. जिसकी रक्षा की जाती है, उससे कभी-कभी खिलवाड़ भी कर लिया तो क्या बुरा है. तीन साल पहले जेल इनमेट्स के लिए काम करने वाले बेंगलूर के एक गैर सरकारी संगठन ने एक सर्वे किया था. उसमें पता लगाया था कि औरतों के खिलाफ अपराध करने वाले 67 परसेंट आदमियों के माता-पिता और बीवी उन्हें सही ही मानती हैं. 83 परसेंट के परिवार वालों को लगता है कि उन्हें फंसाया गया है. 46 परसेंट को लगता है कि एक बार गलती हो गई तो माफ कर दिया जाना चाहिए.

लड़कियों के बारे में बातें करना लड़कों को अच्छा लगता है- यह सामान्य सी बात है. ग्लोबल रिसर्च कंपनी www.onepoll.com ने एक स्टडी में पता लगाया था कि पुरुष दिन में औसत 76 मिनट दोस्तों और कलीग्स के साथ गपशप करते हैं जिसमें पीने-पिलाने, पुराने दोस्तों और सबसे ज्यादा आकर्षक लड़कियों के बारे में बातें करते हैं. उनके मुकाबले औरतें गपशप में 52 मिनट लगाती हैं. वे अपने दोस्तों के बीच गपशप करना पसंद करती हैं, जबकि पुरुष सार्वजनिक मंच पर भी शेखी बघारने से बाज नहीं आते.

हार्दिक ने भी ऐसा ही किया. जो कुछ उन्होंने कहा, वह लड़कों का स्वैग कहलाता है. वह स्वैग के बादशाह माने जाते हैं. फैशन मैगजीन जीक्यू उन्हें सौ सबसे स्टाइलिश भारतीयों में शुमार कर चुकी है. उनके बाल, कपड़े स्टाइलिश माने जाते हैं. जिस टीवी शो के चलते लेने के देने पड़े, उसका एंकर भी स्टाइलिश है. खुला हुआ भी. सत्ताधारियों के साथ उठने-बैठने वाला. उसका टीवी शो चलता रहेगा, ठीक उसी तरह जिस तरह एकाध मैच के बाद हम हार्दिक को माफ कर देंगे और भूल जाएंगे कि वह लड़कियों के बारे में क्या सोचा करते हैं.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)