धर्मशाला में टीम इंडिया के साथ जो कुछ भी हुआ वो बहुत बुरा हुआ. दक्षिण अफ्रीका जैसे बेहद मुश्किल और अहम दौरे से पहले टीम इंडिया एक तरह से यूनिट टेस्ट में फेल हो गई. धर्मशाला की पिच डबरन, जोहांसबर्ग तो नहीं है लेकिन कंडीशंस उससे काफी मिलती जुलती हैं. अब ऐसे में उठती गेंदों पर हमारे शेर क्रीज से यूं उठ जाएं तो पेशानी पर चिंता की लकीरें यकीनन गहरी हो जाती हैं.
कैसे होगा अफ्रीका में बेड़ा पार: हालांकि एक हार के बाद लगातार जीत रही टीम पर सवाल उठाना सही नहीं होता लेकिन इस हार को जरा गौर से देखें तो डर जरुर लगता है. विराट की जिस टीम को हम दुनिया जीतने वाला मान रहे हैं दरअसल अगले 18 महीने वो इसी कसौटी पर हर बार कसी जाएगी और धर्मशाला का रिजल्ट देखने के बाद कसौटी क्रिकेट की में वक्त है एक ब्रेक का भी नहीं बोला जा सकता है क्योंकि टीम इंडिया के शेर भारत में सिर्फ IPL ही खेलने आएंगे. ऐसे में धर्मशाला में जब विकेट नहीं बचा तो अफ्रीका का सोचकर डर तो लगेगा ही.
बॉलर की गेंदें उठीं नहीं, बल्लेबाज पविलियन मुड़ जाता था: राणा की पुतली हिली नहीं, चेतक फौरन मुड़ जाता था वाली तर्ज पर धर्मशाला में टीम इंडिया के एक एक करके सारे शेर छोटी और बाउंस वाली गेंदों पर पविलियन की तरफ मुड़ गए. इसकी सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि भारत में खेल खेलकर टीम इंडिया के अधिकतर धुरंधर फ्रंट फुट के खिलाड़ी हो गए हैं. तेज और सीमिंग कंडीशंस में अगर बैकफुट पर खेलने नहीं आएगा तो यही होगा. बुंदेले हरबोलो के मुंह हमने सुनी कहानी है: हिंदुस्तानी क्रिकेट में वीर रस की सारी कविताएं हिंदुस्तानी पिचों पर ही गढ़ी जाती हैं. भारत की मौजूदा, पुरानी, उससे पुरानी और सबसे पुरानी पीढ़ी को तो बस यही पता है कि विदेश में जाना मतलब हारकर आना. हाल की पीढ़ियों में बुरी तरह हारकर आने की बजाए लड़कर हारना सीख लिया है. लेकिन हारना तो है ही.
विराट की मौजूदा टीम से बड़ी उम्मीदें भी हैं और धर्मशाला में हार के बाद ये उम्मीदें खत्म तो नहीं हुई हैं लेकिन थोड़ा डरा जरुर रही हैं कि ज्यादा तो नहीं मांग लिया. क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में टीम इंडिया के आंकड़ों को चाहिए शक्ति का टॉनिक सिंकारा.
फॉर्मेट मैच जीत हार बेनतीजा/ ड्रॉ
 वनडे  28   05  21  02
 टेस्ट  17  02  08  07
T-20 में जरुर टीम इंडिया को अफ्रीकी धरती पर हार से ज्यादा जीत मिली है. उसमें अफ्रीकी टीम फिसड्डी साबित हुई है. ये जरुर इतिहास के जानिब से फैंस के लिए खुशखबरी है. अब जब खुशखबरी है तो एक बार आंकड़े भी देख लिजिए T-20 क्रिकेट में भारच ने 04 मुकाबले खेले हैं जिसमें उन्हें 03 मैचों में जीता और 01 मुकाबले में हार मिली है. छोटी स्विंग बड़ा धमाका: अब जरा लौटकर धर्मशाला आते हैं. धर्मशाला में टीम इंडिया के बल्लेबाजों के धाराशाही होने की एक बड़ी वजह ये भी थी कि सुरंगा लकमल गेंद को बहुत ज्यादा स्विंग नहीं कराते और लाइन लेंथ के वो इतने पक्के है जैसा कोई मारवाडी अपने मुनाफे को लेकर होता है. लकमल ऑफ स्टंप के आस पास की लाइन रखते हैं और गेंद को थोड़ा स्विंग कराते हैं. फ्रंट फुट पर खेलने के आदि हमारे बल्लेबाज़ उसी में अचकचा जाते हैं और कैच थमा बैठते हैं. धर्मशाला में भी यही हुआ और अफ्रीका में भी ऐसा ही होने का बड़ा खतरा है क्योंकि दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज़ भी गेंद को ज्यादा स्विंग नहीं कराते बस थोड़ी सी स्विंग और उसमें थोड़ी लाइन लेंथ मिलाकर वो विकेट उखड़ाने वाली गेंदें पैदा कर लेते हैं. मतलब अगर टीम इंडिया ने अगले दो हफ्ते में बैकफुट पर खेलने की आदत नहीं डाली तो फिर तैयार रहिएगा. बदलाव सिर्फ मन में आएगा, मैदान में कोई क्रांति नहीं होगी.