'एक विचार को अपनाइये, उस विचार को अपने जीवन की सोच बना लिजिए, उसके ही सपने देखिए, उसी विचार को जिएं. दिमाग, मांसपेशियां, शरीर के हर अंग में विचार को दौड़ने दें, इसके लिए हर दूसरा विचार त्याग दें. सफलता का यही रास्ता है.' - स्वामी विवेकानंद


स्वामी विवेकानंद की इस बात का सीधा संबंध विराट कोहली की दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में खेली गई नाबाद 254 रन की पारी से है. विराट ने टीम इंडिया के लिए सिर्फ जीत का सपना देखा है और उसकी धुन में वो रनों, रिकॉर्डों और रिश्तों को दरकिनार कर चलते हैं.


भारतीय पिचों पर पहले बल्लेबाजी अक्सर क्यों बन जाती है जीत की गारंटी ?


किसी भी क्रिकेटर के लिए रिकॉर्ड्स या रन उसकी महानता की सीमा तय करते हैं और भारत जैसे क्रिकेट के लिए पागल देश में तो रन और रिकॉर्ड रिटायरमेंट के बाद के बैंक बैलेंस का सूचकांक होते हैं, और विराट क्रिकेट के इस मार्केट को अच्छी तरह समझते भी हैं, लेकिन खुशी इस बात की है कि वो ये समझने के बाद भी जीत की जिद को सबसे ऊपर रखते हैं.


टेस्ट में तिहरा शतक भारत की ओर से अब तक दो ही बल्लेबाज लगा सके हैं, सहवाग ने दो बार लगाया है और दूसरे तिहरा शतक लगाकर भी टीम से बाहर होने वाले बदनसीब करुण नायर हैं. ये तिहरा शतक विराट को विशिष्ट बना देता, लेकिन विराट के लिए विशिष्ट होने से ज्यादा अहम विजेता होना है.


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वरना वो एक सेशन और खेलते और तिहरा शतक बन जाता, कोई कुछ कहता भी नहीं, क्योंकि भारत में क्रिकेट में भी मूर्तिपूजा की परंपरा है, यहां के खेल की परंपरा में व्यक्ति अक्सर टीम से पहले आता है. लेकिन नाबाद 254 रन की पारी में विराट ने इस परंपरा को इतिहास बना दिया.


जो चूका वही सिकंदर


विराट की कप्तानी की चालाकी यहां पर दिखती है, तिहरा शतक चूके लेकिन पूरी टीम को एक बड़ा संदेश दे दिया कि टीम से बड़ा कोई नहीं, जीत की कसक के एहसासों पर किसी के व्यक्तिगत रिकॉर्ड्स का महल नहीं बनेगा. भारतीय क्रिकेट में कई ऐसे मौके आएंगे जब कप्तान को एक खिलाड़ी के तिहरे शतक और जीत की उम्मीद में से एक को चुनना होगा, विराट ने तो बता दिया है कि वो किसे चुनेंगे, भविष्य के बाकी कप्तानों को तय करना होगा.


जब सचिन 194 पर थे और द्रविड़ ने पारी घोषित कर दी थी- 2004


ये भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े विवादों में से एक था. साल 2004 में मुल्तान में भारत और पाकिस्तान के बीच पहला टेस्ट था. इसी टेस्ट में सहवाग तिहरा शतक लगाकर आउट हो गए थे, सचिन 194 पर खेल रहे थे, दिन के खेल के 16 ओवर बचे थे. गांगुली घायल थे तो द्रविड़ कप्तानी कर रहे थे. द्रविड़ ने पारी घोषित कर दी और पूरी टीम क्या पूरे देश में बवाल हो गया. द्रविड़ ने सचिन से कहा भी कि टीम हित में फैसला लिया है, जीत के लिए लिया है, लेकिन सचिन नाराज, फैंस नाराज, देश नाराज.... सचिन ने अपनी जीवनी में लिखा भी है कि द्रविड़ के इस फैसले से वो हैरान थे, गुस्से में थे. बात में उस समय के कोच जॉन राइट ने सचिन ने माफी मांगी, गांगुली ने बोला वो बहुत सॉरी फील कर रहे हैं. द्रविड़ को भी सचिन के पास जाकर व्यक्तिगत तौर पर सफाई देनी पड़ी.


2019- कोहली ने खुद घोषित की पारी


विराट कोहली ने यहां खुद ही पारी घोषित कर दी, उन्हें इस पर ना तो गुस्सा आया और ना ही उन्हें किसी को सफाई देनी थी, भई कप्तान वही थे. लेकिन उन्होंने टीम इंडिया के बाकी रिकॉर्डतोड़ बल्लेबाजों को ये जरुर बता दिया कि आज विराट ने खुद को चुना है, कल वो जीत के लिए किसी को भी चुन सकते हैं.


तिहरा शतक नहीं, पर रिकॉर्डों की कमी भी नहीं


विराट ने नाबाद 254 रन की पारी में भी कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए हैं. सारे रिकॉर्ड खास हैं, दुनिया भर की क्रिकेट ने इसे विराट के बल्ले से ही बनते देखा है. बतौर कप्तान विराट की कामयाबी के ये किस्से, आने वाली पीढ़ियों के लिए नजीर बनेंगी.


बतौर कप्तान टेस्ट में 150+ स्कोर :
9- विराट कोहली
8- सर डॉन ब्रेडमैन


बतौर कप्तान सर्वाधिक स्कोर :
200+ स्कोर- विराट ( 6 बार )
150+ स्कोर : विराट (9 बार )
100+ स्कोर : ग्रैम स्मिथ (25 बार ), पॉन्टिंग/ विराट (19 -19 बार)


भारतीय कप्तान द्वारा टेस्ट में दोहरा शतक :
7 - विराट कोहली
4- बाकी के सभी 32 कप्तान मिलकर


ये रिकॉर्ड्स भारतीय नहीं बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट में विराट का हौंसला और हैसियत बताते हैं. विराट जिस क्षमता के बल्लेबाज हैं, उम्मीद है वो एक नहीं बल्कि कई तिहरे शतक लगाएंगे, लेकिन अगर उनके करियर में दोबारा ये मौका नहीं आया तो यकीन रखिएगा कि जब विराट अपनी जीवनी लिखेंगे तो उसमें ये कभी नहीं होगा कि उन्हें 11 अक्टूबर 2019 को पारी घोषित करने पर अफसोस है.