हर कोई अपना कार्य व्यापार बढ़ाना चाहता है. लोगों से मेलजोल को मजबूत करना चाहता है. इसके लिए वह विजिटिंग कार्ड छपवाता है. इसमें अक्सर वास्तु के नियम संबंधी चूक होने से यह अनाकर्षक और निष्प्रभावी हो जाता है. विजिटिंग कार्ड पर उचित रीति से वास्तुशास्त्र का प्रयोग किया जाए तो व्यापार कई गुना बढ़ाया जा सकता है.


विजिटिंग कार्ड को वास्तुशास्त्र के अनुसार एक भूमि टुकड़ा मानें तो इसमें उूपर का भाग नक्शे के समान उत्तर दिशा होता है. उत्तर दिशा के दाएं पूर्व दिशा होती है. पूर्व के दाएं में दक्षिण दिशा होती है. दक्षिण के दाएं में पश्चिम दिशा होती है. सरलता से समझें तो उत्तर दिशा उूपर होती है. दक्षिण दिशा नीचे होती है. 


विजिटिंग कार्ड के उत्तर-पूर्व में लोगो को प्रिंट कराना चाहिए.


निचले हिस्से में पश्चिम की ओर कंपनी का पूरा नाम या उसके मुखिया का नाम होना चाहिए.


मुखिया के नाम के नीचे एक या दो लाइन में विवरण रखा जा सकता है. ध्यान रहे विवरण के लेटर मुखिया या कंपनी के नाम की तुलना बहुत छोटे होने चाहिए.


विजिटिंग कार्ड का मध्य भाग खाली होना चाहिए. विजिटिंग कार्ड के मध्य भाग में कभी भारी और बड़े लेटर्स का प्रयोग नहीं करना चाहिए.


उत्तर-पश्चिम में फोन नंबर रखे जा सकते हैं.


प्रतिनिधि का कार्ड है तो उसका छोटा नाम और नंबर एक साथ दिया जा सकता है.


प्रयास करना चाहिए कि विजिटिंग कार्ड के पिछले भाग पर कुछ भी प्रिंट न करें. दोनों ओर प्रिंट होने से कार्ड का प्रभाव कम होता है.