नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने सड़क पर नियम तोड़ने वालों से मोटर वाहन (संशोधन) कानून-2019 के अनुरूप बढ़ा जुर्माना नहीं वसूलने वाले राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने की चेतावनी दी है. केंद्र का कहना है कि यातायात के संशोधित नियमों के खिलाफ जाकर जुर्माना वसूलने वाले राज्यों के पास ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. ऐसे में अगर कोई राज्य सरकार नियमों के खिलाफ जाकर जुर्माने की राशि को घटाती है तो इसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए केंद्र वहां राष्ट्रपति शासन लगा सकता है.

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केंद्र के नियमों को दरकिनार कर जो राज्य अपने यहां बढ़ा जुर्माना नहीं वसूल रहे हैं, उनमें उत्तराखंड, गुजरात, कर्नाटक, असम झारखंड, केरल और मणिपुर हैं. इन राज्यों को इस संबंध में सोमवार को केंद्र की तरफ से पत्र भेज दिया गया है.

कानून मंत्रालय ने यह साफ़ कर दिया है कि यदि कोई राज्य केंद्र के इस दिशा-निर्देश का पालन नहीं करता है तो वह संविधान के अनुच्छेद 356 के दायरे में आ सकता है और ऐसे में उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.

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पीटीआई (न्यूज एजेंसी) के अनुसार मंत्रालय ने परामर्श में कहा, 'अटॉर्नी जनरल का मानना है कि मोटर वाहन अधिनियम को साल 2019 में संशोधित किया गया था. यह एक संसदीय कानून है और राज्य की सरकारें इसमें तय जुर्माने की सीमा को कम करने के लिए तब तक कानून पारित या कार्यकारी आदेश जारी नहीं कर सकती हैं जब तक वह संबंधित कानून पर राष्ट्रपति की सहमति नहीं प्राप्त कर लें.

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक सड़क पर कानून तोड़ने वालों के लिए जो जुर्माने में भारी बढ़ोतरी की गई थी, उसका उद्देश्य सरकारी खजाना भरना नहीं बल्कि सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देना है. इतना ही नहीं अगर राज्य सरकार चाहे तो केंद्र द्वारा तय किये गए जुर्माने को बढ़ा सकती है,  लेकिन घटाने का अधिकार उसे नहीं है.

सरकार ने जानकारी दी थी कि गुजरात, कर्नाटक, मणिपुर और उत्तराखंड ने केंद्र द्वारा संशोधित किए गए कानून के खिलाफ जाकर कुछ अपराधों के मामले में जुर्माने की राशि को कम किया है.


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