Mangal Dosh: मंगल दोष कुंडली में एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय गणितीय योग है जो व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालता है. यह दोष मंगल ग्रह के स्थान और संयोग पर आधारित होता है. मंगल ग्रह को वीरता, साहस, आग्रह, क्रोध और उत्तेजना का प्रतीक माना जाता है. मंगल दोष के विभिन्न प्रकार होते हैं. प्रथम प्रकार है मंगलीक दोष, जो जातक के विवाह जीवन में असुख और संघर्ष का कारण बनता है. दूसरा प्रकार है अंत्येष्टि दोष, जो विवाहित जीवन में अस्थिरता और विवाहितों के बीच विवाद का कारण बनता है. तीसरा प्रकार है अंक दोष, जो जन्म कुंडली में मंगल के संयोग से होता है.

कब बनता है मंगल दोष?यदि जन्म कुंडली में मंगल ग्रह निम्न में से किसी भी भाव (हाउस) में स्थित हो, तो मांगलिक दोष की स्थिति बनती है:

  • लग्न (1st House) स्वभाव में गुस्सा, जिद्दी प्रवृत्ति
  •  द्वितीय (2nd House) पारिवारिक विवाद, आर्थिक अस्थिरता
  •  चतुर्थ (4th House) घर में अशांति, माता के स्वास्थ्य पर असर
  •  सप्तम (7th House) वैवाहिक जीवन में तनाव, तलाक की संभावना
  •  अष्टम (8th House) दुर्घटनाएं, अचानक नुकसान
  •  द्वादश (12th House) मानसिक तनाव, विदेश यात्रा में रुकावट   

कैसे पता करें कि आपकी कुंडली में मंगल दोष है या नहीं?इसके लिए आपको अपनी जन्म कुंडली की अच्छी तरह से जांच करनी होगी. आप किसी ज्योतिष या कुंडली विशेषज्ञ से अपनी जन्म कुंडली दिखा सकते हैं. मंगल ग्रह की पोजीशन और उसका अन्य ग्रहों से संयोग यह तय करता है कि आप पर मांगलिक दोष का असर है या नहीं. 

मंगल दोष के प्रकार 

  • मंगलीक दोष – विवाह में देरी, दांपत्य जीवन में संघर्ष.
  • अंत्येष्टि दोष – विवाहित जीवन में अस्थिरता और रिश्तों में दरार.
  • अंक दोष – कुंडली में मंगल के अंकीय प्रभावों से उत्पन्न होने वाला दोष, जो जीवन की कई दिशाओं को प्रभावित करता है.

 मंगल दोष होने के कारण

  • मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति: कुंडली में मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति, जैसे कि लग्न कुंडली में अशुभ या दुश्मन भावों में स्थिति, मंगल दोष का कारण बन सकती है.
  • मंगल ग्रह की दृष्टि: मंगल ग्रह की दृष्टि अन्य उच्च ग्रहों पर, जैसे कि शनि, राहु, या केतु, भी मंगल दोष के कारण बन सकती है.
  • राहु या केतु के संयोग: मंगल के साथ राहु या केतु की संयोगबद्ध स्थिति भी मंगल दोष का कारण बन सकती है.
  • मंगल के ग्रहण: मंगल के ग्रहण के समय कुंडली में मंगल की स्थिति के अशुभ होने के कारण भी मंगल दोष बन सकता है.
  • मंगल के विशेष योग: कुंडली में मंगल के विशेष योग जैसे कि कुज दोष या अंगारक योग भी मंगल दोष के कारण बन सकते हैं.
  • मंगल के नीच स्थिति: मंगल की कुंडली में नीच स्थिति, जैसे कि मिथुन राशि या कन्या राशि में, भी मंगल दोष का कारण बन सकती है.
  • मंगल के दशा या अंतरदशा: कुंडली में मंगल के दशा या अंतरदशा में अशुभ प्रभाव भी मंगल दोष को बढ़ा सकता है.

मंगल दोष परिहार

  • अगर वर और वधु की कुंडली में मंगल एक जैसे भावों में हो, तो यह दोष नहीं माना जाता.
  • अगर दोनों की कुंडली में कोई पाप ग्रह (जैसे शनि) एक ही तरह की स्थिति में हो, तो भी दोष नहीं लगता.
  • अगर मंगल गुरु या चंद्रमा के साथ बैठा हो, या चंद्रमा केंद्र में हो, तब भी इसका असर नहीं होता.
  • कर्क लग्न में मंगल कभी भी दोष नहीं देता.
  • अगर मंगल नीच राशि (कर्क) या शत्रु राशि में तीसरे या छठे भाव में हो, तो भी दोष नहीं माना जाता.
  • अगर जीवनसाथी की कुंडली में उस भाव से सातवां भाव शुभ ग्रह से युक्त हो, तो भी मंगल दोष का असर खत्म हो जाता है.

मंगल दोष को शांत करने के उपाय:

  • मंगल से जुड़ी चीजें धारण करना – जैसे मूंगा (लाल रत्न), माणिक्य और केसरिया फूल.
  • विशेष मंत्रों का जाप करना – जैसे “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः”.
  • हनुमान जी की उपासना, सुंदरकांड पाठ या हनुमान चालीसा का नियमित पाठ.
  • मंगलवार के दिन व्रत रखना या लाल वस्त्र और मिठाई दान करना भी लाभदायक होता है.

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