हिन्‍दू धर्म में 108 एक ऐसा अंक है जो अत्‍यंत महत्वपूर्ण स्‍थान रखता है. रूद्राक्ष की माला में 108 मनके होते हैं, मंत्रों का जाप 108 बार किया जाता है. आखिर क्या कारण है कि 108 के अंक को हिन्दू धर्म में इतना महत्व हासिल है.

108 को शिव का अंक माना गया है. इसके पीछे वजह यह है कि मुख्‍य शिवांगों की संख्या 108 होती है. सभी शैव संप्रदायों खासतौर से लिंगायत संप्रदाय में रुद्राक्ष की माला में कुल 108 मनके होते हैं, जिनका जाप किया जाता है.

गौड़ीय वैष्णव धर्म के तहत वृंदावन में कुल 108 गोपियों का वर्णन आता है. अगर 108 मनकों के साथ गोपियों के नाम का जाप किया जाए तो इसे बहुत शुभ माना जाता है.

श्रीवैष्णव धर्म के तहत भी विष्णु के 108 दिव्य क्षेत्रों का जिक्र मिलता है, जिसे 108 दिव्यदेशम कहते हैं.

कम्बोडिया के प्रसिद्ध अंगकोरवाट मंदिर की नक्काशी में भी समुद्र मंथन की घटना को दर्शाया गया है. इस नक्काशी में दर्शाया गया है कि क्षीर सागर पर मंदार पर्वत पर बंधे वासुकि नाग को 54 देव और 54 राक्षस (108) अपनी-अपनी ओर खींच रहे थे.

ज्‍योतिष में कुल 12 राशियां होती हैं जिनमें 9 ग्रह विचरण करते हैं. इन दोनों संख्‍याओं को गुणा करेंगे तो आपको 108 अंक मिलेगा.

हिंदू धर्म के अलावा और दूसरे कई धर्मों और संस्कृतियों में भी 108 अंक को महत्व हासिल है. जैसे  बौद्ध धर्म की कई शाखाओं में यह माना गया है कि कि व्यक्ति के भीतर 108 प्रकार की भावनाएं जन्म लेती हैं.

लंकावत्र सूत्र में भी एक खंड है, जिसमें बोधिसत्व महामती, बुद्ध से 108 सवाल पूछते हैं. एक दूसरे खंड में बौद्ध 108 निषेधों को भी बताते हैं. ऐसा भी देखा गया है कि बहुत से बौद्ध मंदिरों में सीढ़ियां भी 108 रखी गई हैं.

वहीं जापानी संस्कृति में बौद्ध धर्म के अनुयायी बीतते साल को अलविदा कहने और नव वर्ष के आगमन के लिए मंदिर की घंटियों को 108 बार बजाते हैं.

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