Navgrah Upay: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति के जीवन में सभी 9 ग्रहों का अहम प्रभाव पड़ता है. व्यक्ति का जीवन इन्हीं नौ ग्रहों की ऊर्जा से संचालित होता है. सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति (गुरु), शुक्र, शनि, राहु और केतु ये सभी ग्रह अपनी-अपनी स्थिति, दृष्टि और बल के अनुसार व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं.

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किसी जातक की कुंडली में जब ये ग्रह शुभ या बलवान होते हैं, तो व्यक्ति को सफलता, स्वास्थ्य, धन और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है. लेकिन यदि कुंडली में ग्रह निर्बल या अशुभ स्थिति में हो तो जीवन में भारी असंतुलन और चुनौतियों का दौर शुरू हो जाता है. जैसे- सूर्य के निर्बल होने पर शारीरिक कष्ट, चंद्रमा के कमजोर होने पर मानसिक कष्ट, मंगल की अशुभता से दुर्घटना शुक्र की अशुभता से प्रेम और वैवाहिक जीवन में परेशानी आदि जैसी परेशानियां रहती हैं.

इसी तरह के अन्य सभी ग्रहों की जीवन में अहम भूमिका होती है. आइए जानते हैं यदि कुंडली में ये 9 ग्रह बलहीन (अशुभ) हो जाए तो क्या होगा, ऐसी स्थिति में क्या प्रभाव पड़ सकते हैं और क्या उपाय करना चाहिए.

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सूर्य के निर्बल होने पर- सूर्य आत्मबल, प्रतिष्ठा और नेतृत्व का प्रतीक है. ज्योतिष के अनुसार कुंडली में जब सूर्य कमजोर हो तो व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी आती है. खासकर सरकारी कार्यों में बाधाएं बढ़ती हैं और मान-सम्मान कम होता है. पिता से संबंधों में भी दूरी आने लगती है.

चंद्रमा के निर्बल होने पर- चंद्रमा मन और भावनाओं का ग्रह है. इसके अशुभ होने पर व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिरता, चिड़चिड़ापन या उदासी रहती है. निर्णय लेने की क्षमता घटती है और नींद की समस्याएं बढ़ती हैं.

मंगल के कमजोर होने पर- ज्योतिष में मंगल को ऊर्जा, साहस, पराक्रम और भूमि आदि का कारक कहा जाता है. मंगल के कमजोर होने पर व्यक्ति में डर, आलस्य और असफलता का भाव उत्पन्न होता है. शरीर में रक्त या त्वचा से जुड़ी दिक्कतें भी हो सकती हैं.

बुध के निर्बल होने पर- बुध बुद्धि, वाणी, संचार, कौशल और व्यापार आदि का प्रतिनिधि हैं. इसके कमजोर होने से व्यक्ति की संचार की कमी आती है, व्यापार में हानि और निर्णयों में भ्रम रहता है.

बृहस्पति के निर्बल होने पर- गुरु ज्ञान, धर्म और भाग्य का ग्रह हैं. इसके निर्बल होने से शिक्षा, संतान और सम्मान में कमी आती है. व्यक्ति का भाग्य साथ देना बंद कर देता है और जीवन में दिशा का अभाव महसूस होता है.

शुक्र कमजोर हो तो- शुक्र को भोग-विलास, सौंदर्य, प्रेम और वैवाहिक जीवन का कारक माना जाता है. शुक्र की अशुभता से संबंधों में तनाव, आर्थिक हानि और मानसिक असंतोष बढ़ता है. साथ ही भौतिक सुख-सुविधाओं में भी कमी आती है.

शनि अशुभ हो तो- शनि कर्म, अनुशासन और न्यायप्रिय ग्रह है. शनि के अशुभ होने पर व्यक्ति मेहनत तो करता है, लेकिन फल नहीं मिलता. नौकरी में रुकावटें और जीवन में संघर्ष बढ़ते हैं.

राहु और केतु के निर्बल होने पर- राहु और केतु को ज्योतिष में छाया ग्रह कहा जाता है. लेकिन राहु-केतु की शुभता-अशुभता का प्रभाव भी पड़ता है. राहु-केतु कमजोर हो तो भ्रम, भय और अनिश्चितता जैसी स्थिति पैदा करते हैं. राहु के कमजोर होने से व्यक्ति में लक्ष्यहीनता आती है, जबकि केतु के निर्बल होने से आध्यात्मिकता कमजोर पड़ जाती है और मानसिक बेचैनी बढ़ती है.

क्या करें उपाय

  • सबसे पहले किसी जानकार ज्योतिषी से अपनी कुंडली दिखाएं और कमजोर या अशुभ ग्रहों की स्थिति जानकर ग्रहों के अनुसार उपाय करें.
  • ज्योतिषी की सलाह से आप ग्रहों के अनुकूल रत्न भी धारण कर सकते हैं.
  • नवग्रहों की शुभता के लिए नवग्रह शांति पूजन या हवन भी करा सकते हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.