Safalta Ki Kunji, Motivational Quotes in Hindi: सफल बनने के लिए हर व्यक्ति का अपना एक उद्देश्य या लक्ष्य जरूर होता है. इन्हीं लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए व्यक्ति कोशिश करता रहता है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सफल तो होना चाहते हैं, लेकिन उनका अपना निश्चित उद्देश्य या लक्ष्य नहीं होता है.


सफलता के लिए किसी व्यक्ति का लक्ष्य बड़ा या छोटा कुछ भी हो सकता है. अलग-अलग लोगों के लिए सफलता के मापडंद भी अलग होते हैं. लेकिन समस्या ऐसे लोगों के साथ होती है, जिनका लक्ष्य ही निर्धारित नहीं होता है. लक्ष्य प्राप्ति के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गीता के आखिरी अध्याय के श्लोक में कई बातें बताई गई हैं. लेकिन दुर्भाग्यवश कई लोग इस बात से आज भी अनविज्ञ हैं कि, गीता ही ज्ञान की वह ज्योति है, जिससे व्यक्ति सफलता के लिए अपने लक्ष्य को पहचान सकता है. आइये जानते हैं भगवान श्रीकृष्ण लक्ष्य प्राप्ति के लिए गीता के आखिरी अध्याय के श्लोक में क्या कहा-



"यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।18.78।।"


अर्थ है: श्रीकृष्ण कहते हैं कि, जहां  लगन, मेहनत और धैर्य है वहां जीत निश्चित है. कृष्ण कहते हैं अपने कर्तव्य के प्रति आरूढ रहना सीखो. क्योंकि दुनिया मे ऐसी कोई चीज नही है, ऐसा कोई काम नही है और ऐसा कोईलक्ष्य नहीं है, जिसे व्यक्ति हासिल नही कर सकता. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि न तो व्यक्ति इंतजार करता है और ना मेहनत. प्रतीक्षा या मेहनत के बैगर लक्ष्य को हासिल करना नामुमकिन है.


गीता में ही श्रीकृष्ण कहते हैं कि-

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥”


अर्थ है: मनुष्य को कर्म करने का अधिकार है. लेकिन उसके फलों में नहीं. क्योंकि जिसने फल की कामना से कर्म किया वह कभी कामयाब नहीं होता और वह कभी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर सकता. इसलिए कर्मों के फल लालसा नहीं पालनी चाहिए. वह तो स्वतः ही प्राप्त हो जाता है.


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