बिग बॉस में इस बार शिल्पा शिंदे के विजेता बनते ही उसके वे तमाम दाग भी धुल गए हैं, जिनके कारण शिल्पा की जिंदगी पिछले कुछ समय से असहज और अशांत चल रही थी. शिल्पा एक खूबसूरत अदाकारा हैं इस बात की मिसाल वह अपने कई सीरियल में दे चुकी हैं. जब शिल्पा मार्च 2015 में एंड टीवी के सीरियल ‘भाबी जी घर पर हैं’ में अंगूरी भाभी बनकर आईं तो अपने शानदार अभिनय से शिल्पा ने सभी का ऐसा दिल जीता कि शिल्पा की लोकप्रियता में चार चांद लग गए. साथ ही नया चैनल एंड टीवी भी अपने इसी एक सीरियल के कारण एक दम सुर्ख़ियों में आ गया. लेकिन एक साल बाद शिल्पा का इस सीरियल के निर्माता सहित क्रिएटिव हेड विकास गुप्ता से इतना मनमुटाव बढ़ा कि शिल्पा ने सीरियल छोड़ने का एलान कर दिया.


पहले निर्माता ने शिल्पा को मनाने की कोशिश की लेकिन विवाद शांत होने के साथ इतना गहराया कि बाद में शिल्पा को  ‘अनप्रोफेशनल’ बताते हुए इस सीरियल से बाहर निकाल दिया गया. साथ ही कलाकारों की संस्था ‘सिन्टा’ ने भी निर्माता का पक्ष लेते हुए उस पर प्रतिबन्ध लगा दिया. इस सबसे शिल्पा को बदनामी के साथ काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा. ज़ाहिर है किसी कलाकार के सीरियल या फिल्मों में काम करने पर ही प्रतिबन्ध लगना किसी अभिशाप से कम नहीं. जहां लाख चाहकर भी वह कलाकार अपने अभिनय के आकाश में उड़ान नहीं भर सकता.


हालांकि शिल्पा ने अपनी यह लड़ाई हिम्मत से लड़ी, अपने चेहरे पर निराशा के भाव भी नहीं आने दिए. लेकिन ‘भाबी जी घर पर हैं’ के बाद से अब करीब पौने दो साल तक शिल्पा को किसी सीरियल में काम न मिलने से साफ़ है कि टीवी इंडस्ट्री में शिल्पा की इमेज इतनी खराब हो गई है कि कोई उसे काम नहीं देना चाहता. पर अब अपनी नई सफलता से शिल्पा की इमेज बदलेगी. ‘बिग बॉस-11’ का विजेता बनना शिल्पा के लिए एक वरदान साबित हो सकता है. इस सफलता से निश्चय ही शिल्पा की उदास, मायूस जिंदगी में बहार सी आ गयी है.



‘बिग बॉस’ से दिए हैं शिल्पा ने नए सन्देश


यूं बिग बॉस का विजेता बनने से किसी की तस्वीर या तकदीर नहीं बदलती. ये थोड़े समय की ख़ुशी और सफलता ही ज्यादा रहती है. इस बात की गवाही बिग बॉस के पूर्व विजेताओं की वर्तमान स्थिति से साफ़ होती है. यदि अब तक की महिला विजेताओं को ही देखा जाए तो बिग बॉस के अब तक के 11 सीजन में शिल्पा पांचवीं महिला विजेता है. शिल्पा से पहले श्वेता तिवारी, जूही परमार, उर्वशी ढोलकिया और गौहर खान बिग बॉस की विजेता रह चुकी हैं. दिलचस्प बात यह है कि ये चारों महिलाएं लगातार सीजन 4 से 7 तक विजेता बनीं. लेकिन विजेता बनने के बाद भी इन चारों को कोई बड़ा काम नहीं मिला. आज भी इनके पास कोई ख़ास काम नहीं है. इसलिए शिल्पा को भी कोई ख़ास काम मिलेगा इसकी गारंटी ‘बिग बॉस’ की ट्रॉफी नहीं देती. लेकिन शिल्पा ने इस जीत से अपने ऊपर लगे उस दाग को भी धो दिया कि वह कहीं भी टिक कर अंत तक काम नहीं करती.


