विराट कोहली आए दिन टेस्ट क्रिकेट को लेकर अपनी संजीदगी की बात करते रहते हैं. अब उसी संजीदगी की एक नई शुरूआत है. विश्व कप की हार के बाद विराट कोहली बतौर कप्तान पहली बार टेस्ट मैच में उतरेंगे. रवि शास्त्री को भी हाल ही में बतौर कोच 2021 तक का ‘एक्सटेंशन’ मिला है. लिहाजा उनकी भी ये पहली टेस्ट सीरीज है. राहत की बात ये है कि भारतीय टीम का मुकाबला अपेक्षाकृत कमजोर वेस्टइंडीज की टीम से है.


इसी दौरे में वेस्टइंडीज की टीम को टीम इंडिया ने 3 टी-20 और 3 वनडे मैचों की सीरीज में हराया है. कैरिबियाई टीम को अभी इस सीरीज में एक भी जीत नसीब नहीं हुई है. वनडे सीरीज के दो मैचों में लगातार दो शतक लगाकर विराट कोहली नए जोश में भी हैं. विश्व के नंबर एक टेस्ट बल्लेबाज के मुकाबले में स्टीव स्मिथ उनके काफी पास भी गए हैं. लिहाजा कप्तानी के साथ साथ विराट के लिए बतौर बल्लेबाज भी ये काफी जरूरी सीरीज है. इस सीरीज के साथ ही भारत का विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का सफर भी शुरू हो जाएगा.


आईसीसी टेस्ट रैंकिंग्स में फिलहाल टीम इंडिया ही पहली पायदान पर है. इसलिए अभी से इस बात की उम्मीद लगाई जा रही है कि दो साल बाद होने वाले फाइनल में भारतीय टीम की जगह पक्की है. बतौर कप्तान विराट कोहली को और बतौर कोच रवि शास्त्री को इसी बात की तस्दीक करनी है कि वनडे के विश्व कप की तरह टेस्ट विश्व चैंपियनशिप में भी फैंस की उम्मीदों पर पानी ना फिर जाए. इसके लिए ‘प्रोफेशनल’ क्रिकेट खेलनी होगी.


पांच गेंदबाजों के साथ उतरेगी टीम इंडिया ?


इसी सवाल के जवाब के साथ विराट और रवि शास्त्री का माइंडसेट समझ आ जाएगा. टेस्ट क्रिकेट में आम तौर पर माना जाता है कि पांच स्पेशलिस्ट गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरने वाला कप्तान ‘अग्रेसिव’ है. विराट कोहली वेस्टइंडीज के खिलाफ इस थ्योरी को अपनाएंगे या नहीं इसी से पता चलेगा कि वो कैरिबियन टीम कितनी गंभीरता से ले रहे हैं. वैसे भूलना नहीं चाहिए कि वेस्टइंडीज ने हाल ही में इंग्लैंड को टेस्ट सीरीज में हराया था.


वैसे आपको ये भी याद होगा कि पिछले साल टीम इंडिया ने इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सीरीज में शानदार प्रदर्शन किया था. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में टेस्ट सीरीज में हराया भी था. इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में भी भारतीय टीम जीत के काफी पहुंच कर चूक गई थी. इन सारी उपलब्धियों के पीछे सबसे बड़ा योगदान भारतीय गेंदबाजों का था. भारतीय टीम के गेंदबाजों ने विरोधी टीम के लगातार बीस विकेट चटकाए थे.


इसमें खास बात ये थी कि भारतीय टीम ज्यादातर मौकों पर 4 स्पेशलिस्ट गेंदबाजों के साथ ही उतरी थी. अब वेस्टइंडीज के खिलाफ प्लेइंग 11 चुनते वक्त क्या विराट और शास्त्री पांच स्पेशलिस्ट गेंदबाजों की थ्योरी पर विचार करेंगे? हालांकि ये बहुत मुश्किल लगता है. स्पिनर्स को लेकर भी मामला फंसा हुआ है. रवि शास्त्री कुलदीप यादव की तारीफ करते रहे हैं. हाल ही में पूर्व दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह ने भी कुलदीप यादव को अपनी पहली पसंद बताया था. ऐसे में आर अश्विन की प्लेइंग 11 में जगह कैसे बनेगी? वो भी तब जबकि रवींद्र जडेजा भी टीम में होंगे. बल्लेबाजी में भी रोहित शर्मा, हनुमा विहारी और अजिंक्य रहाणे जैसे खिलाड़ियों का नाम चल रहा है. हालांकि इस रेस में अजिंक्य रहाणे आगे हैं.


भारत के लिए टेस्ट चैंपियनशिप के मायने


टेस्ट चैंपियनशिप के मायने बहुत साफ हैं. किसी भी टीम की पहली प्राथमिकता जीत हासिल करना होगा. हर सीरीज में 120 अंक दांव पर हैं. अगर सीरीज दो ही मैचों की है तो हर मैच में जीत के लिए 60 अंक मिलेंगे. भारत और वेस्टइंडीज की सीरीज दो ही टेस्ट मैचों की है. इसलिए 120 अंक बटोरने पर नजर रहेगी. विराट कोहली टेस्ट चैंपियनशिप को लेकर उत्साहित भी हैं. उन्होंने कहा भी है कि टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता के लिहाज से ये सही समय पर उठाया गया कदम है. वेस्टइंडीज के बाद भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेलना है. जो सीरीज आसान नहीं रहेगी. इसलिए विराट को अपनी दूसरी पारी में हाथ आए हर अंक को बटोरना चाहिए.