आखिर बिल्ली के गले में घण्टी कौन बांधे ? चाहते तो समाजवादी पार्टी के कई नेता है. अखिलेश यादव से लेकर रामगोपाल यादव तक. लेकिन शिवपाल यादव के आगे सब भीगी बिल्ली बन बैठे है. अपनी अपनी लाज बचाने के लिए मुलायम सिंह यादव की आड़ ले लेते है. फिर कहते है "नेताजी जो फैसला करेंगे हम सब उसे मानेंगे." अगर ऐसा ही है तो फिर अखिलेश यादव ने ऐसा क्यों कहा, "पार्टी से निकाले गए युवा समाजवादी है, उनकी पार्टी में वापसी होनी चाहिए." चाहिए क्यों ? अखिलेश जी अगर आपको लगता है कि फैसला गलत था. तो फिर मजबूती से अपनी बात रखिये. शिवपाल यादव को समझाएं. वैसे भी चाचा ने तो सिर्फ पार्टी से निकालने का आदेश जारी किया था. फैसला तो खुद नेता जी का था. आप और मुलायम सिंह लखनऊ में एक ही घर में रहते है. साथ बैठ कर कभी भी मामले को सुलझा सकते है. वैसे भी आप कई बार कह चुके है." नेताजी कब पिता बन जाते है और कब राष्ट्रीय अध्यक्ष पता ही नहीं चलता." अखिलेश जी ये तो आप को ही समझना होगा. आप उनके बेटे है. उनके राजनैतिक उत्त्तराधिकारी है. सीएम रहते आपको साढ़े चार साल हो गए है. इसके लिए दस दिनों का इंतजार क्यों? किसी सरकारी मंच की जरुरत क्यों? मीडिया के जरिये संवाद का क्या मतलब है ? जो सात लोग समाजवादी पार्टी से बाहर किये गए है. उनके लिए आप मुख्य मंत्री ही नहीं टीपू भैया भी तो थे. और शायद है और रहेंगे भी. वे आज भी कहते है. "ये जवानी है कुर्बान, अखिलेश यादव तेरे नाम." उनकी कुर्बानी तो हो गयी. अब आप क्या करेंगे. आपके हर चाहने वाले की आप पर नज़र है. अखिलेश यादव जी, आज जो आपने बात कही. ऐसा तो आपके 'प्रिय' चाचा कल ही आपके गाँव सैफई में कह चुके है. इसके लिए रामगोपाल यादव को अपनी ताकत भी दिखानी पडी. दिल्ली में अपने बंगले से वे अपने समर्थकों के संग निकले. और सैकड़ों गाड़ियां रामगोपाल के काफिले में जुड़ती गयी. लेकिन ये 'शक्ति प्रदर्शन' क्यों ? और किसके लिए ? अगर रामगोपाल दिल्ली से सैफई आ सकते है तो फिर लखनऊ में सब मिल बैठ कर मामले को रफा दफा क्यों नहीं कर लेते. जो नेता समाजवादी पार्टी से बाहर निकाले गए है. वे तो टीम अखिलेश के ही मेंबर हैं. उन्होंने जो भी किया आपके लिए किया और आपके दम से ही तो किया. सब मायूस है, बेबस और लाचार भी. बड़ा खराब मैसेज जा रहा है अखिलेश जी. जब आप 'अपनों' को नहीं बचा सकते तो फिर पार्टी के खेवनहार क्या ख़ाक बनेंगे. आखिर किस बात की सजा मिली है आपके अपनों को. यही ना कि ऊँ नेताओं ने समाजवादी पार्टी के बाहर मुलायम सिंह के खिलाफ नारे लगाए थे. आप तो खुद इस घटना की विडियो एक नहीं कई बार देख चुके है. सुनील यादव से लेकर आनंद भदौरिया ने कई मोबाईल फोन से लिए विडियो दिखाए. लोग कहते है यूपी में साढ़े पांच मुख्य मंत्री है. ऐसा तो लगता भी है. लेकिन अब तो ख़तरा अखिलेश यादव के नाम पर मंडरा रहा है. अगर आप सच कहने से भी बचेंगे, नहीं लड़ेंगे तो फिर किस मुंह से चुनाव में विपक्ष से भिड़ेंगे. कोई क्यों आपके साथ कुर्बान होगा. लोग बताते है नेताजी अपने रिश्तों के लिए कुछ भी कर सकते है. काश आपके बारे में भी लोग ऐसा कहते!