मैं शिल्पा शिंदे को उसके करियर की लगभग शुरुआत से जानता हूं. शिल्पा से मेरी पहली मुलाकात सन् 2002 में दिल्ली के होटल कनिष्क (अब शंगरीला) में तब हुयी थी, जब वह अपने दूसरे सीरियल ‘आम्रपाली’ की प्रेस कांफ्रेंस के लिए आई थी. अपनी सुन्दरता और शालीनता के कारण शिल्पा ने मुझ पर तब अच्छा प्रभाव छोड़ा था. लेकिन तब से लेकर ‘भाबी जी घर पर हैं’ तक मैंने नोटिस किया कि वह अभिनय तो बेमिसाल करती हैं लेकिन अपने ज्यादतर सीरियल को बीच में ही छोड़कर अलग हो जाती हैं. आम्रपाली, हरी मिर्ची लाल मिर्ची, मायका, चिड़ियाघर और भाबी जी जैसे कई सीरियल शिल्पा किसी न किसी कारण बीच में ही छोड़ती रही हैं. लेकिन ‘बिग बॉस’ में वह अंत तक बनी रहीं. साथ ही विजेता भी बनीं.



शिल्पा की जीत के पीछे क्या है


बिग बॉस के पहले एपिसोड को देखकर ही मुझे अहसास हो गया था कि इस बार विजेता शिल्पा ही बनेगी. उसके बाद मैंने जब भी ‘बिग बॉस’ के एपिसोड देखे तब तब मेरा अहसास विश्वास में बदलता गया कि शिल्पा ही जीतेगी. इस विश्वास के जो कारण थे उनमें सबसे बड़ा कारण तो यह था कि इस बार के सभी 19 प्रतियोगियों में शिल्पा सर्वाधिक लोकप्रिय थीं. दर्शक बिग बॉस में सबसे ज्यादा उसी प्रतियोगी की निजी जिंदगी को देखना चाहते हैं जो ज्यादा लोकप्रिय या उनका ज्यादा पसंदीदा होता है. इस बार जो प्रतियोगी अधिक मशहूर थे उनमें शिल्पा शिंदे, हिना खान और हितेन तेजवानी के नाम लिए जा सकते हैं. इसलिए ये तीनों ही शुरू से जीत के मजबूत दावेदार थे. लेकिन इनके साथ एक और नाम जुड़ गया था विकास गुप्ता का.



असल में विकास गुप्ता पहले एपिसोड से तभी इसलिए सुर्ख़ियों में आ गए थे, जब यह पता लगा कि ‘भाबी जी घर पर हैं’ के शिल्पा शिंदे विवाद में चैनल हेड के रूप में उनकी अहम भूमिका थी. विकास ने ही शिल्पा के अनप्रोफेशनल व्यवहार पर उनसे कहा था कि वह उसे घर बैठा देंगे. यहां यह भी सच है कि विकास को इस बार ‘बिग बॉस’ का प्रतियोगी भी इसलिए बनाया गया कि इस विवाद के कारण दोनों के बीच शो के दौरान खूब घमासान होगा और इससे टीआरपी बढ़ेगी. हुआ भी ऐसा ही. लेकिन विकास गुप्ता जीत के चौथे सशक्त प्रतियोगी भी पहले ही दिन मुझे तब दिखने लगे थे जब टीवी क्वीन एकता कपूर ने विकास की तारीफ़ में कसीदे पढ़े. एकता यदि किसी को टीवी स्क्रीन पर आकर अपना खुला समर्थन देते हुए अपना वरदहस्त उसके सर पर रख दे तो उस प्रतियोगी की स्थिति उसे विजय द्वार तक पहुंचा सकती है. विकास का दूसरा रनर अप बनने के कारण में एकता फैक्टर भी अहम है.


उधर जब हितेन तेजवानी कुछ समय पहले शो से बाहर हो गए तो अंतिम तीन प्रतियोगी के रूप में शिल्पा, हिना और विकास ही बचते थे. इसमें कोई शक नहीं कि विकास ने ‘मास्टर माइंड’ बनकर इस गेम को अच्छे से खेला लेकिन दर्शकों में उनकी पुरानी लोकप्रियता न होने के कारण वह विजय से दो कदम दूर रह गए. इसमें भी कोई शक नहीं कि हिना खान अपने स्टार प्लस के सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में अपनी अक्षरा की भूमिका के कारण कुछ बरसों तक काफी लोकप्रिय रही थीं. लेकिन सीरियल से अलग होने के बाद अब हिना की लोकप्रियता का ग्राफ कुछ नीचे हो गया था. हिना ने सिर्फ एक सीरियल किया था और इसके बाद रियलिटी शो ‘खतरों के खिलाडी’ में हिस्सा लिया था. उसके बाद हिना चर्चा में नहीं रही. फिर ‘बिग बॉस’ में हिना के लगातार लड़ाई झगड़े इतने रहे कि उसकी नेगेटिव इमेज बन गयी. उसे बात बात पर ड्रामा करने वाली और फेक माना जाने लगा. इससे वह शिल्पा से पिछड़ती हुई साफ़ दिख रही थी. यहां तक शो के आखिरी सप्ताह में हिना और विकास को भी यह साफ़ लगने लगा था कि जीत शिल्पा की ही होगी. दोनों ने इस बात को कटाक्ष करते हुए शिल्पा को कहा भी था कि अब वह जब जीत रही हैं तो अपना रूप बदल रही हैं.


