Rule of Drinking Water:  जीवन के लिए पानी का विशेष महत्व होता है. यहां तक कि पृथ्वी पर अगर जीवन है तो इसका मुख्य कारण जल का होना है. अन्य ग्रहों पर जीवन इस लिए नहीं क्योंकि वहां पानी नहीं है. वसे भी कहा जाता है कि जल ही जीवन है. अर्थात जल के बिना जीवन असंभव है.

पानी हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी होता है. हालांकि जब हम जल का उपयोग गलत तरीके से करते हैं तो उसके कई नुकसान भी होते है. पानी हमारे से जीवन को ही नहीं बल्कि हमारे स्वास्थ्य को निरोगी बनाता है. यदि हम पानी पीने के तरीकों को सुधार लें अर्थात पानी को नियमों के अनुसार पियें तो हम 50 की उम्र में भी 25 के दिखाई देंगे. आइये जानें आयुर्वेद में वर्णित पानी पीने के नियम.

पानी कैसे पियें? पानी पीने के नियम

खाना खाने के बाद पानी पियें: अक्सर लोग खाना खाने के तुरंत बाद या खाना खाने के वक्त पानी पीते हैं. इस तरह पानी पीना स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद खतरनाक होता है. इससे हमारे द्वारा खाया हुआ खाना ठीक ढंग से पचता नहीं है और गैस बनने लगती है. खाने का सही ढंग से पाचन न होना कई बीमारियों को जन्म देता है.

इस लिए खाने के तुरंत बाद या खाना खाते समय पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार, जब व्यक्ति खाना खाता है तो उसके जठर में खाना पचाने के लिए अग्नि जलती है, जिसे जठराग्नि कहते हैं. खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीने से यह जठराग्नि शांत हो जाती है. जिसके फलस्वरूप पाचक एंजाइम प्रयाप्त मात्रा में स्रावित नहीं होते हैं और खाने का सही ढंग से पाचन नहीं होता है. आयुर्वेद के अनुसार, खाना खाने के करीब 1 घंटे बाद पानी पीना चाहिए. इससे खाने का सही ढंग से पाचन हो जाता है.  

घूँट घूँट कर पानी पियें : पानी हमेशा बैठकर धीरे-धीरे व थोड़ा थोड़ा यानी घूँट-घूँट कर पानी पीना चाहिए. क्योंकि हमारी मुंह की लार पानी के साथ मिलकर आमाशय में जाएगी. इससे पाचन क्रिया ठीक रहेगी और उचित ढंग से भोजन का पाचन होगा.

ठंडा पाना पियें : फ्रिज का ठंडा पानी पित्ताशय के लिए हानिकारक होता है. इस लिए कभी भी ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए. हमेशा सामान्य ताप वाला पानी पीना चाहिए.

सुबह उठकर भरपेट पानी पियें: सुबह उठकर भर पेट पानी पीना चाहिए. क्योंकि रात भर हमारे मुंह में एंटीरियोटिक नामक एंजाइम तैयार होता है जो पानी के साथ जाकर हमारे पाचन संस्थान को रोगमुक्त करता है. आँतों में चिपका हुआ मल आँतों से निकलकर बाहर चला जाता है. इससे पेट साफ हो जाता है. पेट साफ़ होने से अधिकांश बीमारी ख़त्म हो जाती है.

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