FAME Scheme Misuse: सरकार की तरफ से देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए ईवी मैन्युफैक्चरर कंपनियों को FAME (Fast Adoption and Manufacturing of Electric and Hybrid Vehicles) स्कीम के जरिये इंसेंटिव देती है, लेकिन कुछ कंपनियों की तरफ से इसके तय नियमों में उल्लंघन की शिकायतें मिली हैं. जिसके चलते सरकार इन कंपनियों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है. साथ ही इन कंपनियों को स्कीम के तहत दी गयी राशि वापस लेने के अलावा इनका रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जायेगा.
इंपोर्टेड पार्ट्स का हो रहा यूज
जानकारी के मुताबिक, ऑटोमोबाइल कंपनियों की तरफ से लगातार नियमों की लगातार की जा रही है. जिसकी शिकायत मिल रही थी. कंपनियां अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों में आयात किये हुए पार्ट्स का प्रयोग कर रहीं है, जोकि FAME स्कीम के नियमों का उल्लंघन है. जबकि कंपनियां इन पार्ट्स को आसानी से बना सकती हैं. मंत्रालय ने अपनी जांच में दो कंपनियों (हीरो इलेक्ट्रिक और ओकिनावा) की पहचान की है, जो अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों में आयात किये पार्ट्स का प्रयोग कर फेम स्कीम के तहत इंसेंटिव ले रहीं थीं. जो फेम का सीधा उल्लंघन है.
रजिस्ट्रेशन रद्द और इंसेंटिव की वसूली होगी
जानकारी की मुताबिक, सरकार फेम स्कीम के तहत गलत इंसेंटिव प्राप्त करने वाली कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के अलावा इन्हें दिए गए इंसेंटिव की वसूली भी करेगी. वर्तमान में फेम II स्कीम का आखिरी वर्ष चल रहा है. इस स्कीम के तहत इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली कंपनियों को पांच सालों में 10,000 करोड़ रुपये देने का प्रावधान है.
हालांकि 2023-24 फेम II स्कीम का आखिरी वर्ष है और इसमें कंपनियों को इंसेंटिव के रूप में 5,000 करोड़ का वितरण किया जा सकता है और न होने की स्थिति में मंत्रालय सरकार से इस स्कीम को एक्सटेंड करने के लिए गुजारिश कर सकता है.
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