Surya Grahan 2025: आज 21 सितम्बर 2025, यह तारीख सिर्फ खगोलशास्त्र के कैलेंडर पर दर्ज नहीं होगी, बल्कि राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज की किताबों में भी अपना निशान छोड़ेगी.
सूर्य ग्रहण का दृश्य भारत में नहीं दिखाई देगा, पर इसकी छाया यहां तक महसूस की जाएगी. ग्रहण केवल आकाश पर नहीं पड़ते, वे धरती के भविष्य पर भी प्रभाव डालते हैं. कैसे आइए समझते हैं-
शास्त्र और संकेत
भारतीय ज्योतिष का मत है कि सूर्य सत्ता का प्रतीक है, चंद्र प्रजा का और बुध व्यापार व स्वास्थ्य का. जब तीनों एक साथ छाया में आ जाएं, तो इसका असर केवल ग्रहों की गति तक सीमित नहीं रहता. बृहत संहिता कहती है कि यदा सूर्ये ग्रहो भवति, तदा नृपतयः कम्पन्ते, प्रजाः क्लिश्यन्ति.यानी सूर्य ग्रहण पर शासक अस्थिर होते हैं और जनता पीड़ित होती है.
ग्रहण कन्या राशि में है, यह वही राशि है जो नीति, व्यवस्था और स्वास्थ्य से जुड़ी है. इसलिए यह ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आने वाले महीनों की बेचैनी का दर्पण है.
सत्ता का संकट
सूर्य पर छाया का अर्थ है सत्ता पर अस्थिरता. अमेरिका चुनावी संकट के मुहाने पर खड़ा है. डॉलर दबाव में है. चीन अपनी अर्थव्यवस्था को संभाल नहीं पा रहा और टेक्नोलॉजी युद्ध में और उलझेगा.
यूरोप ऊर्जा संकट और राजनीतिक विभाजन से परेशान है. भारत को सीमाओं पर सतर्क रहना होगा, लेकिन नीति-निर्माण शक्ति के रूप में उसका कद और बढ़ सकता है. ये सूर्य ग्रहण संकेत दे रहा है कि विश्व शक्ति संतुलन अब स्थिर नहीं रहा.
बाजार का हाहाकार
बुध की छाया का अर्थ है व्यापार की नब्ज़ पर चोट. शेयर बाजार अस्थिर होगा. तेल और गैस की कीमतें ऊपर-नीचे होंगी. डिजिटल करेंसी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक विवाद और गहरे होंगे.
इसका असर सिर्फ कॉर्पोरेट बोर्डरूम तक सीमित नहीं रहेगा. यह आम आदमी की थाली तक पहुंचेगा. महंगाई बढ़ेगी. किसान फसल और बाजार दोनों से जूझेगा. दुकानदार घाटे का हिसाब लगाएगा. मजदूर रोजगार की अनिश्चितता से जकड़ा रहेगा. यह ग्रहण चेतावनी है कि जेब और थाली दोनों पर संकट मंडरा रहा है.
स्वास्थ्य की आहट
कन्या राशि पाचन और रोग-प्रतिरोधक शक्ति से जुड़ी है. इतिहास गवाह है कि ग्रहण के बाद बीमारियाँ बढ़ीं. 1962 के ग्रहण के बाद एशिया में इन्फ्लुएंजा फैला. 2019 के दिसम्बर ग्रहण के बाद कोरोना महामारी आई.
अब संकेत है कि कोई नई बीमारी, कोई नया वायरस या मानसिक विकार दुनिया को परेशान कर सकता है. अस्पतालों की भीड़, दवाओं की कमी और लोगों की बेचैनी कि यही ग्रहण की छाया का सामाजिक चेहरा हो सकता है.
प्रकृति का विद्रोह
धरती भी ग्रहण की बेचैनी को महसूस करती है. बृहत संहिता में लिखा है कि कन्या राशि में ग्रहण पड़े तो भूकंप और समुद्री उथल-पुथल होती है.जापान, इंडोनेशिया और न्यूजीलैंड खतरे की रेखा पर हैं. अफ्रीका और दक्षिण एशिया में सूखा और बाढ़ का दोहरा संकट हो सकता है. इसका असर खेत से लेकर मंडी तक और मंडी से लेकर थाली तक महसूस होगा.
ऐतिहासिक घटनाएं, जो ग्रहण के समय घटित हुईं
- 1962 का ग्रहण- भारत-चीन युद्ध और क्यूबा मिसाइल संकट.
- 1973 का ग्रहण- तेल संकट और योम किप्पुर युद्ध.
- 1991 का ग्रहण- सोवियत संघ का पतन.
- 2001 का ग्रहण- 9/11 हमला.
- 2008 का ग्रहण- वैश्विक वित्तीय मंदी.
- 2015 का ग्रहण- नेपाल भूकंप.
- 2019 का ग्रहण- कोरोना महामारी.
यह ग्रहण संकेत दे रहा है कि ऐसी घटनाएं केवल खगोलीय नहीं होती बल्कि यह युग परिवर्तन की घंटी भी होती है. कुल मिलाकर 21 सितम्बर 2025 का सूर्य ग्रहण केवल आकाशीय घटना नहीं है. यह आने वाले समय का आईना है. यह ग्रहण कह रहा है-
- सत्ता अस्थिर होगी.
- बाजार हिलेगा.
- स्वास्थ्य संकट लौटेगा.
- प्रकृति विद्रोह करेगी.
इतिहास ने हमें कई बार चेताया है. पर सवाल वही है-क्या हम इस बार तैयार हैं? या फिर हम एक बार और अंधकार में डूबने को मजबूर होंगे?
ग्रहण साधान का काल है!
भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक का नियम लागू नहीं होगा. लेकिन यह पितृ पक्ष में पड़ रहा है. शास्त्र कहते हैं कि ग्रहणकाल में किया गया स्नान, जप और दान सौ गुना फल देता है.
जब सत्ता डगमगाए, जब बाजार टूटे, जब स्वास्थ्य बिगड़े और जब प्रकृति विद्रोह करे-तब आस्था ही है जो इंसान को आत्मबल देती है. यही कारण है कि ग्रहण हमेशा से साधना और तर्पण का सर्वोच्च काल माना गया है.
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