Shiva Story: सावन का महीना भोलेनाथ को समर्पित है. भोलेनाथ को शिवलिंग समेत कई रुपों में पूजा जाता है. शिव का ऐसा ही एक निर्मल स्वरुप है अर्धनारीश्वर. भगवान शिव के इस रुप में उनके साथ शक्ति भी हैं. माना जाता है कि भगवान शिव ने यह रुप ब्रह्मा जी के सामने लिया था. भगवान शिव और शक्ति को एक साथ प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरुप की आराधना की जाती है. 


ऐसा है शिव का अर्धनारीश्वर रूप


अर्धनारीश्वर स्वरुप का अर्थ है आधी स्त्री और आधा पुरुष. भगवान शिव के इस अर्धनारीश्वर स्वरुप के आधे हिस्से में पुरुष रुपी शिव का वास है तो आधे हिस्से में स्त्री रुपी शिवा यानि शक्ति का वास है. भगवान का यह रुप संकेत दिया जाता है की स्त्री और पुरुष एक ही सिक्के के दो पहलु हैं और दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं. इन दोनों में से किसी भी एक के बिना सृष्टि की कल्पना नहीं की जा सकती है.



शिव जी ने इसलिए लिया अर्धनारीश्वर का रूप


पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी को सृष्टि के निर्माण का जिम्मा सौंपा गया था. जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण का काम शुरु किया, तब उनको ज्ञात हुआ की उनकी ये जा सारी रचनाएं जीवनोपरांत नष्ट हो जाएंगी और हर बार उन्हें नए सिरे से सृजन करना होगा. उनके सामने यह एक बहुत ही बड़ी दुविधा थी कि इस तरह से सृष्टि की वृद्धि कैसे होगी. काफी सोच-विचार करने के बाद ब्रम्हा जी भगवान शिव के पास पहुंचे.


ब्रह्मदेव के अनुरोध पर शिव जी ने स्त्री-पुरुष दोनों की उत्पत्ति के लिए यह रूप धरा. शंकर भगवाने ने इसी स्वरुप में ब्रह्मा जी को दर्शन दिया. उनके शरीर के आधे भाग में साक्षात शिव नजर आए और आधे भाग में स्त्री रुपी शिवा यानि शक्ति. अपने इस स्वरुप के दर्शन से भगवान शिव ने ब्रह्मा जी को प्रजननशिल प्राणी के सृजन की प्रेरणा दी. 


इस तरह शिव से शक्ति अलग हुईं और फिर शक्ति ने अपनी मस्तक के मध्य भाग से अपने ही समान कांति वाली एक अन्य शक्ति को प्रकट किया. इसी शक्ति ने फिर दक्ष के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया, जिसके बाद सृष्टि की शुरुआत हुई. 


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