Mahatma Vidur Niti: महात्मा विदुर (Mahatma Vidur) का नाम महाभारत के प्रमुख पात्रों में लिया जाता है. विदुर जी दासी पुत्र थे और हस्तिनापुर राज्य के महामंत्री थे. महात्मा विदुर जी (Mahatma Vidur) हमेशा सत्य का साथ देते थे. पूरी महाभारत में विदुर जी निष्पक्ष रुप से धृतराष्ट्र को पुत्र मोह त्याग कर, नीति पर चलते हुए पांडवों को राजपद देने के लिए प्रेरित किया करते थे. विदुर जी (Vidur Ji) कहते हैं इस संसार में दो प्रकार के व्यक्तियों का बड़ा महत्व है. इन्हें सीधा मोक्ष प्राप्त होता है और स्वर्ग में स्थान मिलता है.


इनको मिलता है स्वर्ग में स्थान


क्षमाशील: शक्तिशाली और सामर्थ्यवान व्यक्ति के भीतर अहंकार की भावना घर कर जाती है. कहा जाता है कि क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो, उसको क्या जो दंतहीन, विषहीन, विनीत सरल हो. महात्मा विदुर जी कहते हैं कि जो व्यक्ति शक्तिशाली होते हुए भी क्षमाशील होता है उसके जैसा आदर्श पुरुष और कोई नहीं है. विदुर नीति (Vidur Niti) के अनुसार ऐसा व्यक्ति स्वर्ग को प्राप्त करता है.


दानी व्यक्ति: इस संसार में वह व्यक्ति श्रेष्ठ होता है जो गरीब होते हुए भी दूसरों की मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहता है. निर्धन व्यक्ति अपनी जरूरत के हिसाब से लोगों को भी समझता है. इसी कारण उसका हृदय बहुत विशाल होता है. उसका हाथ खुला रहता है. वह लोगों को क्षमता के अनुसार दान देता है. दान शील व्यक्ति इस संसार में सम्मान पाता है. मोक्ष प्राप्त करता है. विदुर नीति (Vidur Niti) के अनुसार ऐसे व्यक्ति को स्वर्ग प्राप्त होता है.



 


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