अनोखा है मां मुंडेश्वरी का यह मंदिर, बलि देने के बाद भी नहीं जाती बकरे की जान
तांडूल भोग ही मां मुंडेश्वरी का सर्वोत्तम प्रसाद है. इनकी कीर्ति इतना विख्यात है कि देश के कोने कोने से लोग यह दर्शन और मन्नतें मांगने आते हैं. मन्नतें पूरी होने पर माता को मन्नत का बकरा भी अर्पित करते हैं.
मां मुंडेश्वरी के पूजा करने वाले पुजारी का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण कराया नहीं गया बल्कि इस मंदिर को खुदाई के दौरान पाया गया है और मंदिर पहाड़ी के सबसे ऊपर अष्ट कोड़िय रूप में स्थित है.
मां मुंडेश्वरी का मंदिर अष्ट कोड़िय रूप में है, जो पवरा पहाड़ी पर स्थित है. इस मंदिर के बीच में पंचमुखी शिवलिंग है जो महामंडलेश्वर कहे जाते हैं, और मां मुंडेश्वरी पार्वती रूप में हैं.
यहां बकरे को काटा नहीं जाता बल्कि अच्छत फूल लेकर मंत्र पढ़कर पुजारी द्वारा मारने से बकरा मां के चरणों में मरणासन्न स्थिति में लेट जाता है और फिर अक्षत और पुष्प लेकर मंत्र पढ़ने से बकरा अपने वास्तविक स्थिति में उठ खड़ा होता है. ऐसा रक्तहीन बली पूरे विश्व में कहीं नहीं होती.
बिहार के कैमूर जिले के पवरा पहाड़ी पर स्थित मां मुंडेश्वरी का ख्याति पूरे देश में विख्यात है. मां मुंडेश्वरी धाम बकरे की रक्त हीन बली के लिए भी प्रसिद्ध है जो अपने आप में अजूबा है.