घर की निर्माण प्रक्रिया का अभिन्न अंग है वास्तु. किसी भी घर के निर्माण के लिए वास्तु का सर्वप्रथम विचार किया जाता रहा है. वास्तु पुरुष कैसे प्रकट हुआ इसके पीछे एक कथा है. आज हम आपको इसी कथा के बारे में बताते हैं. प्राचीन काल में एक समय राक्षस अन्धक ने अपने तपोबल से तीनों लोकों को हिला दिया.  इसके बाद महादेव ने जगत कल्याण के लिए विकराल रुप धारण कर अन्धक से युद्ध किया और उसका वध कर दिया.

शिव के  विकराल ललाट से एक भीषण बिंदु पृथ्वी पर गिरा. इस बिंदु से एक विकराल मुख वाला अद्भुत प्राणी निकला. इस प्राणी ने अन्धक के गिरे हुए सभी रक्त बिंदुओं का पान कर लिया और भगवान शिव के समक्ष घोर तपस्या करने लगा.

वह विकराल प्राणी कई दिनों तक तप करता रहा. उसकी घोर तपस्या से प्रसन्न होकर एक दिन भगवान शिव उसके सामने प्रकट हुए है. भगवान शिव ने उस से प्राणी से वर मांगने को कहा.

उस प्राणी ने शिव से तीनों लोगों को ग्रास लेने का सामर्थ्य मांग. उसकी बात सुनकर शिव से तथास्तु. इससे भयभीत होकर ब्रह्मा समते तमाम देव और राक्षसों ने इस विकराल प्राणी को घेर लिया. इस विकराल प्राणी के अंगों पर देव बैठ गए. सभी देवताओं का निवास होने की वजह से वह 'वास्तु पुरुष' के नाम से पुकारा जाने लगा.

उस विकराल प्राणी ने देवताओं से निवेदन करते हुए कहा कि वह इस तरह से कैसे रह पाएगा. उसके निवेदन पर ब्रह्मा और समस्त देवताओं ने कहा कि 'वास्तु के प्रसंग में जो बलि दी जाएगी और वास्तु शांति के लिए जो यज्ञ होगा वह तुम्हे आहार रूप में प्राप्त होगा. वास्तु पूजा न करने वाले भी तुम्हारे आहार होंगे.

देवाताओं के ऐसा कहने से 'वास्तु पुरुष' नामक प्राणी संतुष्ट हो गया. इसके बाद से ही से लोक में शान्ति के लिए वास्तु दोष और शान्ति के यज्ञ का प्रचलन आरम्भ हुआ.

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