Papmochani Ekadashi Vrat Katha: पंचांग के अनुसार 7 अप्रैल 2021 बुधवार को चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है. इस एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. पापमोचनी एकादशी सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने वाली मानी गई है. इसके साथ ही इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.


एकादशी व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष पुण्य बताया गया है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. चैत्र मास में भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है. भगवान विष्णु एकादशी व्रत की पूजा से प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को विशेष आर्शीवाद प्रदान करते है. एकादशी का व्रत और पूजा जीवन में आनी वाली परेशानियों को भी दूर करती है.


पापमोचनी एकादशी व्रत और पूजा का मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ: 07 अप्रैल, बुधवार रात 02 बजकर 09 मिनट से.
एकादशी तिथि समापन: 08 अप्रैल, गुरुवार रात 02 बजकर 28 मिनट.
हरिवासर समाप्ति समय: 08 अप्रैल, गुरुवार सुबह 08 बजकर 40 मिनट.
एकादशी व्रत पारण मुहूर्त: 08 अप्रैल, गुरुवार दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से शाम 04 बजकर 11 मिनट तक.


पाप मोचनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में चैत्ररथ सुंदर वन में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या में लीन थे. एक दिन एक अप्सरा मंजुघोषा वहां से गुजरी. अप्सरा मेधावी को देख मोहित हो गई. अप्सरा ने मेधावी को आकर्षित करने के जतन किए, किंतु उसे सफलता नहीं मिली. अप्सरा उदास होकर बैठ गई. तभी वहां से कामदेव गुजरे. कामदेव अप्सरा की मंशा को समझ गए और उसकी मदद की. जिस कारण मेधावी मंजुघोषा के प्रति आकर्षित हो गए.


अप्सरा को पिशाचिनी होने का श्राप मिला
अप्सरा के इस प्रयास से मेधावी भगवान शिव की तपस्या को भूल गए. कई वर्ष बीत जाने के बाद जब मेधावी को अपनी भूल याद आई तो उन्होने मंजुघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया. मेधावी को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने इस कृत्य के लिए माफी मांगी. अप्सरा की विनती पर मेधावी ने पापमोचनी एकादशी का व्रत के महत्व के बारे में बताया और कहा कि इस व्रत को विधि पूर्वक पूर्ण करो. सभी पाप दूर होंगे.


अप्सरा ने कहे अनुसार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा. विधि पूर्वक व्रत का पारण किया. ऐसा करने से उसके पाप दूर हो गए और उसे पिशाच योनी से मुक्ति मिल गई. इसके बाद अप्सरा वापिस स्वर्ग लौट गई हो गई. दूसरी तरफ मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया. इस व्रत के प्रभाव से मेधावी भी पाप मुक्त हो गए.


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