Vastu Tips for Swastika: हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य बिना स्वस्तिवाचन के संपन्न नहीं होता है. स्वास्तिक (Swastika) को शक्ति और शांति का प्रतीक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक है. स्वास्तिक (Swastika) के चारों भुजाएं समानांतर होती है. यह चारों दिशाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं. किसी भी मांगलिक कार्य को शुरू करने से पूर्व स्वास्तिक (Swastika) का निशान बनाया जाता है. इसे मंगलकारी और कल्याणकारी माना जाता है.


स्वास्तिक (Swastika) का निशान संपन्नता का भी प्रतीक है. विभिन्न मनोकामना की पूर्ति के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के स्वास्तिक बनाए जाते हैं. स्वास्तिक (Swastika) बनाने के लिए मिट्टी, कोयला, हल्दी, कुमकुम, चंदन, गोबर या धातु का प्रयोग किया जाता है.


वास्तु में स्वास्तिक चिन्ह का महत्व (Importance of Swastik Sign in Vastu)


मुख्य द्वार पर


घर के वास्तु दोष को दूर करने के लिए मुख्य द्वार के दोनों और स्वास्तिक का निशान बनाया जाता है. गेट पर अष्ट धातु या तांबे का स्वास्तिक लगाने से घर से दरिद्रता मिट जाती है और वास्तु दोष से मुक्ति मिल जाती है.


तिजोरी पर


कारोबार में वृद्धि और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तिजोरी पर लाल स्वास्तिक का निशान बनाया जाता है. तिजोरी के अंदर लाल या पीले कपड़े में हल्दी और चावल बांधकर रखने से भी धन में वृद्धि होती है.


आंगन में


आंगन के बीचो बीच स्वास्तिक का निशान बनाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा अवशोषित हो जाती है. घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे धन, यश, पद, प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है. लोगों का स्वास्थ्य उत्तम रहता है.


देहरी पर


घर की देहरी पर दोनों तरफ पीले रंग का स्वास्तिक बनाकर उस पर अक्षत रखकर के पीली हल्दी या सुपारी रखने पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और घर धन-धान्य से परिपूर्ण होता है.



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