पाकिस्तान की सेना ने एक बार फिर सीजफायर का उल्लघंन किया, पाक सेना ने एक बार फिर नियंत्रण रेखा पर भारी गोलाबारी की, पाक सेना ने फिर भारतीय सैनिकों पर हमला किया और पाक सेना ने एक बार फिर भारतीय सैनिकों के शवों के साथ बर्बरता की. यह सब सुनते सुनते कान पक गये हैं. लेकिन जिसके कानों तक यह बात पहुंचनी चाहिए थी उनके कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है.


कानों में रुई डाले बैठ गये हैं या फिर जानबूझकर चेहरा (कान सहित) रेत में छुपा लिया है. यह सब मनमोहन सिंह सरकार से समय भी होता था. यह सब नरेन्द्र मोदी सरकार के समय भी हो रहा है. तब होता था तो सुषमा स्वराज कहती थी वो एक सर काट कर ले गये हैं, हम दस सर काट कर लाएंगे. तब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी कहते थे कि समस्या सीमा पर नहीं है, समस्या तो दिल्ली में है. अब किसको किसका बयान याद दिलाएं.


सभी भारतीयों को यही याद दिलाते हैं कि यह पहली बार नहीं है जब कि पाकिस्तान की बैट (बार्डर टास्क फोर्स) ने यह शर्मनाक हरकत की हो. पहले भी वह भारतीय सैनिकों के साथ छेडछाड़ करता रहा है. करगिल की लड़ाई के समय कैप्टन सौरभ कालिया का शत विक्षत शव कई दिनों बाद भारत को सौंपा गया था. जाहिर है कि पाक सेना ने कायराना हरकत की थी. इसके बाद फरवरी 2000 में नवशेरा सैक्टर में पाक सेना और बैट के हमले में भारत के सात सैनिक शहीद हुए थे. इसमें 17 मराठा लाइट इनफैंटरी के 24 साल के भाउसाहब तोलेकर भी थे जिनका सर काटकर बैट वाले ले गये थे.


जून 2008 में गोरखा राइफ्ल्स का एक जवान रास्ता भटक कर पाक सीमा में चला गया था. उसे बैट ने खेल सैक्टर में पकड़ा और कुछ दिनों बाद उसका सर कटा शरीर मिला था. जनवरी 2013 में मैंठर सैक्टर में बैट का फिर हमला होता है. हमारे दो सैनिकों को बैट मारते हैं और मथुरा के हेमराज का सर काट कर ले जाते हैं. शहीद की बेवा खाना पीना त्याग देती है. उनके यहां सेना अध्यक्ष तक जाते हैं. तमाम दलों के नेता भी होते हैं. उनमें से बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज भी होती हैं और होता है उनका बयान..हम दस सर काट कर लाएंगे. जनता ताली बजाती है.


उसी दौरान समस्या सीमा पर नहीं  दिल्ली में है वाला बयान आता है. बीजेपी को सत्ता दिलवाता है. लेकिन भारतीय सैनिकों के शवों की दुगर्ति जारी रहती है. अक्टूबर 2016 में कुपवाड़ा और नंवबर 2016 में भी दो अलग अलग घटनाओं में कुल मिलाकर चार शवों के साथ बर्बरता की जाती है. सरकारें भले ही बदलती रहे लेकिन सीमा पर समस्या जारी रहती है.


देश गुस्से में है. पूर्व सेना अधिकारी टीवी चैनलों पर दहाड़ रहे हैं. सबको लग रहा है कि पाकिस्तान की सेना ने तो बेशर्मी की हद कर दी है. ऐसा नहीं है कि भारतीय सेना हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है. वह पहले भी बदला लेती रही हैं. वह इस बार भी जरुर माकूल जवाब देगी. इसमें किसी को कोई शक नहीं है लेकिन सब यही कह रहे हैं कि यह सिलसिला कब थमेगा. पाकिस्तान को कैसे हम करारा जवाब दे कि उसकी सेना या सेना और आंतकवादियों को मिलाकर बनी बैट ऐसा कोई दुस्साहस नहीं कर सके.


सवाल उठता है कि क्या इसका जवाब भारत सरकार के पास है. पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइक करके भारत ने दिखाया था कि वह किस हद तक जा सकती है. क्या ऐसा ही कुछ दोहराने का मौका नहीं आ गया है.....गोरक्षा जरुरी है लेकिन सीमा पर मरते जवानों को बचाना भी जरुरी है.


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)