अक्सर आपने ग्रहों के वर्की और मार्गी होने के सामाचार सुने होंगे. हालांकि यह जानकारी बहुत कम लोगों है कि ग्रहों के वक्री और मार्गी होने का क्या अर्थ है.

वक्री का अर्थ है उल्टा या तिरछा चलना और मार्गी का अर्थ है सीधा चलना. वक्री चाल में ग्रह किसी राशि में उल्टी दिशा में गति करने लगते हैं. सूर्य और चन्द्र को छोड़कर सभी ग्रह वक्री होते हैं जबकि राहु और केतु सदैव वक्री ही रहते हैं. इसी तरह ग्रह का राशि परिवर्तन (एक राशि से दूसरी राशि में जाना) गोचर कहलाता है. किसी व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के गोचर का बहुत प्रभाव पड़ता है.

कभी-कभी कोई ग्रह एक राशि में वक्री होकर पिछली राशि में चला जाता है और कभी-कभी उसी राशि में बना रहता है. फिर जैसे ही वक्री गति समाप्त होती है वह मार्गी हो जाता है अर्थात अपनी पुरानी स्थिति के अनुसार लौट आता है.

यहां यह जानना भी जरूरी है कि ग्रह कभी पीछे की तरफ नहीं चलता है. यह सिर्फ एक भ्रम है. घूमती हुई पृथ्वी से ग्रह की दूरी और पृथ्वी और उस ग्रह की अपनी गति के अंतर की वजह है ऐसा लगने लगता है कि ग्रह उल्टे चल रहे हैं.

ग्रहों की वक्री चाल का हमारे जीवन पर क्या असर पड़ता है इसे लेकर ज्योतिष में अलग-अलग मत प्रचलित हैं.  जैसे ज्योतिष विद्वानों का एक मत है कि वक्री ग्रह अपनी उल्टी चाल के कारण उच्च राशि में नीच का फल देता है तो नीच राशि में उच्च का फल देता है। जबकि एक अन्य मत यह भी है कि वक्री चाल में ग्रह सदैव नकारात्मक परिणाम देता है.

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