अब तक यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई है और यह वास्तव में ऑटो इंडस्ट्री में कुछ के लिए हैरानी की बात है. Ford India के साथ हमेशा से ऐसा नहीं था, कंपनी ने Ecosport को 2013 में लॉन्च किया गया था, जब इस अमेरिकी वाहन निर्माता के लिए सबसे अच्छा समय था. EcoSport भारत में अब तक की सबसे बड़ी हिट रही है और इसे सबसे ज्यादा खरीदा गया है. जबकि एक अफवाह थी कि फोर्ड एक फेसलिफ़्टेड इकोस्पोर्ट लॉन्च करेगी, जो कि लॉन्च होती नजर नहीं आ रही है.
100 साल पहले हुई थी शुरुआततो यह सब गलत कहां हुआ? फोर्ड की भारतीय पारी वास्तव में लगभग 100 साल पहले शुरू हुई जब 1926 में फोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने फोर्ड मोटर कंपनी कनाडा की सहायक कंपनी के रूप में प्रोडक्शन शुरू किया. हालांकि यह 1995 में महिंद्रा के साथ थी, जहां इसने पहली बार भारत में कदम रखा था. पहला उत्पाद एस्कॉर्ट थी जिसे 1996 में लॉन्च किया गया था लेकिन यह सफल नहीं हुई. पहली सफल कार आईकॉन थी जिसने भारत में फोर्ड नाम की स्थापना की (अब तक यह फोर्ड मोटर इंडिया लिमिटेड थी) Ikon वह कार थी जो 'द जोश मशीन' टैगलाइन के साथ बड़ी संख्या में बिकी. इसकी बिक्री साल 2011 तक हुई.
Ikon से बनी पहचानउसके बाद फोर्ड सफल रही और Ikon ने फोर्ड को भारतीय बाजार के बारे में सिखाया. Fiesta सेडान जिसने Ikon प्रकार की जगह ले ली, ये भी एक सफल कार साबित हुई. फोर्ड कारें अपने डीजल इंजन के साथ परफॉर्मेंस, इफिशिएंसी और सॉलिड बिल्ट क्वालिटी के लिए खास रहीं. बीच में उन्होंने Mondeo सेडान जैसी कारों के साथ भी प्रयोग किया जो हमारे बाजार में फ्लॉप रहीं. बाद में कंपनी फोर्ड एंडेवर और फ्यूजन जैसे और मॉडल लेकर आई. फ्यूजन कुछ खास नहीं कर पाई. हालांकि एंडेवर ने ग्राहकों के दिल में जगह बनाई.
EcoSport ने बदली तस्वीरEcoSport ने भारत में Ford की तस्वीर को बदल दिया. दूसरी कार कंपनियों से पहले फोर्ड ने सबसे पहले ऐसी कार पेश की जिसने भारतीय ग्राहकों को काफी प्रभावित किया. नए एंडेवर प्लस फिगो के लॉन्च ने फोर्ड इंडिया लाइन-अप को भी मजबूत किया. यह अगले कदम की कमी थी जिसने फोर्ड को प्रगति से रोक दिया. नए प्रोडक्ट्स और टेक्नोलॉजी के साथ फोर्ड अपनी राइवल्स हुंडई और मारुति सुजुकी का मुकाबला नहीं कर सकी. वहीं Aspire सेडान की विफलता ने फोर्ड को और नीचे धकेल दिया. असली मुद्दा किआ जैसे नए लोगों सहित प्रतिद्वंद्वियों से लड़ने के लिए फ्यूल एफिशिएंट इंजन, टेक्नोलॉजी और नए प्रोडक्ट्स की कमी थी.
इस वजह से पिछड़ी Fordफोर्ड के ग्लोबल लेवल पर ऑपरेशंस और उनके लिए अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों पर ध्यान केंद्रित करने का मतलब था कि भारत तेजी से फोर्ड अपना भविष्य खतरे में डाल रही थी. आखिरी प्रयास फोर्ड और महिंद्रा के बीच होने वाला करार था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और यहां भी बात नहीं बन पाई. यह अंतिम कॉल साबित हुई जिसके परिणामस्वरूप फोर्ड ने भारी नुकसान (पिछले 10 वर्षों में $ 2 बिलियन का घाटा) के कारण भारत में मैन्यूफैक्चरिंग को बंद करना पड़ा. फोर्ड इंडिया Mustang जैसी आयातित कारों के विक्रेता के रूप में बनी रहेगी लेकिन बड़े पैमाने पर बाजार में नहीं रहेगी, इसमें कोई शक नहीं है.
ये भी पढ़ें
Ford भारत में इसलिए बंद करने जा रही अपना प्रोडक्शन और सेल, जानिए क्या है वजह
बड़ी फैमिली कार खरीदने की कर रहे हैं प्लानिंग तो रुक जाएं, तहलका मचाने आ रही हैं ये 6-7 सीटर कारें
Car loan Information:
Calculate Car Loan EMI