Snake: झमाझम बारिश, चारों ओर हरियाली, शिव भक्ति में रमा माहौल सबकुछ इस बात का प्रतीक है कि सावन (Sawan 2023) आ चुका है. सावन के महीने में कई त्योहार भी पड़ते हैं जिनमें से एक है 'नागपंचमी'. 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी (Naag Panchmi 2023) का पर्व देशभर में मनाया जाएगा. नागपंचमी के दिन भगवान के गण नागों की पूजा की जाती है. नागों के बारे में कहा जाता है कि पहले उनमें विष नहीं हुआ करता था, लेकिन श्राप लगने के कारण विषैले हो गए.
शिव पुराण की कथाओं के अनुसार (Shaiv Puran in Hindi)शिव पुराण की कथाओं के अनुसार कथा के अनुसार सर्प पहले विषहीन हुआ करते थे. मान्यता है कि भगवान विष्णु ने देवराज इंद्र को दुर्वासा ऋषि के शाप से मुक्ति के लिए असुरों के साथ मिलकर सागर मंथन के लिए कहा और देवताओं को सागर मंथन से निकलने वाले अमृत को लेकर लालच दिया. तब देवताओं और असुरों के बीच सागर मंथन शुरू हुआ. भगवान विष्णु ने कछुआ का अवतार लेकर समुद्र के बीचो बीच रहे और उनके ऊपर मदरांचल पर्वत रखा गया. इसके बाद वासुकी नाग को रस्सी बनाकर एक ओर असुरों ने पकड़ा तो दूसरी तरह देवताओं ने. इसके बाद समुद्र मंथन करना शुरू किया.
समुद्र मंथन से मिला हलाहल विष (Samudra Manthan Katha)समुद्र मंथन से कई चीजें एक एक कर प्राप्त होने लगीं उसी में से एक था हलाहल विष. इस विष की तीव्रता इतनी अधिक थी कि देवी - देवता इस विष से आहत होने लगे थे. देवी-देवताओं को चिंता होने लगी कि अगर ये विष धरती पर रह गया तो कोई नहीं बच पाएगा. ऐसे में सभी देवी देवताओं ने शिव जी से इसके निवारण के लिए विनती की.
तो ऐसे हुए सांप विषैले (Venomous Snakes)भगवान शिव ने देवी देवताओं की विनती सुनी और विष को कंठ में धारण कर लिया. और गले से नीचे नहीं उतरने दिया. विषपान करते समय शिव जी का गला पूरा नीला पड़ गया और तभी से वो नीलकण्ठ कहलाए. शिव पुराण में इस बात का वर्णन है कि भगवान शिव जब विषपान कर रहे थे तो सांप, बिच्छू ने और कई कीड़ों ने विष की बूंदों को चाट लिया, तभी से सांप और बिच्छू विषैले हो गए.
ये भी पढ़ें - Sawan 2023: शिव जी के डाकिया माने जाते हैं नंदी महाराज, मुराद पूरी करनी है तो नंदी कान में ऐसे कहें मनोकामनाएं
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.