Ashtami Navami Hawan: नवरात्रि के 9 दिन देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. कन्या पूजन और हवन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है. माना जाता है कि नवरात्रि में अष्टमी-नवमी के दिन हवन करने से नवग्रह, देवी और देवताओं को उनका अंश प्राप्त होता है, जिससे प्रसन्न होकर वो आशीर्वाद देते हैं. जानते हैं हवन की सही विधि और इससे मिलने वाले लाभ के बारे में. 


नवरात्रि में हवन का महत्व


नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना के साथ हवन करना अनिवार्य माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार हवन के बिना नवरात्रि की पूजा संपन्न नहीं होती है. कुछ लोग नवरात्रि में पूरे नौ दिन हवन करते हैं. जो लोग नवरात्रि में नौ दिन हवन नहीं कर पाते हैं वो अष्टमी या नवमी के दिन हवन जरूर करते हैं. आज दुर्गा अष्टमी और कल महानवमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह से शाम तक है. इस दिन सूर्योदय के बाद महागौरी और सिद्धिदात्री पूजा करने के बाद हवन कर सकते हैं. हवन के बाद कन्या पूजा करें.



हवन की विधि


हवन करने के लिए हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, कुमकुम, अक्षत, जौ, धूप, पंचमेवा, सूखा नारियल, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, लौंग, इलायची, और हवन में चढ़ाने के लिए भोग को एक जगह एकत्रित कर लें. हवन करने के लिए सबसे पहले हवन कुंड को गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए. हवन कुंड के चारों तरफ कलावा बांध दें. उस पर स्वास्तिक बनाकर उसकी पूजा करनी चाहिए. इसके बाद हवन कुंड पर अक्षत, फूल और चंदन अर्पित करना चाहिए. हवन सामग्री तैयार कर लें. 


हवन कुंड में 4 आम की लकड़ियां रखकर इसके बीच में पान का पत्ता रखें और उस पर कपूर, लौंग, इलायची, बताशा आदि रखें. इसके बाद हवन कुंड में आम की लकड़ियां रखकर अग्नि प्रज्वलित करें.मंत्र बोलते हुए हवन सामग्री से अग्नि में आहुति दें. हवन संपूर्ण होने के बाद 9 कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराएं और पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें. इसके बाद कन्याओं को दक्षिणा देकर श्रद्धापूर्वक विदा करें.


हवन करने का मंत्र


ओम आग्नेय नम: स्वाहा,
ओम गणेशाय नम: स्वाहा,
ओम गौरियाय नम: स्वाहा,
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा,
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा,
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा,
ओम हनुमते नम: स्वाहा,
ओम भैरवाय नम: स्वाहा,
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा,
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा,
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा,
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा,
ओम शिवाय नम: स्वाहा.


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