क्या जयंत चौधरी और अखिलेश यादव अब अलग अलग राह पर हैं. दोनों ने साथ मिल कर पिछला विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ा. लेकिन आज़म खान को लेकर दोनों में दूरियां बढ़ने लगी हैं. आज़म खान के समर्थक इन दिनों अखिलेश यादव से नाराज चल रहे हैं. उनके समर्थन में समाजवादी पार्टी के कई मुस्लिम नेता इस्तीफ़ा दे चुके हैं. इस्तीफ़ों का दौर जारी है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने तो आज़म को अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता भी भेज दिया है.


RLD अध्यक्ष जयंत चौधरी के रामपुर दौरे से अखिलेश यादव और जयंत की दोस्ती में दरार पड़ गई है. ये दोस्ती चार साल पुरानी है. बुधवार को जयंत ने रामपुर जाकर आज़म के परिवार से मुलाक़ात की. वे सबसे पहले आज़म के विधायक बेटे अब्दुल्ला आज़म से मिले और फिर उनकी पत्नी तंज़ीम फ़ातिमा से भी मुलाक़ात की. आज़म पिछले दो साल से जेल में है. उन पर क़रीब 78 मुक़दमे चल रहे हैं. वे रामपुर से लोकसभा से इस्तीफ़ा दे चुके हैं. वे अभी रामपुर से ही समाजवादी पार्टी के विधायक हैं जबकि उनके बेटे अब्दुल्ला स्वार से विधायक हैं. रामपुर में जयंत ने कहा कि आज़म के परिवार से उनका बहुत पुराना रिश्ता है. उनके पिता चौधरी अजीत सिंह उनके बहुत अच्छे दोस्त थे. जयंत ने ये भी कहा कि वे जाट, मुस्लिम और दलित गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटे हैं.


जयंत चौधरी आख़िर किसके कहने पर आज़म से मिलने गए थे. वो भी तब जब आज़म के समर्थक लगातार अखिलेश यादव के खिलाफ अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं. आज़म के मीडिया सलाहकार फशाहत खान शानू ने तो ये तक कह दिया कि अखिलेश यादव को उनके कपड़ों से बदबू आती है. अखिलेश यादव इन दिनों आगरा में हैं. जब पत्रकारों ने उनसे जयंत चौधरी के आज़म के परिवार से मुलाक़ात पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें वहाँ जाने के लिए नहीं कहा था.


जयंत चौधरी इन दिनों चंद्रशेखर आज़ाद के साथ भी जगह जगह देखे जा रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में चंद्रशेखर और अखिलेश यादव में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत टूट गई थी. फिर आज़ाद समाज पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ी. लेकिन चुनाव के बाद चंद्रशेखर और जयंत ने साथ साथ राजस्थान का दौरा किया. तो क्या ये समझा जाए कि जयंत चौधरी अब अखिलेश यादव से अलग एक राजनैतिक मोर्चा बनाने में जुटे हैं. वैसे राजनीति में कई बार जैसा दिखता है वैसा होता नहीं है. क्या पता जयंत और अखिलेश मिलकर कोई और खिचड़ी पका रहे हों.


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