ग्राहकों को लुभाने के लिए कार कपंनियां तरह-तरह के फीचर गाड़ियों में देती हैं. इनमें से कई फीचर्स के बारे में बड़े-बड़े फायदे बताए जाते हैं. ग्राहक कई बार इन फीचर्स से प्रभावित हो जाते हैं और यह सोचे बिना की हमें इन फीचर्स की जरुरत है भी या नहीं कार खरीद लेते हैं.  हालांकि बाद में जब वे इनका इस्तेमाल करने लगते हैं, तो उन्हें लगता है कि ये फीचर उनके ज्यादा काम के नहीं हैं, जितना उन्होंने सोचा था. 

आज हम आपको कुछ ऐसे फीचर्स के बारे में आज बताएंगे जिनकी कोई खास जरुरत नहीं होती है और जिन्हें आसानी से नजर अंदाज किया जा सकता है. 

प्रोक्सीमिटी सेंसर्सइस फीचर के तहत जैसे ही कोई भी कार या व्यक्ति कार के नजदीक आएगा, साउंड अलार्म बजने लगेगा. लेकिन यह फीचर बहुत काम का नहीं है. भारत में भीडभाड़ वाली सड़कों की कमी नहीं. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अलार्म कितनी बार बजेगा.

एंबियंट लाइटएंबियंट लाइट से केबिन थोड़ा सुंदर लगता है.  लेकिन इस फीचर के लिए अलग से खर्च करना बहुत समझदारी की बात नहीं है. इस फीचर से कई तरह की लाइट्स आने से ड्राइविंग के दौरान आपका ध्यान भटक सकता है.

फॉक्स रूफ रेल्सइस फीचर को भी बहुत बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है. इस फीचर वाली गाड़ी को लेने के लिए अच्छी खासी जेब ढीली करनी पड़ती है. कुछ लोग अपनी गाड़ियों को स्पोर्टी लुक देने के लिए आफ्टर मार्केट इन एसेसरीज को इँस्टॉल भी कराते हैं. अगर आपको अपनी कार की छत पर समान रखना है तो इसकी बजाय मेटल कैरियर या फिर रूफ बॉक्स भी लगा सकते हैं.

वॉयस कमांडयह फीचर भारत में अधिक काम का नहीं. दरअसल इनकी कोडिंग विदेश में बोली जाने वाली अंग्रेजी के हिसाब से की जाती है. जबकि भारतीयों को उच्चारण थोड़ा अलग होता है. इसे समझने में भी बहुत मुश्किल होती है. इस फीचर की वजह से ड्राइविंग में भी बाधा आती है.

ऑटोमैटिक वाइपर्सयह फीचर भी अब कई गाड़ियों में मिलता है.  इस फीचर में सेंसर पर पानी पड़ते ही वाइपर्स ऑटोमैटिकली शुरू हो जाते हैं. लेकिन दिक्कत यह है कि हल्का सा पानी पड़ते ही बिना जरूरत के चालू हो जाते हैं. साथ ही ब्लेड भी जल्दी घिसेंगे. जबकि मैनुअली वाइपर अपनी जरूरत के मुताबिक ऑन-ऑफ किया जा सकता है.

कीलेस पुश बटन स्टार्टयह फीचर इन दिनों कई कारों में दिया जा रहा है. कंपनियां इस फीचर को बहुत हाईलाइट करती हैं लेकिन यह फीचर बहुत काम का नहीं है. हालांकि कार को बिना चाबी के अनलॉक किया जा सकता है और केवल एक पुश बटन से कार को स्टार्ट किया जा सकता है. वैसे अधिकांश कारों में रिमोट लॉकिंग फीचर दिया जा रहा है और बटन दबा कर कार को लॉक-अनलॉक किया जा सकता है. यह फीचर स्टैंडर्ड मिलते तो ठीक वरना बहुत जरूरी नहीं है.

ऑटोमैटिक हेडलैंप्सऑटोमैटिक हेडलैंप्स कार कंपनियां बहुत बड़ा लग्जरी फीचर बताती हैं. लेकिन यह कोई बहुत महत्वपूर्ण फीचर नहीं है. आप मैनुअली भी कार की लाइट स्विच ऑन और स्विच ऑफ कर सकते हो. यह फीचर तभी ठीक है जब कार में आपको स्टैंडर्ड मिलता है,  लेकिन इस फीचर के लिए अलग अपने बजट से ज्यादा की कार खरीदना सही नहीं है.

सनरूफयह फीचर अब काफी कारों में मिलता है. . भारत जैसे गर्म और नमी वाले देश में बहुत काम का ऑप्शन नहीं है. सनरूफ वाली कारों को चलाने वालों का भी यही अनुभव है कि इससे कार में धूल आ जाती है. शुरुआत में ओपन रूफ के साथ चलना लुभावना लगता है लेकिन बाद में इससे तौबा कर ली.

बेज इंटीरियरइस फीचर को देख कर अगर कार खरीद रहे हैं तो सावधान हो जाएं. आजकल बेज इंटीरियर तमाम कारों में मिलता है. बेज इंटीरियर होने से कार बहुत गंदी होती है. कार के इंटीरियर में गहरे रंग ज्यादा अच्छे होते हैं क्योंकि उसमें दाग धब्बे नहीं दिखते. बेज रंग को मैनटेन रोज ही साफ-सफाई ड्राइक्लीनिंग वगैरहा करनी पड़ती है.

टच सेंसिटिव एसी कंट्रोलकार कंपनियां इसे भी लग्जरी फीचर कहती है. यह फीचर कई बार हादसे भी करवा सकता है. एसी की स्पीड नोब के जरिए कंट्रोल हो सकती है. ड्राइविंग के दौरान ये करना आसान होता है,  बिना देखे भी नोब को एडजस्ट किया जा सकता है. टच सेंसिटिव बटन को दबाने के लिए फोकस करना पड़ता है जबकि ड्राइविंग के दौरान हमारा मेन फोकस ड्राइविंग होता है.

 


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