शिल्पा की जीत के पीछे उसकी सभी प्रतियोगी में अधिक लोकप्रियता के बाद जो दूसरा कारण है वह है उसका किचन प्रेम. यदि ध्यान से देखें तो शिल्पा सबसे ज्यादा किचन में नज़र आई हैं. वह सभी के लिए रोटियां, परांठे बनाती रहीं. इस सबके वावजूद कभी शिल्पा को बासी खाना खिलाने वाली तो कभी गंदे पानी में खाना बनाने वाली के तमगे दिए जाते रहे. इससे दर्शकों में शिल्पा एक ऐसी गृहणी के रूप में लोकप्रिय हो गईं जो बेचारी दिन भर सभी के लिए खाना पकाकर जी भर मेहनत करती हैं लेकिन उसके बावजूद उसे ताना मिलता है कि यह सारे दिन करती क्या है. इस तरह के प्रकरण और तानों से दर्शकों की सहानुभूति शिल्पा के लिए बढती गई. उधर बाकी प्रतियोगी जहां रणनीति बनाने और चालबाजियों में उलझे रहे वहां शिल्पा अपने रसोई अवतार में देखते देखते भाभी से ऐसी मां बन गई जो चाहे लड़ती है, चीखती है, चिल्लाती है, डांटती है पर सभी का ख्याल रखती है. उन्हें खिलाती है, पिलाती है.


यूं बिग बॉस के पहले पांच हफ़्तों में शिल्पा ने विकास गुप्ता की नाक में दम करकर उन्हें जमकर रुलाया, सताया. यहां तक विकास इन ‘जुल्म ओ सितम’ के कारण घर छोड़कर भागने को तैयार हो गए थे. पर बाद में शिल्पा ने खुद को काफी बदला और विकास और शिल्पा के संबंध काफी हद तक सुधरे भी. उससे भी शिल्पा के पक्ष में हवा बनी.



भाई आशुतोष की भी रही जीत में भूमिका


शिल्पा शिंदे की जीत में उसकी लोकप्रियता, कड़ी मेहनत, रसोई प्रेम और आत्म विश्वास के साथ जिस और कारण की अहम भूमिका रही वह कारण है शिल्पा का भाई आशुतोष शिंदे. एक तरफ घर में जहां खुद शिल्पा ने मोर्चा संभाला हुआ था वहां घर के बाहर आशुतोष ने अपनी बहन को जीताने में दिन रात एक कर दिए. आशुतोष ने शिल्पा की जबरदस्त इमेज बनाने के लिए ट्विटर सहित अन्य सोशल नेटवर्क साइट्स पर जबरदस्त अभियान चलाया हुआ था. यहां तक पी आर मैनेजमेंट के माध्यम से आशुतोष ने ऐसी व्यवस्था की हुई थी कि मीडिया को लगभग हर रोज शिल्पा के बिग बॉस को लेकर कोई न कोई पॉजिटिव स्टोरी भेजी जा रही थी. आज भी मैंने अपना मेल बॉक्स साफ़ करते हुए देखा कि बिग बॉस प्रसारण के इन तीन महीनों के दौरान मेरी मेल शिल्पा की विभिन्न स्टोरी और आकर्षक फोटोग्राफ्स से भरी ही है.


बिग बॉस के फिनाले के दौरान आशुतोष अपनी आई के साथ मौजूद भी थे. शिल्पा शिंदे का ‘बिग बॉस’ की प्रतियोगी बनने का मुख्य कारण भी यही था कि ‘भाबी जी घर पर हैं’ के बाद उसकी जो इमेज खराब हुई है उसे वह सुधार सके. शिल्पा को अपने इस मकसद में सफलता भी मिल गई है. अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि इसके बाद शिल्पा की टीवी पर वापसी कब और किससे होती है.



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