आज का मसला गंभीर है। गंभीर इसलिए कि देश की सबसे बड़ी पंचायत में महिला डिप्टी स्पीकर का माखौल उड़ाया गया है। वो भी बड़े बेखौफ और बेअंदाज ढंग से। माखौल उड़ाने वाला देश का एक जिम्मेदार सांसद हैं। हालांकि जिस सांसद की बात हम कर रहे हैं, उनके खाते में कई ऐसे किस्से दर्ज हैं। महिलाओं को लेकर उनकी टिप्पणी हदें पार करती रही हैं। सियासत में जुबान का स्तर कितना नीचे गिराया जा सकता है, इसकी कई मिसालें इन सांसद महोदय के इतिहास को टटोलने से पता चल जाती हैं। हम बात कर रहे हैं आजम खान की...जिनकी बदजुबानी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
सियासी विरोधियों पर निशाना साधते-साधते आजम अब संवैधानिक पदों पर बैठी महिलाओं के लिए गरिमा भुला बैठे हैं। आजम की टिप्पणी जितनी चौकाऊ है उससे कहीं ज्यादा हैरान करने वाली है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की असंवेदनशीलता है जो आजम को ऐसा करने से रोकती नहीं बल्कि आजम के खिलाफ उठने वाली आवाज़ों के जवाब में उनकी ढाल बन जाती है। ये सियासत की किस परंपरा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं अखिलेश यादव। ये जवाब उन्हें जनता को जरूर देना चाहिए...क्योंकि आजम की टिप्पणी का विरोध करना न केवल महिलाओं का बल्कि समाज से जुड़े हर शख्स का अधिकार है, जो संवेदना रखता हो। ऐसे में ये सवाल उठता है कि
महिलाओं पर घटिया टिप्पणी करने वाले आजम पर कार्रवाई क्यों नहीं ? महिलाओं का सम्मान अखिलेश के लिए सिर्फ परिवार तक सिमटा ? आजम-अखिलेश का रवैया सपा की महिला विरोधी सोच का सबूत ?
भरे सदन में डिप्टी स्पीकर को लेकर आजम की टिप्पणी पर हंगामा मचा है। हंगामा करने वाली माननीया आधी आबादी की अगुवाई करती हैं। अच्छा खासा तजुर्बा रखने वाले आजम के सियासी कद से वाकिफ हैं और ये भी जानती हैं कि आजम के अल्फाज सोचे समझे हैं, तभी तो वो चाहती हैं कि आजम खान सदन से माफी मांगे।
आजम ने जिस अंदाज में सदन में डिप्टी स्पीकर को लेकर टिप्पणी की, पहले तो सदन में ठहाके गूंजे। दूसरों की कौन कहे, खुद उनकी पार्टी के मुखिया और आजमगढ़ से जीत कर सदन पहुंचे अखिलेश यादव भी मुस्कुराए बिना रह नहीं सके। सदन में भी हंसने की आवाजें आईं लेकिन जैसे ही डिप्टी स्पीकर ने आजम की टिप्पणी को कार्यवाही से आउट किया। सबको आभास हुआ कि आजम ने बदजुबानी की है। इसके बाद हंगामा मच गया। आजम से माफी की मांग हुई आजम ने माफी मांगने से इनकार कर दिया। आजम के रवैये पर हैरानी नहीं होनी चाहिए मगर अखिलेश का आजम के बचाव में खड़ा होना जरूर अखरने वाला है।
आजम की बदजुबानी का इतिहास भरा पड़ा है। कभी वो अपनी ही पार्टी की पुरानी साथ ही और फिलहाल बीजेपी की नेता जया प्रदा पर अभद्र टिप्पणी करते हैं तो कभी दूसरी महिला नेता पर कभी वो किसी नेता के परिवार तक पहुंच जाते हैं तो कभी कुछ भी कह देते हैं। यही वजह है कि आजम के खिलाफ महिला नेताओं और मंत्रियों ने मोर्चा खोल दिया है।
आजम के खिलाफ दलों ने विरोध की दीवारें तोड़ दी हैं। यही वजह है कि मायावती ने ट्वीट के जरिए आजम से माफी की मांग की है।
सिर्फ मायावती ही नहीं बल्कि दूसरी महिला सांसदों ने सदन में बकायदा आजम की माफी की मांग की हैं और माफी न मांगने की सूरत में कार्रवाई की वकालत की है।
वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने महिला सांसदों के समर्थन में आजम को निलंबित करने की अपील की है।
बहरहाल, आजम पर कार्रवाई का फैसला स्पीकर को करना है लेकिन इस मामले में एक बात तो साफ कर दी महिलाओं को लेकर सपा नेताओं की सोच एक दूसरी ही सियासत को जनम देने वाली है। क्योंकि आजम ने जिस तरह चुनावों में जया प्रदा को लेकर टिप्पणी की या दूसरी महिला नेताओं को लेकर कर चुके हैं और अब तक उन पर कार्रवाई नहीं हुई है वो ये बताता है कि महिला सम्मान के नाम पर सपा की सियासत किस दिशा में है।
कोई भी महिला चाहे वो संवैधानिक पद पर हो, सांसद हो या फिर कोई और उसका सम्मान हर हाल में होना चाहिए। एक सांसद की जिम्मेदारी इसलिए भी और बढ़ जाती है कि क्योंकि कानून बनाने वाली विधायिका का हिस्सा है, ऐसे में अगर वो मसखरी के लिए कानून तोड़ेगा, महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करेगा, तो ज़ाहिर है अपराधियों का हौसला बुलंद होगा। ऐसे सांसद पर पार्टी अध्यक्ष का बचाव इसे और शर्मनाक बनाता है, लिहाजा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को चाहिए कि संसद की कार्रवाई से पहले आजम पर कड़ी कार्रवाई कर एक मिसाल कायम करें। सियासत का स्तर कुछ भी हो, एक महिला का सम्मान हमेशा बुलंद रहना चाहिए।