व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) इस समय भारत में हैं. उनका ये भारत दौरा सामान्य कूटनीति से अधिक महत्व रखता है. उनकी कुंडली बताती है कि 2026 में रूस पर आर्थिक दबाव, युद्ध की स्थिर थकान और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध तीनों एक साथ असर डालेंगे. ग्रहों की मानें तो तुला लग्न और उच्च शनि वाले पुतिन ऐसे दौर में नए मोर्चे नहीं खोलते वे भरोसेमंद साझेदारों पर टिकते हैं. यही कारण है कि भारत उनकी विदेश–नीति में इस समय बेहद महत्वपूर्ण और निर्णायक है.
गुरु का गोचर विदेश सहयोगों को पुनर्संतुलित करने की ओर संकेत देता है. डिफेंस अपग्रेड, ऊर्जा आपूर्ति और न्यूक्लियर–स्पेस सहयोग ये सभी क्षेत्र 2026 में भारत-रूस संबंधों को और स्थिर बनाएंगे. अमेरिका का बढ़ता दबाव रूस को व्यावहारिक कूटनीति की ओर धकेलेगा और इसी प्रक्रिया में भारत एक संतुलनकारी भूमिका निभाएगा.
शायद इसीलिए पुतिन का 4-5 दिसंबर 2025 का भारत दौरा एक साधारण कूटनीतिक यात्रा के दायरे में नहीं आता. क्योंकि यह उस समय हुआ, जब रूस अपनी अर्थव्यवस्था, युद्ध और अंतरराष्ट्रीय दबाव तीनों में समानांतर चुनौतियों से जूझ रहा है. दिलचस्प बात यह है कि पुतिन की ज्योतिषीय स्थिति भी इसी समय एक स्पष्ट मोड़ की तरफ़ इशारा कर रही है.
2026 में पुतिन को किन चुनौतियों का सामना करना होगा?
तुला लग्न और उच्च शनि वाले नेता आमतौर पर संकट को विस्तार से नहीं, बल्कि संरचना से संभालते हैं. 2026 में शनि का दबाव ठीक वहीं बढ़ रहा है जहां राज्य की स्थिरता, संसाधन और जनता का धैर्य एक साथ परीक्षा में आते हैं. रूस के भीतर यह दबाव दिख भी रहा है. अर्थव्यवस्था थकी है, युद्ध स्थिर है और प्रतिबंधों की पकड़ पहले से मजबूत. ऐसे समय में पुतिन अपनी ऊर्जा नए मोर्चों पर नहीं, बल्कि भरोसेमंद साझेदारियों पर लगाते हैं. भारत दौरे का महत्व इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए.
भारत के साथ रूस का संबंध कैसा रहने वाला है
भारत-रूस संबंध लंबे समय से स्थिर रहे हैं, लेकिन 2026 में इनकी प्रकृति बदलने वाली है. पुतिन की कुंडली में गुरु विदेश–नीति के भाव को सक्रिय कर रहा है, जो बताता है कि यह वह वर्ष है जब रूस अपने विश्वसनीय सहयोगियों की सूची को पुनर्संतुलित (Rebalanced) करेगा. डिफेंस, ऊर्जा, न्यूक्लियर और स्पेस ये सभी क्षेत्र भारत के साथ रूस के संबंधों को ठोस बनाते हैं. पश्चिमी दबाव के बावजूद, 2026 में रूस भारत से दूरी नहीं बना सकता; वास्तव में यह रिश्ता उसके लिए और अनिवार्य हो जाएगा.
रूस-अमेरिका तनाव 2026 में और तेज़ होगा. आर्थिक प्रतिबंधों और ऊर्जा-नाड़ियों पर दबाव से रूस को सीमित समझौतों के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. लेकिन यह दबाव रूस की विदेश–नीति को व्यवहारिक बनाएगा, टकराव और संपर्क, दोनों एक साथ चलते रहेंगे. इसी द्वंद्व में भारत पुतिन के लिए एक ऐसा संतुलन बनकर उभरता है जो न युद्ध का हिस्सा है, न राजनीतिक बोझ का. यही इस रिश्ते की मजबूती है.
पाकिस्तान और चीन के साथ रूस की निकटता पर अक्सर सवाल उठते हैं, लेकिन पुतिन की ज्योतिषीय गणना बताती है कि भारत-रूस समीकरण स्थिर है, जबकि बाकी साझेदारियां सामरिक जरूरतों के आधार पर बदल सकती हैं. 2026 में रूस इन विकल्पों को खुला रखेगा, लेकिन भारत का स्थान इनमें केंद्रीय रहेगा.
पुतिन की कुंडली 2026 के लिए जिस तस्वीर की ओर संकेत करती है, वह सरल है. सत्ता पर सीधा खतरा नहीं, लेकिन दबाव हर दिशा से बढ़ेगा. ऐसे समय में नेता अपनी निर्णायक साझेदारियां चुनते हैं. भारत यात्रा उसी प्रक्रिया का हिस्सा मानी जा सकती है. एक शांत, लेकिन महत्वपूर्ण संदेश कि रूस अगले वर्ष अपने दायरे को विस्तार से नहीं, सुरक्षा से परिभाषित करेगा और उस सुरक्षा में भारत एक प्रमुख स्तंभ के रूप में मौजूद रहेगा.
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